रांची के टीआरएल संकाय में मनायी गई पद्मश्री डॉ रामदयाल मुण्डा की 85 वीं जयंती,
रांची के टीआरएल संकाय में मनायी गई पद्मश्री डॉ रामदयाल मुण्डा की 85 वीं जयंती, वक्ताओं ने कहा, -
उनकी परिकल्पना को साकार रूप देना होगा
न्यूज़ मीडिया किरण संवाददाता
रांची : जनजातीय एवं क्षेत्रीय संकाय के स्नातकोत्तर मुण्डारी विभाग में आज पद्मश्री डॉ रामदयाल मुण्डा की 85 वीं जयंती धूमधाम के साथ मनाया गया। विभाग के प्राध्यापकों, शोधकर्ताओं एवं छात्रों ने डॉ मुण्डा के तस्वीर पर माल्यार्पण व पुष्प अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी। संचालन प्राध्यापक डॉ बीरेन्द्र कुमार सोय ने जबकि अतिथियों का स्वागत भाषण प्राध्यापक डॉ उमेश नन्द तिवारी ने दिया।
मौके पर कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए मुख्य अतिथि पूर्व कुलपति प्रो. (डॉ) सत्यनारायण मुण्डा ने कहा कि उनकी सोव व परिकल्पना को साकार रूप देना होगा। आज हमें झारखण्ड को संभालने की जरूरत है। अपने रिसर्च के माध्यम से, अपनी लेखनी के माध्यम से अपने अधिकारों को साकार रूप दीजिए। उन्होंने कहा कि हमें अपनी भाषा में अधिक से अधिक साहित्य रच कर अपनी भाषा व संस्कृति की रक्षा करनी होगी।
पूर्व समन्वयक डॉ. हरि उराँव ने कहा कि बहुमुखी प्रतिभा के धनी पद्मश्री डॉ रामदयाल मुण्डा जैसे महान व्यक्ति का सानिध्य मिलना बहुत बड़ी बात है. डॉ उराँव ने डॉ मुण्डा जी के सानिध्य में एक छात्र के रूप में बिताये पलों को साझा करते हुए कहा कि उन्होंने कहा कि डॉ मुंडा ने झारखंड में सामाजिक-सांस्कृतिक और राजनीतिक क्रांति का बिगुल फूंका था।
डाॅ नारायण भगत ने कहा कि मुण्डा साहब झारखण्ड का मान सम्मान पूरे विश्व में बढ़ाएँ। हमें झारखंड के हरेक व्यक्ति को उनकी संघर्ष गाथा बता कर, उनके बताये हुए डहर पर निडर होकर चलना होगा और अपनी भाषा, साहित्य व संस्कृति को विश्व पटल पर दर्ज कराना होगा।
विशिष्ट अतिथि, पूर्व सहायक निदेशक डाॅ. सोमा सिंह मुण्डा ने डॉ मुण्डा जी की संघर्षों से अवगत कराते हुए कहा कि मुण्डा जी झारखण्ड के एक सिपाही थे।
कुमारी शशि ने कहा कि डॉ में बाँसुरी बजाने की एक अद्भुत कला थी। वे समग्र झारखंड के बारे में सोचते थे।
इनके अलावा संकाय के मुण्डारी विभाग के विभागाध्यक्ष मनय मुण्डा, डॉ मेरी एस सोरेंग, डॉ किशोर सुरिन, करम सिंह मुण्डा, डॉ दमयन्ती सिंकु, तारकेश्वर सिंह, अनुराधा मुण्ड, दिनेश कुमार आदि ने भी अपनी बातें रखीं।
मौके पर टीआर एल संकाय के प्राध्यापक गण, शोध छात्र, कर्मचारी गण के अलावा छात्र छात्राएँ उपस्थित थे।
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