स्वदेशी डेंगू वैक्सीन 'डेंगीऑल' के साथ देश में पहले डेंगू वैक्सीन के तीसरे चरण के क्लिनिकल परीक्षण शुरू करने के लिए साझेदारी

Health

न्यूज़ मीडिया किरण संवाददाता

रांची: आईसीएमआर और पैनेशिया बायोटेक ने स्वदेशी डेंगू वैक्सीन, 'डेंगीऑल' के साथ भारत में पहले डेंगू वैक्सीन के तीसरे चरण के क्लिनिकल परीक्षण शुरू करने के लिए साझेदारी की है। यह भारत में डेंगू वैक्सीन के तीसरे चरण का पहला नैदानिक परीक्षण है। यह अध्ययन 12 सितंबर 2024 को रिम्स, रांची में शुरू किया गया है। परीक्षण में टीकाकरण करने वाले प्रतिभागियों का दो साल का फॉलो अप प्रस्तावित किया गया है। इस परीक्षण को मुख्य रूप से आईसीएमआर और आंशिक रूप से पैनेशिया बायोटेक द्वारा वित्त सहायता प्राप्त होगी। इसमें किसी भी बाहरी एजेंसी से कोई वित्तीय सहायता प्राप्त नहीं है।

पिछले दो दशकों से डेंगू की वैश्विक संख्या लगातार बढ़ रही है। WHO के अनुसार 2023 तक 129 से अधिक देशों में डेंगू की सूचना मिली है। भारत डेंगू के सबसे अधिक मामलों वाले शीर्ष 30 देशों में से एक है। इस वायरस के चार सीरोटाइप होते हैं, 1-4 जिनमें एक-दूसरे के खिलाफ कम क्रॉस-प्रोटेक्शन होता है, यानी एक सीरोटाइप से संक्रमित व्यक्ति शेष सीरोटाइप से प्रतिरक्षित नहीं होता है और उसे बार-बार संक्रमण हो सकता है। भारत में डेंगू के खिलाफ कोई एंटीवायरल या लाइसेंस प्राप्त टीका नहीं है और यहां चारों सेरोटाइप पाए जाते हैं।

NIH-अमेरिका द्वारा एक टेट्रावेलेंट डेंगू वैक्सीन स्ट्रेन (TV003/TV005)  विकसित किया गया था और दुनिया भर में प्री-क्लिनिकल और क्लिनिकल परीक्षणों में बड़े पैमाने पर अध्ययन किया गया था। सभी चार सीरोटाइप के लिए परिणाम आशाजनक थे। यह स्ट्रेन भारत में तीन कंपनियों को हस्तांतरित किया गया है, जिनमें से पैनेसिया बायोटेक विकास के सबसे उन्नत चरण में है। पैनेसिया ने अपना खुद का एक पूर्ण टीका तैयार करने के लिए काम किया है और इसके लिए कंपनी के पास पेटेंट भी है।

 भारतीय वैक्सीन फॉर्मूलेशन के साथ चरण 1 और 2 क्लिनिकल परीक्षण पहले 2018-19 में पूरा किया गया था। परीक्षण के आशाजनक परिणामों के आधार पर, भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद ने भारत के 18 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में फैले 19 स्थानों पर 10,335 से अधिक स्वस्थ वयस्कों पर चरण 3 में परीक्षण करने के लिए पैनेशिया बायोटेक के साथ साझेदारी की है। यह परीक्षण सबसे बड़ी सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्याओं में से एक के लिए स्वदेशी वैक्सीन की खोज व भारत की आत्मानिर्भरता का एक अनूठा उदाहरण है।

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