ईरान-इजरायल युद्ध का असर: कच्चे तेल की कीमतों में तेजी, भारत पर भी पड़ेगा असर
वैश्विक टेंशन के बीच कच्चे तेल की कीमतों में तेजी
न्यूज़ मीडिया किरण संवाददाता
नई दिल्ली:ईरान और इजरायल के बीच चल रहे युद्ध का असर अब वैश्विक बाजारों में दिखाई देने लगा है। 1 अक्टूबर को ईरान ने इजरायल पर लगभग 200 से अधिक मिसाइलें दागी, जिसके बाद इजरायल ने ईरान को गंभीर परिणाम भुगतने की चेतावनी दी है। इस संघर्ष ने वैश्विक जियो-पॉलिटिकल टेंशन को और बढ़ा दिया है, जिससे कच्चे तेल की कीमतों में तेजी आई है।
कच्चे तेल की कीमतों में जोरदार इजाफा
हाल ही में कच्चे तेल की कीमतों में लगभग 5% का उछाल आया है। डब्ल्यूटीआई क्रूड के दाम 3.7% बढ़कर 70.11 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गए हैं, जबकि ब्रेंट क्रूड के दाम 4-5% बढ़कर 74.84 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गए हैं। इस वृद्धि का असर अमेरिकी शेयर बाजार पर भी पड़ा, जहां टेक कंपनियों जैसे एप्पल और एनवीडिया के शेयरों में गिरावट देखी गई।
ईरान की लड़ाई से कच्चे तेल के दाम पर असर
दुनिया भर में कच्चे तेल की सप्लाई का एक तिहाई हिस्सा ईरान से आता है, और यह OPEC का एक प्रमुख सदस्य है। ईरान की मौजूदा स्थिति के कारण, अन्य देशों को कच्चा तेल महंगा मिलेगा, जिससे वैश्विक बाजार में अस्थिरता बढ़ रही है।
भारत पर संभावित प्रभाव
भारत, जो कि दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा ऑयल इंपोर्टर है, ईरान से तेल आयात नहीं करता। हालांकि, भारत ने 2019 से ईरान से तेल लेना बंद कर दिया था जब अमेरिका ने ईरान पर प्रतिबंध लगाए थे। इसलिए, भले ही भारत प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित न हो, लेकिन वैश्विक टेंशन के कारण उसे भी आर्थिक प्रभाव झेलना पड़ सकता है।
पेट्रोल-डीजल की कीमतों में वृद्धि का खतरा
भारत में पेट्रोल और डीजल के दाम घटने की उम्मीद अब सवालों के घेरे में आ गई है। वैश्विक सप्लाई चेन में गड़बड़ी और कच्चे तेल की कीमतों में वृद्धि से देश में ईंधन की कीमतें बढ़ सकती हैं।
भारत के लिए राहत का स्रोत
हालांकि, भारत के पास एक राहत देने वाला तथ्य है। रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद, रूस अब भारत का शीर्ष कच्चे तेल सप्लायर बन गया है, जिससे भारत अपनी कच्चे तेल की जरूरतों का करीब 40% आयात करता है। इसके बाद इराक का नाम आता है, जहां से भारत अपनी आवश्यकताओं का लगभग 20% आयात करता है।
निष्कर्ष
ईरान-इजरायल युद्ध ने वैश्विक बाजारों में एक नई अस्थिरता पैदा कर दी है, जिससे कच्चे तेल की कीमतें तेजी से बढ़ रही हैं। भारत को भी इस स्थिति का सामना करना पड़ सकता है, जिससे पेट्रोल-डीजल की कीमतों पर दबाव बढ़ सकता है। ऐसे समय में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि भारत अपनी ऊर्जा सुरक्षा को कैसे सुनिश्चित करता है और वैश्विक टेंशन के बीच अपने हितों की रक्षा कैसे करता है।
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