गढ़वा के श्री बंशीधर नगर में मथुरा और वृंदावन की तरह मनाई जाती है जन्माष्टमी

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गढ़वा के श्री बंशीधर नगर में मथुरा और वृंदावन की तरह मनाई जाती है जन्माष्टमी

न्यूज़ मीडिया किरण संवाददाता

गढ़वा: श्री बंशीधर नगर को योगेश्वर कृष्ण की भूमि माना जाता है। श्री बंशीधर मंदिर में स्वयं विराजमान श्रीकृष्ण की वंशीवादन करती प्रतिमा की ख्याति देश में ही नहीं विदेशों में भी है। इसलिए यह स्थान श्री बंशीधर धाम के नाम से भी प्रसिद्ध है। यहां कण कण में राधा व कृष्ण विद्यमान हैं। श्री बंशीधर नगर में प्रतिवर्ष श्रीकृष्ण की जयंती जन्माष्टमी मथुरा व वृंदावन की तरह मनाई जाती है। इस धरा पर दूसरा वृंदावन श्री बंशीधर नगर है। गंगा जमुनी संस्कृति व धार्मिक भावनाओं से ओत प्रोत खूबसूरत हरी भरी वादियों, कंदराओं, पर्वतों, नदियों से आच्छादित और उत्तरप्रदेश, छत्तीसगढ़, बिहार तीन राज्यों की सीमाओं को स्पर्श कर उन तीन राज्यों की मिश्रित संस्कृति को समेटे श्री बंशीधर की पावन नगरी श्री बंशीधर नगर को पलामू प्रमंडल की सांस्कृतिक राजधानी भी माना जाता है। श्री बंशीधर मंदिर की स्थापना संवत 1885 में हुई है। श्री बंशीधर मंदिर के बारे में सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि यहां भगवान श्रीकृष्ण त्रिदेव अर्थात ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों स्वरूप में हैं। मंदिर में स्थित प्रतिमा को गौर से देखने पर यहां भगवान के त्रिदेव के स्वरूप में विद्यमान रहने का अहसास होता है। यहां स्थित श्री बंशीधरजी जटाधारी के रूप में दिखाई देते हैं जबकि शास्त्रों में श्रीकृष्ण के खुले लट और घुंघराले बाल का वर्णन है। इस लिहाज से मान्यता है कि श्रीकृष्ण जटाधारी अर्थात देवाधिदेव महादेव के रूप में विराजमान हैं। श्रीकृष्ण के शेष शैय्या पर होने का वर्णन शास्त्रों में मिलता है लेकिन यहां श्री बंशीधर जी शेषनाग के ऊपर कमलपुष्प पर विराजमान हैं, जबकि कमलपुष्प ब्रह्मा का आसन है। इस लिहाज से मान्यता है कि कमल पुष्पासीन श्री कृष्ण कमलासन ब्रह्मा के रूप में विराजमान हैं। भगवान श्रीकृष्ण स्वयं लक्ष्मीनाथ विष्णु के अवतार हैं, इसलिए विष्णु के स्वरूप में विराजमान हैं। वर्ष भर श्री बंशीधर मंदिर में दर्शन के लिए देश ही नहीं विदेशी श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। जो भी श्रद्धालु एक बार श्री बंशीधर जी की मोहिनी मूरत का दर्शन करता है, वह उनके प्रति मोहित हो जाता है। दर्शनार्थी के मुंह से बरबस अद्वितीय और अलौकिक शब्द निकल पड़ता है।

श्री बंशीधर जी प्रतिमा कला के दृष्टिकोण से अति सुंदर व अद्वितीय है। बिना किसी रसायन के प्रयोग या अन्य पॉलिश के प्रतिमा की चमक पूर्ववत है। भगवान श्री कृष्ण शेषनाग के ऊपर कमल पीड़िका पर वंशीवादन नृत्य करते विराजमान हैं। भूगर्भ में गड़े होने के कारण शेषनाग दृष्टिगोचर नहीं होते हैं।

 

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