लोकतंत्र बचाओ अभियान ने हिमंता बिस्वा सरमा के खिलाफ चुनाव आयोग से की शिकायत

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न्यूज़ मीडिया किरण संवाददाता

रांची: आज लोकतंत्र बचाओ अभियान ने राज्य के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी को पत्र लिख कर असम के मुख्यमंत्री भाजपा नेता हिमंता बिस्वा सरमा द्वारा 23 अक्टूबर 2024 को झारखंड के हुसैनाबाद में दिए गए सांप्रदायिक चुनावी भाषण के विरुद्ध शिकायत की और उनके विरुद्ध न्यायसंगत कार्रवाई की मांग की.

पत्र में कहा गया है कि 23 अक्टूबर 2024 को हुसैनाबाद (जपला) पलामू भाजपा के चुनावी सभा में असम के मुख्यमंत्री भाजपा नेता हिमंत बिस्व सरमा ने हुसैनाबाद गाँव के नाम पर सवाल उठाते हुए मुसलमानों के खिलाफ हिंसापूर्ण बातें कहीं. उन्होंने कहा, “हुसैनाबाद क्या नाम है? हमारे बगल के राज्य में राम एवं कृष्णा जन्मभूमि है, तो हुसैन यहाँ कहा से आ गया? झारखण्ड वीरों का भूमि है, अगर ज़िला बनेगा तो वीरों के नाम का बनेगा ऐसे नाम का नहीं जिसका यहाँ से कोई लेना देना नहीं है, कोई परिचय नहीं है, कहाँ से आया कैसे आया, कोई नहीं जानता है ऐसा नाम में हमें ज़िला नहीं बनाना सही है..........भारतीय जनता पार्टी का सरकार बनेगा तो कानून के रास्ते से हम झारखण्ड में NRC बनायेंगे और एक एक करके घुसपैटियों को कानून के रास्ते से लात मार के भगा दूंगा. यह हमारा सबसे प्राथमिक काम होगा. यह चुनाव किसी को विधायक बनाना नहीं, किसी को मुख्यमंत्री बनाना नहीं, यह चुनाव घुसपैटियों को लात मारकर भगाने का यह चुनाव है.”

यह भाषण स्पष्ट रूप से मुसलमानों के विरुद्ध साम्प्रदायिकता फ़ैलाने और चुनाव में धार्मिक ध्रुवीकरण करने के उद्देश्य से दिया गया है. हुसैनाबाद शहर का नाम का लम्बा इतिहास है. इस भाषण में “हुसैन” नाम का ज़िक्र कर के और साथ में “घुसपैठियों” पर अफवाह फैलाकर मुसलमानों को धार्मिक रूप से टारगेट किया जा रहा है और उनके विरुद्ध अन्य समुदायों में धार्मिक ध्रुवीकरण किया जा रहा है. यह भी गौर करें कि एक तरफ केंद्र सरकार संसद में बयान देते हैं कि “बांग्लादेशी घुसपैठियों” सम्बंधित उनके पास कोई आंकड़े नहीं हैं, और दूसरी तरफ इस पर चुनावी भाषण में झूठ और अफवाह फैलाया जा रहा है. यह भाषण आचार संहिता का खुला उल्लंघन है.

पत्र में मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी को याद दिलाया गया है कि अभियान का प्रतिनिधिमंडल उनसे 21 अक्टूबर 2024 को मुलाकात कर ऐसी नफरती और सांप्रदायिक भाषणों की संभावना के विषय में बताया था और कार्यवाई की मांग की थी. यह भी कहा गया था कि लोकसभा चुनाव में प्रधान मंत्री समेत भाजपा नेताओं द्वारा लगातार ऐसे भाषण दिए गए थे लेकिन कार्यवाई नहीं हुई थी.

इस आलोक में अभियान ने मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी से मांग किया है कि तुरंत हिमंत बिस्व सरमा के विरुद्ध न्यायसंगत कार्यवाई की जाये एवं यह सुनिश्चित किया जाये कि कोई भी नेता अपने चुनावी भाषण में साम्प्रदायिकता न फैलाये और धार्मिक ध्रुवीकरण न करे.

अभियान की और से अफ़जल अनीस, अजय एक्का, अंबिका यादव, अमृता बोदरा, अंबिता किस्कू, अलोका कुजूर, अरविंद अंजुम, बासिंग हस्सा, भरत भूषण चौधरी, भाषण मानमी, बिनसाय मुंडा, चार्ल्स मुर्मू, दिनेश मुर्मू , एलिना होरो, एमिलिया हांसदा, हरि कुमार भगत, ज्याँ द्रेज, ज्योति कुजूर, कुमार चन्द्र मार्डी, किरण, लीना, लालमोहन सिंह खेरवार, मानसिंग मुंडा, मेरी निशा हंसदा, मंथन, मुन्नी देवी, नंदिता भट्टाचार्य, प्रवीर पीटर, पकू टुडु, रामचंद्र मांझी, राजा भारती, रमेश जेराई,  रेशमी देवी, रोज़ खाखा, रोज मधु तिर्की, रिया तूलिका पिंगुआ, शशि कुमार, संदीप प्रधान, सिराज दत्ता, सुशील मरांडी, सेबेस्टियन मरांडी, संतोष पहाड़िया,  टॉम कावला व विनोद कुमार ने पत्र जारी किया है.

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