दुनियावालों सावधान-आ गई कोरोना की एक और लहर-इस देश में मचा कोहराम-अस्पतालों में मरीज ही मरीज

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दुनियावालों सावधान! आ गई कोरोना की एक और लहर... इस देश में मचा कोहराम, अस्पतालों में मरीज ही मरीज

 

नई दिल्ली: पूरी दुनिया में कोरोना ने जो कोहराम मचाया था वह किसे याद नहीं है. भले ही कोरोना का वह खौफ लोगों के मन से खत्म हो गया हो लेकिन COVID-19 बार-बार वापस आकर अपनी उपस्थिती से इंसान को डराता रहता है. एक बार फिर जापान में कोरोना के बढ़ते केस ने फिर से लोगों को डरा दिया है. स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि जापान एक नए और अत्यधिक संक्रामक कोरोनावायरस वैरिएंट से जूझ रहा है. जो देश में कोविड-19 संक्रमण की 11वीं लहर को हवा दे रहा है.

जापान संक्रामक रोग एसोसिएशन के अध्यक्ष काजुहिरो टेटेडा के अनुसार जापान में KP.3 वैरिएंट तेजी से फैल रहा है. यहां तक ​​कि उन लोगों में भी जो वैक्सीन लगवा चुके हैं या पिछले संक्रमण से ठीक हो चुके हैं. टेटेडा ने दिस वीक इन एशिया को बताया, “दुर्भाग्य से, वायरस हर बार अलग रूप में बदलने पर अधिक खतरनाक और प्रतिरोधी बन जाती है. वैक्सीनेशन के बाद लोग अपनी इम्यूनिटी बहुत जल्दी खो देते हैं, इसलिए उनमें वायरस के प्रति बहुत कम या कोई प्रतिरोध नहीं होता है.”

अस्पतालों में बढ़ रहे हैं मरीज
महामारी की शुरुआत में गठित जापान के सलाहकार पैनल में शामिल टेटेडा ने कहा कि आने वाले सप्ताह महत्वपूर्ण होंगे क्योंकि अधिकारी वैरिएंट के प्रसार और प्रभाव की निगरानी करेंगे. इधर अस्पतालों में कोविड-19 के मरीजों के दाखिले में तेज वृद्धि हो रही है. टेटेडा ने कहा कि उन्हें “इस बात से राहत मिली है कि इनमें से कई मामले गंभीर नहीं हैं”. KP. 3 वैरिएंट के विशिष्ट लक्षणों में तेज बुखार, गले में खराश, गंध और स्वाद का नुकसान, सिरदर्द और थकान शामिल हैं.

अस्पतालों में बेडों की फिर से हो रही कमी
स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, जापान भर में चिकित्सा सुविधाओं में पिछले सप्ताह की तुलना में 1 से 7 जुलाई तक संक्रमण में 1.39 गुना या 39 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई. ओकिनावा प्रान्त वायरस के नए स्ट्रेन से सबसे ज़्यादा प्रभावित हुआ है, जहां अस्पतालों में प्रतिदिन औसतन लगभग 30 संक्रमण के मामले सामने आ रहे हैं. फूजी न्यूज़ नेटवर्क की रिपोर्ट के अनुसार, KP.3 वैरिएंट ने देश भर में कोविड-19 के 90 प्रतिशत से ज़्यादा मामलों को जन्म दिया है, जिसके कारण चिकित्सा सुविधाओं में बेडों की कमी के बारे में फिर से चिंताएं पैदा हो गई हैं.

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