कास नामक घास के फूल शारदीय नवरात्रि मां देवी दुर्गा की आराधना का महापर्व का कैसे देता है संकेत जाने

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कास नामक घास के फूल
शारदीय नवरात्रि मां देवी दुर्गा की आराधना का महापर्व का कैसे देता है संकेत जाने

फूले कास सकल मही छाई, जनु बरसा कृत प्रकट बुढ़ाई

न्यूज़ मीडिया किरण संवाददाता

नई दिल्ली।गोस्वामी तुलसीदास ने श्री रामचरित मानस में चौपाई में वर्षा ऋतु का वर्णन करते हुए लिखा है 'फूले कास सकल मही छाई, जनु बरसा कृत प्रकट बुढ़ाई' अर्थात कास नामक घास में फूल आ जाने पर वर्षा ऋतु का बुढ़ापा आने लगता है।ये बताता है कि मानसून के समापन की बेला आ गयी है और वर्षा ऋतु के बाद शरद ऋतु आने वाली है।  

आश्विन मास में नवरात्रि शरद ऋतु के समय आती है और शरद ऋतु होने के कारण इन्हें शारदीय नवरात्रि भी कहा जाता है। तो तैयार हो जाइये क्योंकि माँ आ रही है।
शारदीय नवरात्रि का पर्व 2024 में 3 अक्टूबर से शुरू होगा और 12 अक्टूबर तक चलेगा। यह पर्व देवी दुर्गा की शक्ति के नौ रूपों की पूजा करने के लिए समर्पित है। नवरात्रि के पहले दिन से लेकर नौवें दिन तक भक्त देवी के विभिन्न स्वरूपों की आराधना करते हैं:

1. *पहला दिन (3 अक्टूबर)*: मां शैलपुत्री की पूजा
2. *दूसरा दिन (4 अक्टूबर)*: मां ब्रह्मचारिणी की पूजा
3. *तीसरा दिन (5 अक्टूबर)*: मां चंद्रघंटा की पूजा
4. *चौथा दिन (6 अक्टूबर)*: मां कूष्मांडा की पूजा
5. *पांचवां दिन (7 अक्टूबर)*: मां स्कंदमाता की पूजा
6. *छठा दिन (8 अक्टूबर)*: मां कात्यायनी की पूजा
7. *सातवां दिन (9 अक्टूबर)*: मां कालरात्रि की पूजा
8. *आठवां दिन (10 अक्टूबर)*: मां महागौरी की पूजा
9. *नवां दिन (11 अक्टूबर)*: मां सिद्धिदात्री की पूजा

### विशेष पूजा और कार्यक्रम:

- *दुर्गा अष्टमी (11 अक्टूबर)*: इस दिन विशेष पूजा और हवन का आयोजन किया जाता है।
- *महानवमी (12 अक्टूबर)*: इस दिन कन्या पूजन और विशेष पूजा का आयोजन होता है।
- *दशहरा (12 अक्टूबर)*: नवरात्रि का दसवां दिन दशहरा के रूप में मनाया जाता है, जिसमें रावण का पुतला जलाया जाता है।

नवरात्रि के दौरान भक्त उपवास रखते हैं, विशेष पूजा-अर्चना करते हैं और कलश स्थापना करते हैं, जो सुख-समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। इस समय देवी की कृपा से सभी कष्ट दूर होने की मान्यता है।

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