कांदरापाड़ा गांव में ऑल इंडिया संथाल धर्म चेहत आश्रा का 14वां स्थापना दिवस समारोह

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कांदरापाड़ा गांव में 'ऑल इंडिया संथाल धर्म चेहत आश्रा' का 14वां स्थापना दिवस समारोह

धालभूमगढ़।धालभूमगढ़ प्रखंड के नूतनगढ़ पंचायत के कांदरापाड़ा गांव में 'ऑल इंडिया संथाल धर्म चेहत आश्रा' द्वारा 14वें स्थापना दिवस समारोह का आयोजन किया गया। इस समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में क्षेत्र की प्रसिद्ध समाजसेवी एवं भाजपा नेत्री डॉ. सुनीता देवदूत सोरेन शामिल हुईं।
समारोह में उपस्थित जनसमूह को संबोधित करते हुए डॉ. सोरेन ने कहा कि वर्तमान समय में सारना धर्म में एक बड़ी आश्रा है और आदिवासियों को अपनी सांस्कृतिक रक्षा के लिए आगे आना चाहिए। उन्होंने जोर देकर कहा कि जब तक क्षेत्र में शिक्षा का प्रसार नहीं होगा, तब तक समाज का विकास पूर्ण रूप से नहीं हो सकेगा।
डॉ. सोरेन ने आदिवासियों की प्राचीन परंपराओं और पूजा पद्धतियों का उल्लेख करते हुए कहा कि आदिकाल में जब आदिवासी जंगलों में रहते थे, तब उन्होंने प्रकृति के सभी गुणों और नियमों को समझा और उनके अनुसार जीवन व्यतीत किया। उन्होंने बताया कि आदिवासियों की पूजा पद्धति और परंपराएँ आज भी वही विद्यमान हैं।
सारना धर्म का महत्व
डॉ. सोरेन ने सारना धर्म के मूल आधार पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह प्रकृति की पूजा पर आधारित है। सारना धर्म के अनुयायी प्रकृति में रहने वाले सभी प्राणियों को ईश्वर का रूप मानते हैं। वे सूर्य, चंद्रमा, तारे, पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु, पेड़-पौधे, जानवरों, और मनुष्यों को ईश्वर के रूप में पूजते हैं।
समारोह में उपस्थित लोगों ने डॉ. सोरेन के विचारों को सराहा और आदिवासी संस्कृति के संरक्षण एवं विकास के प्रति अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त की। इस अवसर पर विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किए गए, जो आदिवासी परंपराओं की समृद्धि को दर्शाते हैं।
इस प्रकार, 'ऑल इंडिया संथाल धर्म चेहत आश्रा' का स्थापना दिवस समारोह न केवल आदिवासी संस्कृति के प्रति जागरूकता फैलाने का एक महत्वपूर्ण अवसर था, बल्कि यह समुदाय के विकास और शिक्षा के महत्व को भी उजागर करने का एक मंच बना।

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