
Bihar Politics: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के बुरे नतीजों ने कांग्रेस पार्टी को हिला दिया है। अब पार्टी में आंतरिक कलह शुरू हो गया है। बिहार प्रदेश महिला कांग्रेस की अध्यक्ष शरबत जहां फातिमा ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। उनका गुस्सा टिकट न मिलने पर फूटा है। उन्होंने कहा कि पहले की सभी महिला अध्यक्षों को चुनाव लड़ने का मौका मिला, लेकिन उन्हें नहीं। ये इस्तीफा पार्टी के लिए बड़ा झटका है। पटना के सदाकत आश्रम कांग्रेस कार्यालय में कार्यकर्ता सड़क पर उतर आए हैं। नारेबाजी हो रही है और पूर्णिया के सांसद पप्पू यादव भी समर्थन में पहुंचे हैं। आइए, इस पूरी घटना को समझते हैं।
Bihar Politics: कांग्रेस की करारी हार, महिलाओं को क्यों भुला दिया?
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में कांग्रेस को सिर्फ 60 सीटों पर लड़ने का मौका मिला, लेकिन नतीजे निराशाजनक रहे। पार्टी को ज्यादा सीटें नहीं मिलीं। सबसे दुखी करने वाली बात ये है कि महिलाओं को बिल्कुल इग्नोर किया गया। कुल उम्मीदवारों में सिर्फ 5 महिलाएं थीं, जो महज 8 प्रतिशत है। विधानसभा और विधान परिषद दोनों जगह महिलाओं का नामोनिशान मिट गया। शरबत जहां फातिमा ने कहा, “पार्टी को सभाओं में भीड़ जुटाने के लिए महिलाएं चाहिए, लेकिन कुर्सी पर नहीं।” उन्होंने प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम और बिहार प्रभारी कृष्ण अल्लावारू पर निशाना साधा।
ये हार सिर्फ नंबरों की नहीं, बल्कि पार्टी के मूल सिद्धांतों की भी हार है। कांग्रेस हमेशा महिलाओं के अधिकारों की बात करती रही है, लेकिन चुनाव में ये वादा झूठा साबित हो गया। विशेषज्ञ कहते हैं कि अगर महिलाओं को ज्यादा टिकट मिलते, तो शायद नतीजे अलग होते। अब पार्टी में सब सवाल उठा रहे हैं क्या कांग्रेस बिहार में महिलाओं को भूल गई है?
Bihar Politics: इस्तीफे के पीछे छिपी कहानी, टिकट न मिलना और नैतिक जिम्मेदारी
शरबत जहां फातिमा ने 28 महीने तक महिला कांग्रेस का जिम्मा संभाला। वे बूथ स्तर पर गईं, महिलाओं की परेशानियां सुनीं और सड़क पर संघर्ष किया। लेकिन जब चुनाव का समय आया, तो उन्हें टिकट नहीं मिला। उन्होंने बताया, “पहले की सभी महिला प्रदेश अध्यक्षों को टिकट दिया गया, लेकिन मेरा नंबर क्यों कट गया?” वे अल्पसंख्यक समाज से हैं, फिर भी इग्नोर कर दिया गया। प्रभारी से बात की, तो जवाब मिला – “जीतने वाली महिलाओं को टिकट देंगे।” फातिमा ने तंज कसा, “तो वे कौन हैं, जो जीतने वाली मानी गईं?”
नैतिक रूप से खुद को जिम्मेदार मानते हुए उन्होंने इस्तीफा दिया। कहा, “प्रदेश अध्यक्ष होने के नाते ये परिणाम मेरी जिम्मेदारी है। महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने का लक्ष्य पूरा नहीं हुआ।” ये इस्तीफा पहला नहीं है। चुनाव हार के बाद कई नेता नाराज हैं। पार्टी में असंतोष बढ़ रहा है, जो लोकसभा चुनाव 2029 के लिए खतरे की घंटी है।
कार्यकर्ताओं का गुस्सा फूटा, पप्पू यादव का समर्थन
पटना के सदाकत आश्रम में हालात गरम हैं। नाराज कांग्रेस कार्यकर्ता धरना दे रहे हैं। नारे लग रहे हैं “महिलाओं को न्याय दो!” और “पार्टी सुधारो!”। पूर्णिया के सांसद पप्पू यादव भी वहां पहुंचे। उन्होंने कार्यकर्ताओं को संबोधित किया और कहा, “कांग्रेस को खुद को संभालना होगा, वरना बिहार में खत्म हो जाएगी।” यादव ने फातिमा के इस्तीफे का समर्थन किया और पार्टी नेतृत्व से मांग की कि महिलाओं को आगे लाया जाए।
ये धरना सिर्फ एक दिन का नहीं लगता। कार्यकर्ता कहते हैं कि जब तक इस्तीफा स्वीकार न हो और सुधार न हो, वे पीछे नहीं हटेंगे। पुलिस तैनात है, लेकिन शांतिपूर्ण प्रदर्शन चल रहा है। ये घटना बिहार कांग्रेस के लिए आईना है आंतरिक कलह से कैसे निपटें?
महिलाओं का प्रतिनिधित्व क्यों जरूरी? कांग्रेस को सबक लेना होगा
बिहार जैसे राज्य में महिलाएं आधी आबादी हैं। उनकी समस्याएं शिक्षा, स्वास्थ्य, सुरक्षा रोज की जिंदगी का हिस्सा हैं। लेकिन चुनाव में उन्हें टिकट न देना पार्टी की बड़ी गलती है। फातिमा ने राहुल गांधी का जिक्र किया, कहा कि वे महिलाओं के हितों की बात करते हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर कुछ नहीं हो रहा। अगर कांग्रेस नहीं सुधरी, तो विपक्षी दल इसका फायदा उठाएंगे। विशेषज्ञों का मानना है कि पार्टी को महिला कोटा बढ़ाना चाहिए, जैसे अन्य पार्टियां करती हैं।
भविष्य में क्या होगा? कांग्रेस का सफर मुश्किल
ये इस्तीफा बिहार कांग्रेस के लिए चेतावनी है। अगर समय रहते सुधार न हुए, तो और नेता जा सकते हैं। प्रभारी कृष्ण अल्लावारू को अब फैसला लेना होगा क्या फातिमा को मनाएंगे या नया चेहरा लाएंगे? पार्टी को बूथ स्तर पर मजबूत करने की जरूरत है। बिहार के गांव-कस्बों में कांग्रेस का आधार कमजोर हो गया है। अब युवा और महिलाओं को जोड़ना पहली प्राथमिकता होनी चाहिए।
कांग्रेस नेतृत्व को सोचना होगा कि बिहार में वापसी कैसे करें। लोकसभा चुनाव नजदीक हैं, और ये आंतरिक झगड़े पार्टी को कमजोर कर देंगे। फातिमा का इस्तीफा सिर्फ एक घटना नहीं, बल्कि पूरे सिस्टम की नाकामी है।



