रचना से ही लेखक का लेखकीय जीवन तय होता है-शिरोमणि महतो

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रचना से ही लेखक का लेखकीय जीवन तय होता है-शिरोमणि महतो

न्यूज़ मीडिया किरण संवाददाता

रांची : 10 अगस्त और 11 अगस्त को श्रीक्षेत्र पुरी में साहित्य संस्कृति समारोह संस्थान द्वारा तीसरे श्रीक्षेत्र राष्ट्रीय साहित्यिक महोत्सव आयोजित किया गया ।
इस गरिमामय समारोह का उद्घाटन
पद्मश्री डॉ. देबी प्रसन्न पट्टनायक
(प्रख्यात भाषाविद् एवं लेखक)
मुख्य अतिथि प्रोफेसर डॉ. प्रफुल्ल कुमार मोहंती ,केंद्रीय साहित्य (अकादमी पुरस्कार विजेता) ,सम्मानिय अतिथि डॉ प्रसन्न पट्टशानी (प्रख्यात कवि और राजनेता), डॉ. फणी मोहंती, (केंद्रीय साहित्य अकादमी पुरस्कार प्राप्त कवि और राष्ट्रीय अध्यक्ष साहित्य संस्कृति समारोह),
इँ. जामिनीकांत दास (सेवानिवृत्त मुख्य इंजिनियर और नाट्यकार 
इंजी. गौर चंद्र महापात्र (अध्यक्ष एसएसएस) के हाथों में हुआ ।
      जिसमें झारखंड से शिरोमणि महतो, बासु बिहारी और गुलांचो कुमारी ने भाग लिया.
      दो दिवसीय कार्यक्रम का आरंभ  पारमिता षड़ंगी के कविता संग्रह “रात बीतने के बाद” और संघमित्रा राएगुरु के उपन्यास “मुक्ति” का पुस्तक उन्मोचन से किया गया था। पारमिता ने सुप्रसिद्ध कवि डॉ फनी महांति के ओड़िया कविताओं का अनुवाद हिन्दी में और संघमित्रा ने मणिकुंतला भट्टाचार्य का लोकप्रिय असमिया उपन्यास “मुक्ति" का ओड़िया अनुवाद किया है। 
   द्वितीय दिवस में डॉ बंशीधर षड़ंगी (केंद्रीय साहित्य अकादमी पुरस्कार विजेता) सम्मानित अतिथि 
डॉ फणी मोहंती (प्रख्यात कवि) के उपस्थिति में कार्यक्रम शुरू हुआ। 
   एक विस्तृत चर्चा  श्री प्रदीप बिहारी ( साहित्य अकादमी पुरस्कार प्राप्त मैथिली कहानीकार) की  अध्यक्षता में सुप्रसिद्ध रचनाकारों में  शिरोमणि महतो,पवित्र पाणिग्राही, अभिजीत गोगोई, कनिका विश्वास, जिसका विषय था "लेखकों की अस्मिता" । उक्त विषय पर बोलते हुए शिरोमणि महतो ने कहा कि जनसरोकार से जुडी रचनाएं पाठकों पर गहरा प्रभाव छोडती हैं और ऐसी रचनाएं हमेशा स्मृति में रहती हैं और  लेखक चिरस्थायी प्रसिद्धि  दिलाती हैं..!
  उस के बाद डॉ बंशीधर षड़ंगी के अध्यक्षता में ओड़िया भाषा के कविओं के द्वारा कवि सम्मेलन की शुरुआत की गई थी ।इस में भाग लेने वाले कवि थे, डॉ बंशीधर षड़ंगी (अध्यक्ष) डॉ. हरीश चंद्र बेहरा,श्री पवित्र मोहन दास, जयंती विश्वाल , भगवान साहू, प्रशांत मोहंती, श्री कामदेव महाराणा, डॉ. पवित्र पाणिग्राही 
उमाकांत महापात्र, शैलबाला महापात्र, नृसिंह तराई, अरुण कुमार साहू, श्री निराकार दास, अभिमन्यु नायक, श्री जामिनिकान्त दास, डॉ. बैरागी पटनायक, प्रभात नलिनी महापात्र, ।
इस सम्मेलन का संचालन पारमिता षड़ंगी और संघमित्रा राएगुरु ने किया था।
    दुसरा सत्र का आकर्षण था बहुभाषी कवि सम्मेलन, जिस की अध्यक्षता श्री चितरंजन भोई ने  किया था। इस में प्रोफेसर एल.सी. राव, इच्छापुरम, एस. गीतांजलि, ए.पी. (तेलगु), ममता दास, श्री प्रदीप बिहारी, पट्टाना (मैथिली), डॉ. सुलेखा सामंतराय, (अंग्रेजी), मिंटुल हजारिका, गुवाहाटी (असमिया),  कमला शतपथी (मराठी), श्री शिरोमणी महतो (हिंदी), श्री बासु बिहारी(खोरठा) अभिजीत गोगोई, गुवाहाटी (असमिया), गुलांचोकुमारी, झारखंड (कुडमाली), श्री मानस रंजन महापात्र,  (उड़िया), कनिका विश्वास (बंगाली), श्री उत्तम चौधरी (बंगाली), डॉ. निर्मला बटाला,  (कन्नड़ ) सुजाता सिन्हा(ओड़िया), डॉ. गौतम जेना, जाजपुर (उड़िया), सरोज महापात्र, (उड़िया), श्री मानस कुमार षड़ंगी,  (संबलपुरी), संघमित्रा राएगुरु(हिंदी) और पारमिता षड़ंगी आदि कवियों ने अपनी अपनी कविता से सबको खूब प्रभावित किया।

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