Health Tips: दुनिया के लिए बड़ी चेतावनी, अगले 25 सालों में 77% बढ़ जाएंगे कैंसर के मामले, लैंसेट की स्टडी ने मचाई सनसनी
2050 तक 3.5 करोड़ नए कैंसर मरीज, भारत में खतरे की घंटी

Health Tips: कैंसर को लेकर दुनिया की सबसे प्रतिष्ठित मेडिकल पत्रिकाओं में से एक ‘द लैंसेट’ (The Lancet) ने एक बेहद डरावनी और चिंताजनक रिपोर्ट जारी की है। इस वैश्विक अध्ययन में चेतावनी दी गई है कि अगर समय रहते ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो अगले 25 सालों में, यानी 2050 तक, दुनिया भर में कैंसर के नए मामलों में 77 प्रतिशत की भारी वृद्धि हो सकती है। इस रिपोर्ट ने भारत जैसे विकासशील देशों के लिए विशेष रूप से खतरे की घंटी बजाई है, जहां बदलती जीवनशैली इस महामारी को और भी तेजी से बढ़ावा दे रही है।
2050 तक 3.5 करोड़ नए मरीज, क्या है इस वृद्धि का कारण?
‘द लैंसेट’ की इस रिपोर्ट को विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की कैंसर एजेंसी, इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर (IARC) के साथ मिलकर तैयार किया गया है। अध्ययन के अनुसार, साल 2022 में दुनिया भर में कैंसर के लगभग 2 करोड़ नए मामले सामने आए थे। लेकिन, मौजूदा ट्रेंड्स को देखते हुए, यह आंकड़ा 2050 तक बढ़कर 3.5 करोड़ प्रति वर्ष तक पहुंच जाएगा।
विशेषज्ञों ने इस खतरनाक वृद्धि के पीछे कई प्रमुख कारकों की पहचान की है। इनमें सबसे बड़े कारण हैं- बढ़ती उम्र की आबादी, तंबाकू का सेवन, शराब का बढ़ता चलन, बढ़ता मोटापा, और बढ़ता वायु प्रदूषण। रिपोर्ट में कहा गया है कि जैसे-जैसे देशों की अर्थव्यवस्था सुधर रही है, वहां के लोग पश्चिमी देशों की तरह की अस्वास्थ्यकर जीवनशैली (unhealthy lifestyle) अपना रहे हैं, जो कैंसर के जोखिम को सीधे तौर पर बढ़ा रहा है।
फेफड़ों का कैंसर सबसे बड़ा हत्यारा, महिलाओं में स्तन कैंसर का कहर
इस अध्ययन में यह भी बताया गया है कि कौन से कैंसर सबसे ज्यादा जानलेवा साबित हो रहे हैं। 2022 में, दुनियाभर में कैंसर से होने वाली मौतों में सबसे बड़ा योगदान फेफड़ों के कैंसर (Lung Cancer) का रहा, जो कुल मौतों का 18.7 प्रतिशत था। इसके बाद महिलाओं में स्तन कैंसर (Breast Cancer) और कोलोरेक्टल कैंसर (पेट का कैंसर) का नंबर आता है। फेफड़ों के कैंसर का सीधा संबंध धूम्रपान और बढ़ते वायु प्रदूषण से है।
गरीब देशों पर पड़ेगा सबसे बुरा असर
रिपोर्ट की सबसे चिंताजनक बात यह है कि कैंसर का यह बढ़ता बोझ पूरी दुनिया में समान रूप से नहीं बंटेगा। इसका सबसे बुरा असर कम और मध्यम आय वाले देशों (जैसे भारत) पर पड़ेगा, जहां स्वास्थ्य सेवाएं पहले से ही दबाव में हैं। अनुमान है कि इन देशों में कैंसर से होने वाली मौतों की संख्या 2050 तक लगभग दोगुनी हो जाएगी। इसके विपरीत, अमीर देशों में यह वृद्धि मामूली रहेगी। इसका कारण है कि गरीब देशों में कैंसर की जांच और इलाज की सुविधाओं की भारी कमी है।
Health Tips: कैसे रोका जा सकता है यह खतरा?
‘द लैंसेट’ ने इस आसन्न संकट से बचने के लिए तत्काल और ठोस वैश्विक कार्रवाई का आह्वान किया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि तंबाकू पर नियंत्रण, शराब की खपत को कम करना, और एचपीवी (HPV) टीकाकरण जैसे निवारक उपायों में निवेश करके इस खतरे को काफी हद तक कम किया जा सकता है। इसके अलावा, सरकारों को कैंसर की शुरुआती जांच और किफायती इलाज को अपनी स्वास्थ्य नीतियों का एक केंद्रीय हिस्सा बनाना होगा। यह रिपोर्ट एक चेतावनी है कि अगर हमने अपनी जीवनशैली और सार्वजनिक स्वास्थ्य नीतियों में क्रांतिकारी बदलाव नहीं किए, तो आने वाले दशक कैंसर की एक सुनामी लेकर आ सकते हैं।