
Bihar election 2025: -बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस पार्टी पूरी तरह एक्टिव हो चुकी है। पार्टी के नेता राहुल गांधी बार-बार बिहार का दौरा कर रहे हैं और सामाजिक न्याय, बेरोजगारी और जाति जनगणना जैसे मुद्दों पर जोर दे रहे हैं। कांग्रेस का लक्ष्य है बिहार में अपनी पुरानी ताकत को वापस लाना और महागठबंधन के साथ मिलकर सत्तारूढ़ जेडीयू-बीजेपी गठबंधन को हराना।
राहुल गांधी की बिहार में सक्रियता
पिछले कुछ महीनों में राहुल गांधी ने बिहार में कई बार रैलियां और पदयात्राएं की हैं। अप्रैल 2025 में उन्होंने ‘पलायन रोको, नौकरी दो’ मार्च में हिस्सा लिया और युवाओं से बेरोजगारी के खिलाफ आवाज उठाने की अपील की। इसके अलावा, उन्होंने दलित समुदाय के लिए सामाजिक न्याय और आरक्षण की मांग को तेज किया। राहुल ने कहा, “बिहार में 50% आरक्षण की दीवार को तोड़ना होगा।” उनकी ये बातें खासकर दलित और पिछड़े वर्ग के वोटरों को लुभाने की कोशिश हैं।
कांग्रेस का वोट बैंक: दलित, युवा और शहरी मतदाता
कांग्रेस की रणनीति साफ है। पार्टी दलित वोटरों को अपनी ओर खींचना चाहती है, जो बिहार की आबादी का करीब 16% हैं। इसके लिए राहुल गांधी ने दलितों के मुद्दों पर खुलकर बात की और जाति आधारित जनगणना की मांग को जोर-शोर से उठाया। साथ ही, बेरोजगारी और शिक्षा जैसे मुद्दों पर फोकस कर कांग्रेस युवाओं को आकर्षित करने की कोशिश कर रही है। शहरी वोटर, जो बीजेपी की हिंदुत्व राजनीति और राजद की जातिगत राजनीति से अलग विकल्प चाहते हैं, भी कांग्रेस के निशाने पर हैं।
महागठबंधन में कांग्रेस की भूमिका
कांग्रेस इस बार महागठबंधन में ‘छोटे भाई’ की भूमिका से बाहर निकलना चाहती है। 2020 के विधानसभा चुनाव में उसने 70 सीटों पर चुनाव लड़ा, लेकिन केवल 19 सीटें जीतीं। इस बार पार्टी ज्यादा सीटों की मांग कर रही है और तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री उम्मीदवार के तौर पर समर्थन देने में हिचक दिखा रही है। कांग्रेस का कहना है कि वह बिहार में अपनी ताकत को बढ़ाना चाहती है, ताकि भविष्य में अन्य राज्यों में गठबंधन की बातचीत में उसकी स्थिति मजबूत हो।
चुनौतियां और रणनीति
कांग्रेस के सामने कई चुनौतियां हैं। राजद के साथ सीट बंटवारे पर अभी सहमति नहीं बनी है। इसके अलावा, पार्टी को अपने संगठन को मजबूत करने की जरूरत है। हालांकि, राहुल गांधी की लगातार यात्राएं और सामाजिक न्याय का मुद्दा उठाने से कार्यकर्ताओं में उत्साह है।