झारखंड के गढ़वा जिले के माझीयाओ अंचल के सीओ को उनकी पत्नी ने सरकार आवास में प्रेमिका के साथ रंगे हाथ पकड़ लिया।
गढ़वा के सीओ अपनी प्रेमिका के साथ सरकारी क्वार्टर में थे, तभी पत्नी पहुंची और उन्हें रंगे हाथ पकड़ लिया।
डेस्क: झारखंड के गढ़वा जिले के माझीयाओ अंचल के सीओ को उनकी पत्नी ने सरकार आवास में प्रेमिका के साथ रंगे हाथ पकड़ लिया था। जिससे उनकी पत्नी आक्रोशित हो गई और उन्हें घर के अंदर कैद कर लिया। घर से बाहर निकलने के लिए सीओ रिक्वेस्ट करते रहे, लेकिन पत्नी ने दरवाजा नहीं खोला।जिसके बाद सीओ खुद छत से कूद गए और हंगामा करने लगे। वहीं, सूचना पर बड़े अधिकारी और पुलिसकर्मी भी आ गए।जिसके बाद सीओ की प्रेमिका को पुलिस के हवाले कर दिया गया।
दरअसल गढ़वा जिले के माझीयाओ अंचल के सीओ प्रमोद कुमार अपनी प्रेमिका के साथ एक ही रूम में सोए हुए थे। जिसकी सूचना उनकी पत्नी डॉ. श्यामा रानी को लगी तो वह सुबह 4 बजे सरकारी आवास पहुंच गईं।इसके बाद वह दीवार फांदकर चुपके से अंदर गईं तो सीओ प्रेमिका के साथ सोए हुए थे।इस पर पत्नी ने तुरंत बाहर से दरवाजा बंद कर दिया।
पत्नी ने रंगे हाथ पकड़ने के बाद किया लॉक
इस पर सीओ दरवाजा खोलने के लिए कहते रहे, लेकिन पत्नी ने दरवाजा नहीं खोला। मामला सरकारी आवास का था तो सूचना लगते ही पुलिस के बड़े-बड़े अधिकारी भी मौके पर पहुंच गए।लेकिन पत्नी के आगे किसी की नहीं चली, अंत में थक-हारकर सीओ साहब छत से कूद गए और हंगामा करने लगे।
इसी बीच माझीयाओ पुलिस भी सीओ आवास पहुंच गई। जिसके बाद पुलिस ने प्रेमिका को हिरासत में ले लिया। सीओ की पत्नी ने कहा की मुझे बहुत पहले से शक था।लेकिन आज रंगे हाथ पकड़ भी लिया. अब हम कानून का सहारा लेंगे।आपको बता दें कि सीओ की पत्नी बिहार के पूर्व सांसद श्रीराम मांझी की बेटी हैं।
कुछ देर बाद पुलिस को भी सूचना दी गई, जिसके बाद मौके पर पहुंचकर दोनों पक्षों को अलग किया गया। बताया जा रहा है कि अधिकारी की पत्नी लंबे समय से उन पर बेवफाई का आरोप लगा रही थीं।
स्थानीय लोगों की प्रतिक्रिया : स्थानीय लोगों का कहना है कि सरकारी अधिकारी अपनी पोस्टिंग के दौरान निजी रिश्तों को लेकर पहले भी विवादों में रहे हैं। उनका कहना है कि सरकारी जिम्मेदारी संभालने वाले अधिकारी अगर ऐसे मामलों में फंसते हैं तो जनता का भरोसा कमजोर होता है।
प्रशासनिक कार्रवाई की तैयारी :घटना की सूचना विभागीय स्तर तक पहुंच गई है। सूत्रों के मुताबिक, अफसर के खिलाफ विभागीय जांच की तैयारी की जा रही है। प्रशासन का कहना है कि अनुशासनहीनता या नैतिक आचरण के उल्लंघन को गंभीरता से लिया जाएगा।
निष्कर्ष: गढ़वा में हुआ यह मामला एक बार फिर सरकारी अफसरों की छवि पर सवाल खड़े करता है। निजी रिश्तों और सरकारी जिम्मेदारियों के बीच की मर्यादा जब टूटती है, तो उसका असर केवल परिवार ही नहीं, पूरे समाज पर पड़ता है। अब देखना यह होगा कि इस घटना के बाद प्रशासन क्या कार्रवाई करता है और क्या यह मामला केवल घरेलू विवाद बनकर रह जाएगा या फिर अनुशासनात्मक कार्रवाई तक पहुंचेगा।



