बांग्लादेश में छात्र क्‍यों लगा रहे आग

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बांग्लादेश में छात्र क्‍यों लगा रहे आग? क्‍या है वो रिजर्वेशन स‍िस्‍टम ज‍िसकी वजह से मचा है पूरे देश में बवाल

 

बांग्लादेश में सरकारी नौकरियों में एक खास तबके को कोटा (रिजर्वेशन) दिए जाने के खिलाफ छात्रों द्वारा जोरदार प्रदर्शन, तोड़फोड़ और हिंसा हो रही है. बांग्लादेश में जिस रिजर्वेशन को लेकर छात्र लामबंद हो रहे हैं, वह दरअसल कुछ साल पहले भी विरोध की जद में था. 1971 के बांग्लादेश की आजादी के युद्ध में शामिल परिवार के सदस्यों के लिए सरकारी नौकरी में एक खास फीसद आरक्षण दिया जाता है, छात्र इसे खत्म करने की मांग कर रहे हैं और केवल मेरिट के आधार पर नौकरी देने के बात कर रहे हैं. बांग्लादेश की पीएम शेख हसीना ने साफ किया है कि वे इसे समाप्त नहीं करने जा रही हैं और साथ ही, इस हिंसा के चलते हुई मौतों के जिम्मेदार लोगों को जरूर सजा देंगी.

आइए जानें आखिर बांग्लादेश में यह किस प्रकार का आरक्षण है जिसका विरोध किया जा रहा है और खत्म करने की मांग की जा रही है.

बांग्लादेश में करीब तीन हजार सरकारी नौकरियों के लिए हर साल 400,000 (चार लाख) ग्रेजुएट परीक्षा देते हैं और कंपटीशन के जरिए नौकरी पाने की कोशिश करते हैं. इनकम और स्टेबिलिटी के लिए खासतौर से बांग्लादेश मे सरकारी नौकरियां जरूरत और पसंद दोनों हैं. इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, 2018 तक 56 प्रतिशत सरकारी नौकरियां अलग अलग श्रेणियों के लिए आरक्षित थीं. 30 प्रतिशत नौकरियां उन परिवारों के सदस्यों के लिए आरक्षित थीं जिन्होंने 1971 में बांग्लादेश की आजादी के लिए लड़ाई लड़ी थी. महिलाओं और अविकसित जिलों (underdeveloped districts) के लोगों को 10 प्रतिशत आरक्षण था. आदिवासी समुदायों के सदस्यों को 5 प्रतिशत और विकलांग व्यक्तियों के लिए 1 प्रतिशत आरक्षण था. इससे ओपन एडमिशन के लिए केवल 44 प्रतिशत नौकरियां ही बचीं.

आरक्षण में सबसे ज्यादा विवाद का केंद्र रहा है- स्वतंत्रता सेनानियों का कोटा. क्योंकि, कई लोगों का मानना ​​था कि यह हसीना की अवामी लीग पार्टी के प्रति वफादार लोगों के पक्ष में जाता है. इसी पार्टी ने बांग्लादेशी मुक्ति संग्राम का नेतृत्व किया था. मगर कोटा सीटों में बहुत सारी वैकेंसीज़ रह गईं जबकि मेरिट सूची के कई लोग बेरोजगार रह गए.

2018 में भी चला था विरोध और कोटा हटाने का ऐलान भी…

अप्रैल 2018 में छात्रों और शिक्षकों ने कुल आरक्षण को घटाकर 10 प्रतिशत करने की मांग करते हुए चार महीने लंबा विरोध प्रदर्शन भी किया था. हिंसा और प्रदर्शनकारियों और पुलिस के साथ हाथापाई भी हुई. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विरोध हुआ तो हसीना ने सभी कोटा हटाने की घोषणा कर दी थी. लेकिन फिर इसी साल जून में मामला फिर पलटा…

एक अदालती फैसला और फिर पलट गया सबकुछ…

इसी साल 5 जून को बांग्लादेश सुप्रीम कोर्ट ने सभी आरक्षणों, खास तौर से विवादास्पद 30 प्रतिशत स्वतंत्रता सेनानियों के कोटे को निरस्त करने वाले 2018 के आदेश को पलटने का आदेश जारी कर दिया. जून में कुछ विरोध हुआ, इसके बाद 17 जून को ईद-उल-अजहा के खत्म होने के बाद बड़े पैमाने पर फिर विरोध प्रदर्शन होने लगे. 7 जुलाई को भी बंद लागू हुआ. सुप्रीम कोर्ट के अपीलीय डिवीजन ने एक महीने के लिए आदेश को लागू करने पर रोक लगा दी.

कोटा को लेकर प्रदर्शनकारियों ने सभी ग्रेडों से इसे हटाने, संविधान में पहचाने गए पिछड़े लोगों के लिए कुल आरक्षण को 5 प्रतिशत तक सीमित करने और इस बदलाव को एन्श्योर करने के लिए संसद में एक विधेयक पारित करने की मांग की है

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