चाईबासा में डेंगू का प्रकोप: स्वास्थ्य विभाग और नगर परिषद की कार्यप्रणाली पर उठे सवाल
चाईबासा में डेंगू का प्रकोप: स्वास्थ्य विभाग और नगर परिषद की कार्यप्रणाली पर उठे सवाल
न्यूज़ मीडिया किरण संवाददाता
चाईबासा: चाईबासा शहर में डेंगू का प्रकोप तेजी से बढ़ रहा है, जिससे शहरवासियों के बीच चिंता का माहौल व्याप्त है। डेंगू के कारण कई लोगों की जान चली गई है, और इस महामारी के खिलाफ प्रभावी उपायों की आवश्यकता महसूस की जा रही है।
रुंगटा ग्रुप का प्रयास
डेंगू और मलेरिया के रोकथाम के लिए रुंगटा ग्रुप द्वारा डीडीटी का छिड़काव किया जा रहा है। इसके साथ ही, फॉगिंग मशीन से पूरे शहर में दवा का छिड़काव किया जा रहा है। हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि इतने बड़े शहर में केवल एक बार डीडीटी का छिड़काव और फॉगिंग मशीन से दवा का धुआं करने से डेंगू समाप्त नहीं होगा। इसके लिए नियमित रूप से दवा का छिड़काव आवश्यक है।
सामाजिक संगठनों की भूमिका
रुंगटा ग्रुप और अखिल भारतीय मारवाड़ी सम्मेलन द्वारा किए गए प्रयासों की सराहना की जा रही है। लोगों का कहना है कि यदि ये संगठन आगे नहीं आते, तो स्थिति और भी गंभीर हो सकती थी। लेकिन इस बीच, शहर के कई सामाजिक संस्थाओं और कथित उद्योगपतियों की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं। कई ऐसे लोग हैं जो केवल फोटो खिंचवाने और दिखावे के लिए समाजसेवी बनकर घूम रहे हैं, जबकि वास्तविकता में वे जन सेवा के कार्यों से दूर हैं।
नगर परिषद और स्वास्थ्य विभाग की स्थिति
नगर परिषद और स्वास्थ्य विभाग की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठ रहे हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि ये संस्थाएं महामारी फैलने का इंतजार कर रही हैं। पिछले कुछ वर्षों में, डीडीटी का छिड़काव और फॉगिंग मशीन से दवा का छिड़काव पूरी तरह से बंद हो गया है। हालांकि, बीमार पड़ने पर स्वास्थ्य विभाग इलाज में तत्परता दिखा रहा है, लेकिन रोकथाम के लिए ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे हैं।
सफाई कर्मियों की कमी
शहर की बढ़ती आबादी के साथ सफाई कर्मियों की संख्या काफी कम हो गई है, जिसके कारण कचरे का उठाव प्रतिदिन नहीं हो पा रहा है। इससे पूरे शहर में कचरे का अंबार लग गया है, जो डेंगू और मलेरिया जैसी जानलेवा बीमारियों को पनपने का मौका दे रहा है।
निष्कर्ष
डेंगू और मलेरिया जैसी बीमारियों से बचाव के लिए केवल औपचारिकता से काम नहीं चलेगा। सभी संबंधित संस्थाओं को मिलकर ठोस कदम उठाने होंगे ताकि इस महामारी को नियंत्रित किया जा सके। सामाजिक संगठनों, उद्योगपतियों और नागरिकों को भी इस दिशा में सक्रिय भूमिका निभानी होगी ताकि चाईबासा को एक सुरक्षित और स्वस्थ शहर बनाया जा सके।
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