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वो 6% लोग जो चुपचाप करोड़पति बन जाते हैं– बिना शोर मचाए

वाराणसी: दुनिया का 94% शोर मचाता रहता है – रील्स, स्टोरी, “हसल” चिल्लाना। लेकिन असली पैसा वो 6% लोग कमाते हैं जो बिल्कुल खामोशी से। वो सोशल मीडिया पर नहीं दिखते, फिर भी उनका बैंक बैलेंस हर महीने अपने आप मोटा होता जाता है। ये वो साइलेंट गेम है जो स्कूल-कॉलेज में नहीं सिखाया जाता। आज सिर्फ़ आपको बता रहे हैं – क्योंकि आप यहाँ तक आए, मतलब आप तैयार हैं।

वो शाम जब मुझे पहली बार सच पता चला: 

दोस्त की शादी थी। वहाँ एक अंकल मिले – साधारण कुर्ता, पुरानी घड़ी, कोई दिखावा नहीं। शाम को पता चला – उनका नेटवर्थ 180 करोड़ है। मैंने पूछा, “अंकल इंस्टाग्राम पर क्यों नहीं दिखते?” वो हँसे और बोले, “बेटा, जो दिखता है वो बिकता है। जो नहीं दिखता, वो बढ़ता है।”

वो 6% लोग ऐसा क्या करते हैं जो बाकी 94% नहीं करते:

  1. वो कभी “मोटिवेशनल कोट्स” नहीं पढ़ते – वो सिस्टम बनाते हैं
  2. वो रात 2 बजे रील्स नहीं बनाते – वो 2 बजे सो जाते हैं ताकि सुबह 5 बजे दिमाग फ्रेश रहे
  3. वो “पैसा आएगा” नहीं सोचते – वो “पैसा अपने आप आएगा” का इंतजाम करते हैं

और सबसे खतरनाक बात – वो कभी किसी को नहीं बताते कि वो कितना कमा रहे हैं। शोर करने की ऊर्जा वो कंपाउंडिंग में लगाते हैं।

असली खेल “दिखावे की बचत” का है:-Image result for वो 6% लोग जो चुपचाप करोड़पति बन जाते हैं…

हम 94% लोग अपनी सैलरी का 30% दिखावे में उड़ा देते हैं – नई गाड़ी, नया फोन, घूमने जाना, “लिविंग माय बेस्ट लाइफ”। वो 6% लोग उल्टा करते हैं – बाहर से पुरानी गाड़ी, अंदर से 7 फ्लोर की बिल्डिंग। बाहर से 15 हजार का फोन, अंदर से 40% रिटर्न वाला पोर्टफोलियो। लोग हँसते हैं – “कंजूस है यार” और वो चुपचाप अगला प्रोजेक्ट खरीद लेते हैं।

उनका सबसे बड़ा हथियार – “बोरिंग निवेश”

वो कभी क्रिप्टो में 1000x नहीं ढूंढते। वो बस हर महीने एक ही जगह डालते रहते हैं – अच्छी कंपनियाँ , छोटे शहरों में प्रॉपर्टी , बिना शोर वाली पार्टनरशिप — 10 साल बाद जब हम पूछते हैं “कैसे किया?” वो सिर्फ़ मुस्कुराते हैं और कहते हैं – “बस चुपचाप डालते रहे।”

मनोविज्ञान का वो एक नियम जो अमीर इस्तेमाल करते हैं:- 

हमारे दिमाग को “तुरंत रिवार्ड” चाहिए। इसलिए हम शॉपिंग करते हैं, रील्स बनाते हैं। अमीर जानते हैं – सबसे बड़ा रिवार्ड “देरी” में छुपा है। वो आज की तारीफ़ छोड़कर कल की आज़ादी चुनते हैं। और यही छोटा सा फ़र्क 6% और 94% के बीच दीवार खड़ी कर देता है।

वो 3 सवाल जो वो 6% लोग खुद से रोज़ पूछते हैं: 

  1. आज मैंने ऐसा क्या किया जो 5 साल बाद मुझे पैसा देगा?
  2. आज मैंने ऐसा क्या नहीं किया जो मुझे दिखाने के लिए मजबूर करता?
  3. मेरी ऊर्जा आज शोर में गई या साइलेंस में?

विशेषज्ञ भी यही कहते हैं

मनोवैज्ञानिक डॉ. रॉबर्ट चाल्दिनी कहते हैं, “जो लोग कम बोलते हैं और लगातार करते हैं, उनका दिमाग कंपाउंडिंग की तरह काम करता है – भावनाएँ भी, पैसा भी।” वॉरेन बफे ने एक बार कहा था, “मैं चुप रहता हूँ क्योंकि शोर करने से पैसा नहीं, अहंकार बढ़ता है।”

निष्कर्ष – आज रात दो रास्ते हैं:

  1. – ये पोस्ट पढ़कर स्क्रॉल कर दो और कल फिर “क “मोटिवेशन” ढूंढते रहो, 2. – फोन साइलेंट करके सो जाओ और कल सुबह से एक “बोरिंग” काम शुरू कर दो – जो कोई नहीं देखेगा, पर 5 साल बाद सब देखेंगे 6% क्लब में जगह अभी खाली है। शोर करने वालों की लाइन बहुत लंबी है। खामोशी वालों की बहुत छोटी। तुम किस लाइन में लगना चाहते हो? हम अगली पोस्ट में फिर मिलेंगे। तब तक – चुप रहो। काम करते रहो। और मुस्कुराते रहो।

क्योंकि असली अमीर कभी नहीं बताते कि वो अमीर हैं। बस एक दिन पता चल जाता है।

PRAGATI DIXIT
Author: PRAGATI DIXIT

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