ज्योतिष

Baba Vanga’s 2025 prediction: जुलाई में आने वाला है ‘पानी का प्रलय’, जापानी बाबा वेंगा ने बताई तबाही की तारीख! सच हो चुकी हैं कई भविष्‍यवाणियां

  • *बाबा वेंगा की 2025 भविष्यवाणी: जुलाई में आने वाली विशाल सुनामी से कई देशों को खतरा, भारत की तैयारी पर सवाल*
नई दिल्ली:जुलाई 2025 को लेकर जापानी भविष्यवक्ता रयो तत्सुकी ने दुनिया को चौंकाने वाली चेतावनी जारी की है। उन्हें “जापानी बाबा वेंगा” के नाम से जाना जाता है, जिनकी पिछली भविष्यवाणियों में कोबे भूकंप, प्रिंसेस डायना की मृत्यु और COVID-19 महामारी जैसी घटनाएं शामिल हैं। तत्सुकी के अनुसार, अगले महीने एक विशाल सुनामी आएगी, जो 2011 में जापान को प्रभावित करने वाली सुनामी से तीन गुना बड़ी होगी। यह आपदा जापान, फिलीपींस, ताइवान और इंडोनेशिया जैसे देशों को प्रभावित करेगी। भारत के लिए भी चिंता की बात यह है कि 2004 की सुनामी ने दक्षिणी तटीय क्षेत्रों में भारी तबाही मचाई थी, और नई चेतावनी के बाद तैयारी को लेकर सवाल उठ रहे हैं।
रयो तत्सुकी की भविष्यवाणियों को लेकर दुनिया भर में चर्चा इसलिए तेज हो गई है, क्योंकि उनके पिछले पूर्वानुमान अक्सर सच साबित हुए हैं। 1995 में उन्होंने अपनी डायरी में लिखा था कि 2020 में एक रहस्यमयी वायरस दुनिया को प्रभावित करेगा, जो COVID-19 के रूप में सामने आया। 1992 में “Diana? Died?” लिखकर प्रिंसेस डायना की मृत्यु का अनुमान लगाया, जो 1997 में हुई। 1991 में उन्होंने फ्रेडी मर्करी की मृत्यु की भविष्यवाणी की, जो उसी साल सच हुई। इन सटीक अनुमानों के कारण, जुलाई 2025 को लेकर उनकी नई चेतावनी को गंभीरता से लिया जा रहा है।
वैज्ञानिकों का मानना है कि जापान के नानकाई ट्रफ क्षेत्र में भूकंप का खतरा बना हुआ है, जो 30 मीटर ऊंची लहरें पैदा कर सकता है। हालांकि यह क्षेत्र भारत से दूर है, लेकिन 2004 की सुनामी ने यह साबित कर दिया कि हिंद महासागर में उत्पन्न होने वाली लहरें भारत के तटीय इलाकों को गंभीर नुकसान पहुंचा सकती हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, भारत को तटीय अवसंरचना को मजबूत करने, आपातकालीन प्रतिक्रिया तंत्र विकसित करने और जलजनित बीमारियों की रोकथाम पर ध्यान देना चाहिए।
सुनामी के अलावा, रयो तत्सुकी ने 2030 के दशक में एक और वैश्विक महामारी की संभावना जताई है। उनकी डायरी में दर्ज नोट्स के अनुसार, COVID-19 जैसा वायरस 10 साल बाद फिर से लौट सकता है। इस पृष्ठभूमि में, भारत सहित सभी देशों के लिए स्वास्थ्य सुविधाओं को उन्नत करना और अनुसंधान को बढ़ावा देना जरूरी हो गया है।
इतिहास गवाह है कि 2004 की सुनामी ने भारत में 10,000 से अधिक लोगों की जान ले ली थी और तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, केरल और अंडमान-निकोबार द्वीप समूह में व्यापक विनाश हुआ था। इस अनुभव के आधार पर, सरकार ने तटीय चेतावनी प्रणाली स्थापित की है, लेकिन रयो तत्सुकी की भविष्यवाणी ने एक बार फिर इस बात पर जोर दिया है कि आपदा प्रबंधन योजनाओं को और अधिक मजबूत किया जाना चाहिए।
हालांकि भविष्यवाणियों को वैज्ञानिक रूप से सिद्ध नहीं किया जा सकता, लेकिन प्राकृतिक आपदाओं के बढ़ते खतरों को देखते हुए सतर्कता बरतना आवश्यक है। जलवायु परिवर्तन और समुद्र के बढ़ते स्तर के कारण सुनामी जैसी घटनाओं का जोखिम बढ़ गया है। भारत को न केवल तटीय क्षेत्रों में बल्कि शहरी इलाकों में भी आपदा प्रतिरोधी ढांचे विकसित करने की आवश्यकता है।
रयो तत्सुकी की चेतावनी ने एक बार फिर वैश्विक समुदाय को प्राकृतिक आपदाओं के प्रति जागरूक कर दिया है। भारत के लिए यह समय है कि वह अपनी तैयारियों का पुनर्मूल्यांकन करे और सुनामी जैसी आपदाओं से निपटने के लिए नवीन तकनीकों को अपनाए। सरकार, स्थानीय प्रशासन और नागरिकों के बीच समन्वय बढ़ाकर ही ऐसी चुनौतियों का सामना किया जा सकता है।

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