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International footballer Jaypal Sirka received a grand welcome in ChaiBasa: आदिवासी “हो” समाज ने किया सम्मानित

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चाईबासा: अंतर्राष्ट्रीय फुटबॉलर जयपाल सिरका के चाईबासा लौटने पर आदिवासी “हो” समाज युवा महासभा और विभिन्न खेल जगत से जुड़े लोगों ने उनका शानदार स्वागत किया। जयपाल सिरका ने हाल ही में थाईलैंड के पटाया में 20 मार्च से 30 मार्च तक आयोजित एएफसी सॉकर एशियन कप – 2025 में भाग लिया था। इस प्रतियोगिता में कुल 16 देशों ने भाग लिया और भारतीय टीम को 18 सालों के बाद इस प्रतिष्ठित टूर्नामेंट में भाग लेने का अवसर मिला, हालांकि भारतीय टीम नॉकआउट चरण में प्रवेश नहीं कर पाई। इसके बावजूद, कोल्हान की धरती से आदिवासी “हो” खिलाड़ी जयपाल सिरका ने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाई, जिसे लेकर चाईबासा में खुशी और गर्व का माहौल था।
जयपाल सिरका के स्वागत के लिए चाईबासा के पोस्ट ऑफिस चौक पर आदिवासी “हो” समाज युवा महासभा और खेल प्रेमियों ने भव्य आयोजन किया। दमा-दुमंग, बैंड-बाजों और पारंपरिक नृत्य के साथ उनका स्वागत किया गया। आदिवासी समाज के सदस्य जयपाल सिरका को माला पहनाकर और मिठाई खिलाकर सम्मानित किया। इसके बाद, उन्हें एक डेकोरेटेड जीप में बिठाकर एक शानदार बाईक रैली के जरिए शहरभर में उनका सम्मान किया गया। रैली महुलसाई, गितिलती, टाटा कॉलेज, तांबो चौक होते हुए जयपाल सिरका के घर तक पहुँची, जहाँ जगह-जगह उनका स्वागत किया गया।
स्वागत समारोह में आदिवासी “हो” समाज युवा महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष इपिल सामड, उपाध्यक्ष सुरा बिरुली, महासचिव गब्बरसिंह हेम्ब्रम, कोषाध्यक्ष सुरेंद्र पुरती, पूर्व अध्यक्ष बिरसिंह बिरुली, धर्म सचिव सोमा जेराई, प्रदेश सांस्कृतिक सचिव जगन्नाथ हेस्सा, जिलाध्यक्ष शेरसिंह बिरुवा, कोषाध्यक्ष सत्यव्रत बिरूवा, लेबा गागराई, नगरपालिका पूर्व अध्यक्ष गीता बालमुचु, फुटबॉल कोच युगल पूर्ति, कोच विकाश बालमुचु और सिंहभूम स्पोर्ट्स एसोसिएशन चाईबासा से अर्जुन बानरा, कुलचांद कुजूर, मानकी कूदादा, सनातन पिंगुवा, मंजीत हासदा, मधुसूदन सामड, महर्षि महेन्द्र सिंकू, हेमन्त तामसोय, गोविंद कालुंडिया, शिशिर पूर्ति, विवेक, टिकुल, घोनो, टुडू, मालती हेस्सा, शीतल जारिका समेत चाईबासा के कई युवा फुटबॉलर्स उपस्थित थे। सभी ने मिलकर जयपाल सिरका की उपलब्धियों को सलाम किया और उन्हें भविष्य में और अधिक सफलता की शुभकामनाएँ दीं।
यह स्वागत समारोह न केवल जयपाल सिरका के लिए एक गर्व का पल था, बल्कि यह चाईबासा और कोल्हान क्षेत्र के लिए भी एक ऐतिहासिक क्षण था, क्योंकि इस प्रकार की अंतर्राष्ट्रीय पहचान कोल्हान क्षेत्र में बेहद महत्वपूर्ण मानी जाती है।

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