Bihar Election 2025: असदुद्दीन ओवैसी का बयान, सीमांचल को न्याय चाहिए, मतदाता सूची से नाम हटाने पर ECI पर उठाए सवाल
असदुद्दीन ओवैसी का विधानसभा चुनाव पर बड़ा बयान, सीमांचल को न्याय, मुस्लिम नेतृत्व की कमी, वोटर लिस्ट पर सवाल

Bihar Election 2025: पटना, बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने एक इंटरव्यू में राज्य की बदहाली, भ्रष्टाचार, मुस्लिम प्रतिनिधित्व की कमी और मतदाता सूची से नाम हटाने जैसे मुद्दों पर खुलकर बात की। उन्होंने सीमांचल क्षेत्र की समस्याओं पर जोर दिया और कहा कि उनकी पार्टी बिहार में नई राजनीतिक दिशा लाएगी। ओवैसी ने महागठबंधन के साथ गठबंधन न बनने पर भी रुख साफ किया। यह इंटरव्यू बिहार की राजनीति में AIMIM की भूमिका को रेखांकित करता है।
सीमांचल की बदहाली: कुप्रशासन और भ्रष्टाचार का आरोप
ओवैसी ने सीमांचल को बिहार का सबसे पिछड़ा इलाका बताया। उन्होंने कहा कि AIMIM की राजनीतिक यात्रा यहीं से शुरू हुई थी और अब इस क्षेत्र को न्याय मिलना जरूरी है। इंटरव्यू में उन्होंने जोर देकर कहा, सीमांचल आज भी पिछड़ा हुआ इलाका है। इंसानी तरक्की के पैमाने पर वहां हालात बेहद खराब हैं। बिहार में कुप्रशासन और भ्रष्टाचार हद से ज्यादा है। ओवैसी का मानना है कि सीमांचल के लोग अब चुप नहीं रहेंगे। उन्होंने राज्य सरकार पर विकास के वादों को पूरा न करने का आरोप लगाया। यह क्षेत्र बाढ़, गरीबी और बेरोजगारी से जूझ रहा है, जहां AIMIM मजबूत विकल्प बनकर उभरना चाहती है।
मुस्लिम नेतृत्व की कमी: बिहार के 19% मुसलमानों की आवाज
ओयवैसी ने बिहार की 19 प्रतिशत मुस्लिम आबादी के राजनीतिक प्रतिनिधित्व पर गहरी चिंता जताई। उन्होंने कहा कि बिहार में हर जाति और वर्ग का कोई न कोई राजनीतिक नेता है, लेकिन मुसलमानों की आवाज उठाने वाला कोई नहीं। उन्होंने दावा किया, “बिहार के मुसलमानों के पास कोई सियासी लीडर नहीं है।” AIMIM को इस कमी को पूरा करने का माध्यम बताया। ओवैसी ने कहा कि उनकी पार्टी न केवल मुस्लिम समुदाय बल्कि पूरे बिहार में नई सोच लाएगी। उन्होंने मुसलमानों को राजनीतिक रूप से जागरूक बताया और कहा कि वे अब किसी के पीछे अंधेरे में नहीं चलेंगे।
मतदाता सूची से नाम हटाने का विवाद
ओवैसी ने चुनाव आयोग की विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) प्रक्रिया पर कड़े सवाल उठाए। उन्होंने बताया कि AIMIM प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल ईमान सुप्रीम कोर्ट पहुंचे हैं, क्योंकि मतदाता सूची से करीब 6.5 लाख नाम हटा दिए गए और अब अतिरिक्त 3.5 लाख नाम काटे जा रहे हैं। ओवैसी ने चेतावनी दी, “इतने बड़े पैमाने पर नाम हटाने से वोटिंग के दिन भारी विवाद हो सकता है।” उन्होंने पूछा कि अगर कोई मतदाता के घर दो-तीन बार जाकर न मिलने पर ब्लॉक अधिकारी विदेशी नागरिक अधिनियम के तहत रिपोर्ट भेज देते हैं, तो यह कैसे सही है? ओवैसी ने जोर दिया कि नागरिकता की जांच चुनाव आयोग का काम नहीं, बल्कि गृह मंत्रालय का है।