पूरी विधि विधान के साथ हुई करम राजा की विदाई

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पूरी विधि विधान के साथ हुई करम राजा की विदाई

न्यूज़ मीडिया किरण संवाददाता

चाईबासा: चाईबासा के आदिवासी उरांव समाज के सातों अखाड़ा (बान टोला, मेरी टोला, चित्रो टोला, पुलहातु, तेलंगाखोरी, कुम्भार टोली एवं नदीपार) में प्राकृतिक का महापर्व करमा पर्व पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। पूरे रात अखाड़ा में करमा डाल के ईद गिर्द नाचते हुए, गाते हुए, रात बीत जाने के बाद सुबह से ही विसर्जन की तैयारी में लग गए।पांच दिनों के नियमोंचार के बाद आज पूरे हर्षोल्लाह के साथ नाच गान वाद्य यंत्र बजाते हुए करमा डाल का विसर्जन स्थानीय रोरो नदी में किया गया। करमा का त्यौहार आदिवासी उरांव समाज जावा जागरण से ही आरंभ करते हैं। विदित हो कि करमा पूजा आदिवासियों विशेषकर उरांव समुदाय का एक महान धार्मिक त्योहार है। वैसे तो अन्य समुदाय भी यथा कुड़मी, भूमिज, खड़िया, कोरबा, कुरमाली आदि भी इस धार्मिक त्योहार को मनाते हैं। यह कर्मा त्यौहार भादो महीने के शुक्ल पक्ष के एकादशी के दिन सर्वत्र काफी धूमधाम से मनाया जाता है। आदिवासी उरांव समुदाय आरंभ से ही कृषि को मुख्य जीवन यापन का साधन मानते आए हैं, इस भादो महीने तक खेतों में धान की नई फसल तैयार हो जाती है, फसल की इस नावागमन का स्वागत करते हुए भी हम नाचते-गाते हुए करम त्यौहार की खुशियां मनाते है। इस करम त्यौहार में बहने अपने भाई की दीर्घायु एवं सुख-समृद्धि की कामना करती है। परंपरा है कि भादो एकादशी के 5 दिन पूर्व कुंवारी लड़कियां नदी से टोकरी में बालू लाकर पुजारी पहन के घर तड़के ही जावा ( चना,मकई,जौ, गेहूं,उड़द) 5 दिनों तक रोपते हैं पुराने नियम से उसे जावा को धूवन-धूप देकर नाच-गाकर सेवा किया जाता है l इन पांच दिनों में घर भर के साथ-साथ लड़कियों का भी स्वच्छता पर विशेष ख्याल रखा जाता है। भादो एकादशी के दिन पांच, सात कुंवारे लड़के उपवास रखकर करम डाल काटने जाते है, जिस पेड़ से यह डाल काटा जाता है उससे पहले क्षमायाचना की जाती है, ( क्योंकि हम प्रकृति के पुजारी है ) तत्पश्चात धर्मेश( ईश्वर)की आराधना कर विधिवत पूजा अनुष्ठान कर तीन डालियों को काटा जाता है, डालियो को पीछे से पहुंची कुंवारी लड़कियों के हाथों में सौंपा जाता है, इसके बाद पूरा एकत्रित भीड़ उस करम देव (डाल) को रीझ-ढंग से नाचते-गाते हुए पूजा स्थल अखाड़े तक लाते हैं, और उसे गडकर स्थापित किया जाता है, इर्द-गिर्द जावा की टोकरियों ( जिसमें अब तक छोटे-छोटे पौधे अंकुरित हो गए होते हैं) को रखकर पूरे विधि विधान से पूजा अर्चना करते हैं,और पूरी रात नाच गाकर खुशियां मनाते हैं। दूसरे दिन यानी आज अपने-अपने टोला बस्ती के विभिन्न मार्गो से गुजरते हुए जहां घर-घर से समाज की युक्तियां लोग निकल कर करमा डाल की पूजा अर्चना करते हैं और उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं, फिर उसी हर्षोल्लास के साथ नियम करते हुए नाचते-गाते हुए करम राजा (करम डाल) का विसर्जन किया गया।

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