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Devotees were moved with emotion by the discourses of Acharya Rajesh Krishna Ji.:भगवान हरि भक्त की पुकार अवश्य सुनते हैं,आचार्य राजेश कृष्ण जी

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“भक्ति, भजन और प्रवचनों की गूंज से गुंजायमान हुआ श्रीमद्भागवत कथा पंडाल, आचार्य राजेश कृष्ण जी के प्रवचनों से भाव-विभोर हुए श्रद्धालु”
मशेदपुर। साकची में आज धर्म, भक्ति और आध्यात्मिक ज्ञान के अमृत से ओत-प्रोत संगीतमय श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन श्री श्री रामलीला उत्सव समिति के तत्वावधान एवं श्री रामकृष्ण मित्र मंडल द्वारा किया जा रहा है। कथा के चतुर्थ दिवस पर राष्ट्रीय कथा प्रवक्ता आचार्य श्री राजेश कृष्ण जी ने श्रद्धालुओं को भक्ति, अहंकार, जीवन के मूल सिद्धांतों और श्रीकृष्ण जन्म की दिव्य कथा का श्रवण कराया। उनकी मधुर वाणी, ओजस्वी प्रवचन और संगीतमय भजन संध्या ने भक्तों को भाव-विभोर कर दिया।

कथा में हज़ारों श्रद्धालु शामिल हुए और भगवान की भक्ति में लीन होकर प्रवचनों का रसपान किया। पूरे आयोजन स्थल को भव्य रूप से सजाया गया था, जिसमें श्रीकृष्ण और श्रीराम की सुंदर झांकियां, रंग-बिरंगी विद्युत सज्जा और पुष्प-गुच्छों से सुसज्जित कथा मंच आकर्षण का केंद्र बना रहा।
भगवान हरि भक्त की पुकार अवश्य सुनते हैं
कथा प्रसंग में आचार्य श्री राजेश कृष्ण जी ने गजेंद्र मोक्ष की कथा सुनाते हुए बताया कि भगवान अपने भक्तों की पुकार को कभी अनसुना नहीं करते, बशर्ते वह पुकार सच्चे मन, श्रद्धा और समर्पण से की गई हो।

उन्होंने बताया कि तामस मन्वंतर के दौरान एक शक्तिशाली गजराज का जन्म हुआ, जिसमें दस हजार हाथियों के बराबर बल था। उसकी शक्ति और बल के कारण उसमें अहंकार आ गया और वह किसी को सम्मान नहीं देता था। एक दिन जब वह अपने परिवार के साथ एक सरोवर में स्नान कर रहा था, तभी एक मगरमच्छ ने उसके पैर पकड़ लिए और उसे जल में खींचने लगा। गजराज ने अपने परिवार को पुकारा, लेकिन कोई सहायता नहीं कर सका।
जब उसने अपनी अंतिम सांसों में सच्चे मन से भगवान विष्णु का स्मरण किया, तो भगवान श्रीहरि प्रकट हुए और सुदर्शन चक्र से मगरमच्छ का संहार कर गजराज की रक्षा की।
“दुख में सुमिरन सब करें, सुख में करही न कोई।
जो सुख में सुमिरन करे, तो दुख काहे को होई।”
इस कथा का संदेश था कि मनुष्य सुख में परमात्मा को भूल जाता है, लेकिन दुख में उन्हें याद करता है। यदि हम हर समय प्रभु का स्मरण करें, तो जीवन में कभी दुख नहीं आएगा।
अहंकार का नाश: राजा बलि और भगवान वामन की कथा

