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बलभद्र, देवी सुभद्रा और भगवान जगन्नाथ के रथ तैयार

बलभद्र, देवी सुभद्रा और भगवान जगन्नाथ के रथ तैयार

Jagannath Rath Yatra:ओडिशा के पुरी में  आज से भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा की शुरुआत हो गई है। यह भव्य यात्रा पुरी के जगन्नाथ मंदिर से शुरू होकर गुंडिचा मंदिर तक जाती है। मान्यता है कि भगवान जगन्नाथ साल में एक बार अपनी बहन सुभद्रा और भाई बलभद्र के साथ अपनी मौसी के घर गुंडिचा मंदिर जाते हैं। रथ यात्रा से एक दिन पहले हजारों की संख्या में भक्तों ने मंदिर के सिंह द्वार पर पहुंचकर रत्न बेदी (गर्भगृह में पवित्र मंच) पर भगवान बलभद्र, देवी सुभद्रा और भगवान जगन्नाथ के नबाजौबन दर्शन (युवा रूप) किए।

Rath Yatra:यह रथ यात्रा कुल 12 दिनों तक चलेगी और इसका समापन 8 जुलाई 2025 को नीलाद्रि विजय के साथ होगा, जब भगवान पुनः अपने मूल मंदिर में लौटेंगे। हालांकि रथ यात्रा का आयोजन 12 दिनों का होता है, इसकी तैयारियाँ महीनों पहले से शुरू हो जाती हैं। इस रथ यात्रा के दौरान कई धार्मिक रस्में, अनुष्ठान और विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।

11 जून को स्नान अनुष्ठान के बाद रोक दिए गए थे सार्वजनिक दर्शन

भगवान जन्ननाथ, बलभद्र और देवी सुभद्रा के सार्वजनिक दर्शन 11 जून को स्नान अनुष्ठान के बाद रोक दिए गए थे। श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन (एसजेटीए) के एक अधिकारी के मुताबिक, मंदिर सुबह 8 बजे से 10.30 बजे तक भक्तों के लिए नबजौबन दर्शन के लिए खुला रहा। उन्होंने बताया कि भगवान जन्ननाथ, बलभद्र और देवी सुभद्रा नबजौबन बेशा पर एक खास युवा पोशाक पहनते हैं। यह अनुष्ठान भगवान जगन्नाथ के कायाकल्प का उत्सव मनाने के लिए किया जाता है। इस दिन को नेत्र उत्सव (आंख खोलने का त्योहार) भी कहा जाता है, क्योंकि इस दिन मूर्तियों की आंखों को रंगा जाता है। जगन्नाथ संस्कृति के शोधकर्ता भास्कर मिश्रा के मुताबिक, ऐसा माना जाता है कि स्नान अनुष्ठान के बाद बीमार होने के कारण देवता भक्तों के सामने प्रकट नहीं होते हैं। रथ यात्रा से पहले वे एक पखवाड़े तक अनासर घर (अलगाव कक्ष) में संगरोध में रहते हैं।

आज का जगन्नाथ रथ यात्रा 2025 का  शेड्यूल

  • मंगला अलाती – प्रातः 6:00 बजे
  • मैलम- सुबह 6:10 बजे
  • ताड़ापलागी – सुबह 6:30 बजे
  • रोशा होम – सुबह 6:30 बजे
  • अबकाशा – सुबह 7:00 बजे
  • सूर्य पूजा- सुबह 7:10 बजे
  • द्वारपाल पूजा- सुबह 7:30 बजे
  • बेशा शेष – सुबह 7:30 बजे तक
  • गोपाल बल्लाव और सकल धूप (खेचुड़ी भोग) – सुबह 8:00 से 9:00 बजे तक
  • रथ प्रतिष्ठा- सुबह 9:00 बजे
  • मंगलार्पण- सुबह 9:15 बजे
  • पहांडी प्रारंभ – सुबह 9:30 बजे
  • पहांडी समाप्त – दोपहर 12:30 बजे तक
  • श्री श्री मदन मोहन, श्री श्री राम और श्री श्री कृष्ण बिजे – दोपहर 12:30 से 1:00 बजे के बीच
  • चिता लगी- दोपहर 1:30 से 2:00 बजे तक
  • बेशा शेष – दोपहर 1:30 से 2:30 बजे तक
  • गजपति राजा द्वारा छेरा पन्हारा – दोपहर 2:30 से 3:30 बजे तक
  • चारमाला फिटा, घोड़ा और सारथी लागिबा – शाम 4:00 बजे (सीढ़ी को तोड़ना और घोड़ों और सारथी को ठीक करना)
  • रथतण (रथों को खींचना) – शाम 4:00 बजे शुरू होता है

जगन्नाथ रथ यात्रा 2025 का पूरा शेड्यूल

  • 27 जून, शुक्रवार – रथ यात्रा की शुरुआत
    भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा तीन अलग-अलग भव्य रथों पर सवार होकर पुरी के जगन्नाथ मंदिर से निकलते हैं और गुंडिचा मंदिर की ओर यात्रा करते हैं। हजारों भक्त भारी रस्सों से इन रथों को खींचते हैं। रथ पर चढ़ाने से पहले पुरी के राजा ‘छेरा पन्हारा’ की रस्म निभाते हैं, जिसमें वे सोने के झाड़ू से रथ का चबूतरा साफ करते हैं।
  • 1 जुलाई, मंगलवार – हेरा पंचमी
    जब भगवान गुंडिचा मंदिर में पाँच दिन बिताते हैं, तब पाँचवें दिन देवी लक्ष्मी नाराज़ होकर भगवान जगन्नाथ से मिलने आती हैं। यह रस्म हेरा पंचमी कहलाती है।
  • 4 जुलाई, शुक्रवार – संध्या दर्शन
    गुंडिचा मंदिर में विशेष दर्शन का आयोजन होता है। इस दिन भक्तजन भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा के दर्शन करते हैं और इसे बड़ा शुभ अवसर माना जाता है।
  • 5 जुलाई, शनिवार – बहुदा यात्रा
    भगवान जगन्नाथ अपने भाई और बहन के साथ रथों पर सवार होकर वापस जगन्नाथ मंदिर की ओर लौटते हैं। इस वापसी यात्रा को बहुदा यात्रा कहा जाता है। रास्ते में वे मौसी माँ के मंदिर (अर्ध रास्ते में) रुकते हैं, जहाँ उन्हें ओड़िशा की खास मिठाई ‘पोडा पिठा’ का भोग लगाया जाता है।
  • 6 जुलाई, रविवार – सुना बेशा
    इस दिन भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा को स्वर्ण आभूषणों से सजाया जाता है। यह अत्यंत भव्य श्रृंगार होता है जिसे देखने हज़ारों की संख्या में श्रद्धालु उमड़ते हैं।
  • 7 जुलाई, सोमवार – अधरा पना
    इस दिन भगवानों को एक विशेष मीठा पेय ‘अधरा पना’ अर्पित किया जाता है, जो बड़े मिट्टी के घड़ों में तैयार होता है। इसमें पानी, दूध, पनीर, चीनी और कुछ पारंपरिक मसाले मिलाए जाते हैं।
  • 8 जुलाई, मंगलवार – नीलाद्रि विजय (समापन)
    यह रथ यात्रा का अंतिम और सबसे भावनात्मक दिन होता है। इस दिन भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा वापस अपने मुख्य मंदिर में लौटते हैं और गर्भगृह में पुनः स्थापित होते हैं। इसे ‘नीलाद्रि विजय’ कहा जाता है, जिसका अर्थ है – “नीलाचल (पुरी) की पुनः विजय”।

Jai Jagannath

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