हरितालिका तीज:सौभाग्य का पर्व

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हरितालिका तीज: कुंवारी कन्याओं के लिए वर और विवाहित महिलाओं के लिए सौभाग्य का पर्व   

न्यूज़ मीडिया किरण संवाददाता

नई दिल्ली:भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरितालिका तीज का व्रत मनाया जाता है। इस वर्ष यह व्रत 6 सितंबर, शुक्रवार को है। हरितालिका तीज का व्रत विशेष रूप से कुंवारी कन्याओं के लिए मनचाहे वर की प्राप्ति और विवाहित महिलाओं के लिए अखंड सौभाग्य की कामना करने का अवसर है।

व्रत की विधि

हरितालिका तीज का व्रत विधि-विधान से करने के लिए निम्नलिखित चरणों का पालन करें:

1. *निर्जल व्रत*: इस दिन महिलाएं निर्जल रहकर व्रत करती हैं, जिसका अर्थ है कि वे बिना कुछ खाए-पिए रहेंगे।

2. *प्रतिमा निर्माण*: इस दिन महिलाएं बालूरेत से भगवान शिव और माता पार्वती की मूर्तियाँ बनाती हैं। घर को साफ-सुथरा करके तोरण-मंडप सजाना चाहिए। एक पवित्र चौकी पर शुद्ध मिट्टी में गंगाजल मिलाकर शिवलिंग, रिद्धि-सिद्धि सहित गणेश, पार्वती और उनकी सखियों की आकृतियाँ बनाएं।

3. *पूजन विधि*: प्रतिमाएं बनाते समय भगवान का स्मरण करें और देवताओं का आह्वान कर षोडशोपचार पूजन करें। यह पूजा रातभर चलती है, जिसमें महिलाएं जागरण करती हैं और कथा-पूजन के साथ कीर्तन करती हैं। प्रत्येक प्रहर में भगवान शिव को विभिन्न वनस्पतियाँ जैसे बिल्व-पत्र, आम के पत्ते, चंपक के पत्ते और केवड़ा अर्पित किया जाता है।

4. *मंत्र उच्चारण*: भगवती-उमा की पूजा के लिए निम्नलिखित मंत्रों का जाप करें:
  - ऊं उमायै नमः
  - ऊं पार्वत्यै नमः
  - ऊं जगद्धात्र्यै नमः
  - ऊं जगत्प्रतिष्ठयै नमः
  - ऊं शांतिरूपिण्यै नमः
  - ऊं शिवायै नमः

  भगवान शिव की आराधना के लिए ये मंत्र बोलें:
  - ऊं हराय नमः
  - ऊं महेश्वराय नमः
  - ऊं शम्भवे नमः
  - ऊं शूलपाणये नमः
  - ऊं पिनाकवृषे नमः
  - ऊं शिवाय नमः
  - ऊं पशुपतये नमः
  - ऊं महादेवाय नमः

5. *व्रत समाप्ति*: पूजा के दूसरे दिन सुबह व्रत समाप्त होता है, तब महिलाएं अपना व्रत खोलती हैं और अन्न ग्रहण करती हैं।

निष्कर्ष

हरितालिका तीज का व्रत न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह महिलाओं के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर भी है, जिससे वे अपने परिवार के लिए सुख, समृद्धि और खुशियों की कामना कर सकती हैं। इस व्रत के माध्यम से महिलाएं अपने सामर्थ्य और सामंजस्य को भी प्रकट करती हैं।

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