आचार्य श्री ने राजा बलि और भगवान वामन अवतार की कथा सुनाते हुए बताया कि जब राजा बलि को तीनों लोकों पर शासन करने का अहंकार हो गया, तो भगवान ने वामन रूप में अवतार लिया और उनसे तीन पग भूमि दान में मांगी।
राजा बलि ने सहर्ष स्वीकृति दी, लेकिन जब भगवान ने अपना विराट रूप धारण किया, तो उन्होंने एक पग में स्वर्ग, दूसरे में पृथ्वी को नाप लिया और तीसरा पग रखने के लिए स्थान मांगा। राजा बलि ने अपना मस्तक प्रभु के चरणों में समर्पित कर दिया, और इस तरह उनका अहंकार समाप्त हो गया।
आचार्य श्री ने कहा, “भगवान को सब कुछ प्रिय है, लेकिन अहंकार और अभिमान उन्हें कतई पसंद नहीं।”
“निर्मल मन जन सो मोहि पावा,
मोहि कपट छल छिद्र न भावा।”
समुद्र मंथन: शुभ कार्यों में बाधाएं आती हैं
कथा के दौरान समुद्र मंथन का प्रसंग भी सुनाया गया। जब देवताओं और दानवों ने अमृत प्राप्ति के लिए समुद्र मंथन किया, तो पहले कालकूट विष निकला, जिससे समस्त सृष्टि संकट में आ गई। इस विष को भगवान शिव ने अपने कंठ में धारण कर लिया, जिससे उनका नाम नीलकंठ पड़ा।
इस कथा से यह सीख मिलती है कि जीवन में कोई भी अच्छा कार्य करने जाओगे, तो विघ्न अवश्य आएंगे। लेकिन यदि दृढ़ संकल्प और भक्ति हो, तो हर कठिनाई का समाधान हो जाता है।
श्रीराम के जीवन का संदेश: रामचरितमानस के तीन सूत्र
आचार्य श्री ने रामचरितमानस के महत्व को समझाते हुए बताया कि यदि कोई श्रीराम को प्राप्त करना चाहता है, तो उसे तीन सूत्रों को अपनाना होगा—
पहले मनुष्य को सच्चे मन से प्रभु का स्मरण करना चाहिए। उसका चरित्र उत्तम होना चाहिए।उसके विचार और मन निर्मल होने चाहिए।
यदि कोई इन तीनों सूत्रों को अपनाए, तो भगवान श्रीराम का आशीर्वाद निश्चित रूप से प्राप्त कर सकता है।
श्रीकृष्ण जन्म कथा: भक्तों ने झूमकर गाए भजन

जब आचार्य श्री ने श्रीकृष्ण जन्म की कथा सुनाई, तो पंडाल भक्ति और उल्लास से भर उठा। उन्होंने बताया कि जब कंस के अत्याचार से बृजवासी त्रस्त हो गए, तब भगवान ने श्रीकृष्ण रूप में जन्म लिया।
भजनों की मधुर धुन पर श्रद्धालु झूम उठे और कथा स्थल भक्तिरस में सराबोर हो गया। जैसे ही भजन शुरू हुए—
“नन्द घर आनंद भयो, जय कन्हैया लाल की,
हाथी घोड़ा पालकी, जय कन्हैया लाल की।”
“बृज में है रही जय जय कार, नंद घर लाला जायो है।”
श्रद्धालु भक्ति भाव में मग्न होकर नृत्य करने लगे और भगवान के जन्म का उत्सव मनाने लगे।
कलाकारों की मधुर प्रस्तुति

भजन संध्या में कलाकारों ने अपनी मधुर प्रस्तुतियों से श्रद्धालुओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। जिसमें तबला पर सत्यम तिवारी,गायन में उत्कर्ष पाण्डे,ऑर्गन कुलदीप जी,बैंजो अमित,पैड रिंकू ने कला का जादू बिखेर कर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिए।
जजमानों का सम्मान एवं पितृ पूजन
आज के जजमानों में शंकर लाल सिंघल, अनिल कुमार अग्रवाल, श्याम सुंदर अग्रवाल एवं भारत भूषण त्रिवेदी ने अपने पितृ पूजन का पुण्य लाभ प्राप्त किया।
श्रीमद्भागवत कथा के सफल आयोजन में नवल झा का महत्वपूर्ण योगदान रहा।
भक्ति और आध्यात्मिकता की अविस्मरणीय संध्या

आचार्य श्री राजेश कृष्ण जी के प्रवचनों और भजनों ने श्रद्धालुओं को अद्भुत आध्यात्मिक अनुभूति कराई। कथा के दौरान पूरा माहौल श्रद्धा, भक्ति और भजन संकीर्तन की दिव्य धारा में बहता रहा।
अगले सत्रों में श्रीकृष्ण की बाल लीलाएं और गीता ज्ञान का विस्तार से वर्णन किया जाएगा।

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