ट्रंप का इजरायल में ऐतिहासिक संबोधन, जमकर की नेतन्याहू की तारीफ

डेस्क: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इजरायली संसद (नेसेट) में अपने हालिया संबोधन में प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की मजबूत और कठोर नेतृत्व शैली की सराहना की। हल्के-फुल्के अंदाज में ट्रंप ने कहा, “बेंजामिन से निपटना आसान नहीं है, लेकिन यही गुण उन्हें महान बनाता है।” उन्होंने नेतन्याहू को खड़ा होने के लिए कहा और उनकी दृढ़ता को इजरायल की ताकत का प्रतीक बताया।
यह संबोधन अमेरिका की मध्यस्थता से हुए इजरायल और हमास के युद्धविराम समझौते के बाद हुआ, जिसे ट्रंप ने “आतंक और मृत्यु के युग का अंत” करार दिया। उन्होंने 7 अक्टूबर 2023 के हमास हमले को “दुखद नरसंहार” बताते हुए कहा कि यह घटना पूरे मध्य पूर्व को झकझोर कर रख दी थी। ट्रंप ने कहा कि अब सभी पक्षों को यह संकल्प लेना होगा कि ऐसी त्रासदियां दोबारा न हों।
इस समझौते के तहत हमास की कैद से 20 “साहसी” बंधक अपने परिवारों के पास लौट रहे हैं, जबकि 28 मृत बंधकों को “पवित्र भूमि पर विश्राम” के लिए वापस लाया गया। ट्रंप ने इसे केवल युद्ध का अंत नहीं बल्कि विश्वास, आशा और शांति के नए युग की शुरुआत बताया। उन्होंने कहा, “यह केवल युद्ध का अंत नहीं, बल्कि आतंक और मृत्यु के युग का अंत है और विश्वास, आशा और ईश्वर के युग की शुरुआत है।”
ट्रंप ने इजरायली रक्षा बलों (IDF) की भी प्रशंसा की, जिन्होंने इस युद्ध में साहस और वीरता दिखाई। उन्होंने क्षेत्रीय सहयोग और सद्भाव की नई शुरुआत की उम्मीद जताई। ट्रंप ने कहा कि यह समझौता न केवल इजरायल और फिलिस्तीन के लिए, बल्कि पूरे मध्य पूर्व के लिए ऐतिहासिक अवसर है।
उन्होंने जोर देकर कहा कि अब सभी को मिलकर सुनिश्चित करना होगा कि भविष्य में ऐसी हिंसा न हो और मध्य पूर्व में स्थायी शांति और समृद्धि आए। उनके इस संबोधन ने इजरायली सांसदों और वहां मौजूद गणमान्य व्यक्तियों का ध्यान खींचा।
विशेष रूप से यह समझौता और ट्रंप का बयान वैश्विक मंच पर चर्चा का विषय बन गया है, क्योंकि यह क्षेत्रीय स्थिरता और सहयोग की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।