नई दिल्ली:सुप्रीम कोर्ट ने संपत्ति हस्तांतरण अधिनियम (Transfer of Property Act) की धारा 58(c) के तहत एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। अदालत ने स्पष्ट किया है कि बंधक रखने मात्र से संपत्ति का स्वामित्व बंधककर्ता से गिरवी रखने वाले को स्थानांतरित हो सकता है, यदि बंधक विलेख में इस संबंध में शर्तें दर्ज हैं।
मामला और पृष्ठभूमि
1990 में, प्रतिवादी-वादी ने ₹75,000 में एक संपत्ति गिरवी रखी और ₹1,20,000 (ब्याज सहित) तीन वर्षों के भीतर चुकाने का समझौता किया। बंधक विलेख में यह शर्त शामिल थी कि यदि निर्धारित समय पर राशि का भुगतान नहीं किया गया तो संपत्ति की बिक्री निरपेक्ष हो जाएगी।
निचली अदालत और हाईकोर्ट का फैसला
ट्रायल कोर्ट और हाईकोर्ट ने वादी के पक्ष में फैसला देते हुए यह माना कि बंधक विलेख की शर्तें मोचन की इक्विटी पर रोक लगाती हैं और संपत्ति बंधककर्ता की ही रहेगी।
सुप्रीम कोर्ट का निर्णय
जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस प्रसन्ना बी. वराले की खंडपीठ ने हाईकोर्ट और ट्रायल कोर्ट के फैसलों को पलटते हुए कहा कि बंधक विलेख की शर्तें धारा 58(c) के तहत सशर्त बिक्री द्वारा बंधक की आवश्यकताओं को पूरा करती हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा:
स्वामित्व का हस्तांतरण: बंधककर्ता द्वारा समय पर भुगतान न करने पर संपत्ति का स्वामित्व स्वतः गिरवी रखने वाले को हस्तांतरित हो जाएगा।
अनुमेय कब्जा: वादी का कब्जा केवल संपत्ति की सुरक्षा के लिए दिया गया था और यह साधारण बंधक का संकेत नहीं देता।
सशर्त बिक्री द्वारा बंधक: सुप्रीम कोर्ट का स्पष्टीकरण
1. स्वामित्व का स्थानांतरण: धारा 58(c) के तहत, यदि बंधककर्ता निर्धारित समय पर राशि चुकाने में असफल रहता है, तो संपत्ति का स्वामित्व गिरवी रखने वाले को स्थानांतरित हो सकता है।
2. बंधक विलेख की प्राथमिकता: बंधक विलेख में दर्ज शर्तें कानूनी रूप से बाध्यकारी हैं और उनकी अनदेखी नहीं की जा सकती।
3. कब्जे की प्रकृति: वादी का कब्जा केवल व्यावहारिक व्यवस्था का हिस्सा था, न कि किसी अतिरिक्त अधिकार का संकेत।
महत्वपूर्ण निष्कर्ष
यह फैसला सशर्त बिक्री द्वारा बंधक की व्याख्या को स्पष्ट करता है और यह सुनिश्चित करता है कि संपत्ति बंधक विलेख की शर्तों के अनुसार ही स्वामित्व में आए। सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय भविष्य में ऐसे मामलों के लिए मिसाल बनेगा।
