कामिका एकादशी: श्रावण कृष्ण एकादशी का महत्व और पूजा-विधि

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कामिका एकादशी: श्रावण कृष्ण एकादशी का महत्व और पूजा-विधि

नई दिल्ली:कामिका एकादशी, जिसे श्रावण कृष्ण एकादशी के नाम से भी जाना जाता है, 31 जुलाई 2024 को बुधवार को मनाई जाएगी। यह एकादशी श्रावण मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी है और इसका काफी महत्व माना जाता है।

कामिका एकादशी का महात्म्य

कामिका एकादशी के व्रत और पूजा-विधि को भाव पूर्वक करने से मनुष्य के सारे पाप नष्ट हो जाते हैं। इस दिन भगवान विष्णु और शिव की पूजा की जाती है। माना जाता है कि इस एकादशी के दिन भक्तिपूर्वक भगवान विष्णु की पूजा करने से पुण्य फल की प्राप्ति होती है।

कामिका एकादशी की रात्रि को भगवान के मंदिर में दीपक जलाने और जागरण करने का भी बहुत महत्व है। इस दिन तुलसी के पत्ते का प्रयोग करने से व्रत का महत्व और भी बढ़ जाता है।

पूजा-विधि

एकादशी के दिन स्नानादि से पवित्र होने के पश्चात् पूजा का संकल्प लेना चाहिए। इसके बाद श्री विष्णु के विग्रह का पूजन करना चाहिए। भगवान विष्णु को फूल, फल, तिल, दूध, पंचामृत आदि पदार्थ निवेदित करके, आठों प्रहर निर्जल रहकर विष्णु जी के नाम का स्मरण और संकीर्तन करना चाहिए।

एकादशी व्रत में ब्राह्मण भोजन एवं दक्षिणा का बड़ा ही महत्व है। इसलिए ब्राह्मण को भोजन करवाकर दक्षिणा सहित विदा करने के बाद ही भोजन ग्रहण करना शुभ माना गया है।

पारण विधि

द्वादशी के दिन घर पर ब्राह्मण को बुलाएं और उन्हें खाना खिलाएं और सामर्थ्य अनुसार उन्हें दान दक्षिणा दें। उसके बाद स्वयंं पारण करें. ध्यान रहे कि पारण के समय के दौरान ही पारण किया जाना चाहिए। अगर ब्राह्मण को घर बुलाकर भोजन कराने का सामर्थ्य नहीं है तो आप एक व्यक्ति के भोजन के बराबर अनाज किसी गरीब को या मंदिर में दान कर दें। यह भी आपको उतना ही फल प्रदान करेगा।

इस प्रकार कामिका एकादशी का व्रत और पूजा-विधि करने से मनुष्य के सारे पाप नष्ट हो जाते हैं और उन्हें पुण्य फल की प्राप्ति होती है।

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