टाटा स्टील फाउंडेशन और स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक ने झारखंड में इंटीग्रेटेड वाटरशेड और जलवायु संरक्षण परियोजना पर सहयोग किया
टाटा स्टील फाउंडेशन और स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक ने झारखंड में इंटीग्रेटेड वाटरशेड और जलवायु संरक्षण परियोजना पर सहयोग किया
वाटरशेड परियोजना के क्षेत्र में मिट्टी और जल संसाधनों के संरक्षण का लक्ष्य
न्यूज़ मीडिया किरण संवाददाता
जमशेदपुर/रांची: टाटा स्टील फाउंडेशन और स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक ने 23 अगस्त, शुक्रवार को झारखंड के पश्चिम सिंहभूम जिले के नोआमुंडी ब्लॉक में इंटीग्रेटेड वाटरशेड और जलवायु संरक्षण परियोजना को लागू करने के लिए एक नया सहयोगात्मक प्रयास शुरू किया है। इस पहल का लक्ष्य वाटरशेड परियोजना क्षेत्र में मिट्टी और जल संसाधनों का संरक्षण करना और 15 गांवों के 1500 परिवारों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ करना है।
यह कार्यक्रम स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक की सस्टेनेबिलिटी पहलों के साथ पूरी तरह से जुड़ा हुआ है, जिसमें एक महत्वाकांक्षी डब्ल्यू.ए.एस.एच.ई (WASHE) कार्यक्रम भी शामिल है। यह कार्यक्रम 11 भारतीय राज्यों में जल संकट और स्वच्छता की चुनौतियों का समाधान करता है। आकांक्षी जिलों पर विशेष ध्यान देते हुए, स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक का उद्देश्य 32 जिलों को सूखा-मुक्त बनाना है और इस पहल के तहत, अब तक 15 लाख से अधिक लोगों तक पहुंच बनाकर, विशेष रूप से महिलाओं के सशक्तिकरण को बढ़ावा देना है।
झारखंड में यह वाटरशेड मैनेजमेंट कार्यक्रम क्षेत्र में जल प्रबंधन, मिट्टी संरक्षण, और सामुदायिक भागीदारी पर सकारात्मक प्रभाव डालने के लिए तैयार है। इन गहन प्रयासों का उद्देश्य परिदृश्य में महत्वपूर्ण बदलाव लाना और स्वच्छ जल और स्वच्छता से संबंधित सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करना है। प्रमुख पहलों में समुदाय को जल संचयन और संरक्षण की विधियों के बारे में जागरूक करना शामिल है, जिससे जल-संरक्षण की विधियों को व्यापक रूप से अपनाया जा सके।
मिट्टी संरक्षण के लिए खेत की मेड़, खेत तालाब, ट्रेंच-कम-बंड (TCB), और कंटूर ट्रेंच जैसी तकनीकों का प्रभावी उपयोग किया गया है। इन उपायों से मिट्टी के कटाव को रोकने और जल धारण क्षमता को बढ़ाने में मदद मिली है, जो सूखे के दौरान कृषि कार्यों के लिए एक आवश्यक संसाधन प्रदान करता है। ये हस्तक्षेप एक सूखा-प्रवण कृषि क्षेत्र में पारिस्थितिक संतुलन बहाल करने का लक्ष्य रखते हैं, जहां लंबे समय से स्वास्थ्य और आजीविका से जुड़ी चुनौतियों का सामना किया जा रहा है।
अगले तीन वर्षों में, इस कार्यक्रम के तहत 1500 हेक्टेयर भूमि को विभिन्न मिट्टी और नमी संरक्षण तकनीकों से संरक्षित किया जाएगा, 19.43 मिलियन क्यूबिक फीट जल भंडारण क्षमता का निर्माण किया जाएगा, और 1500 किसान परिवारों को कृषि गतिविधियों में शामिल किया जाएगा, जिससे उनकी वार्षिक आय में 1 लाख रुपये की वृद्धि हो सके। इसके अतिरिक्त, 656 एकड़ भूमि को सिंचित भूमि में परिवर्तित किया जाएगा, और किसानों को मौसम आधारित परामर्श सेवाएं प्रदान की जाएंगी, साथ ही उन्हें जलवायु-अनुकूल कृषि अपनाने के लिए प्रेरित किया जाएगा।
परियोजना के अंतर्गत, सात गांवों में वाटरशेड समितियों का गठन किया जाएगा, जो वाटरशेड गतिविधियों की योजना और क्रियान्वयन में सक्रिय भूमिका निभाएंगी। इस पहल का उद्देश्य भूजल स्तर में 2 से 3 मीटर तक की वृद्धि करना है, जिससे जल संसाधनों की निरंतरता सुनिश्चित हो सके।
सौरव रॉय, चीफ एग्जीक्यूटिव ऑफिसर, टाटा स्टील फाउंडेशन ने कहा, “हम मानते हैं कि दीर्घकालिक समाधान तभी संभव हैं जब हम सामूहिक रूप से विचार-विमर्श करें और प्रभावी तरीकों से समुदायों के साथ मिलकर चुनौतियों का सामना करें। जल संरक्षण हमारी सस्टेनेबिलिटी, कृषि, और पारिस्थितिक संतुलन से जुड़ी गतिविधियों का प्रमुख पहलू रहा है। हम एक ऐसी यात्रा पर निकले हैं जो आने वाले वर्षों में भूजल पुनर्भरण की क्षमता को अधिकतम करने में सहायक होगी। हम स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक के प्रति आभारी हैं, जिन्होंने हम पर विश्वास जताया और इस परिवर्तनकारी मॉडल को लागू करने में सहयोग किया, जो न केवल पर्यावरणीय सस्टेनेबिलिटी को बढ़ावा देगा, बल्कि हमारे समुदायों के जीवनस्तर में भी सुधार करेगा।”
करुणा भाटिया, हेड - सस्टेनेबिलिटी, स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक और ग्लोबल बिजनेस सर्विसेज, इंडिया ने कहा, “टाटा स्टील फाउंडेशन के साथ नोआमुंडी इंटीग्रेटेड वाटरशेड और जलवायु संरक्षण परियोजना पर यह साझेदारी एक सशक्त उदाहरण है कि कैसे सहयोगात्मक प्रयास परिवर्तनकारी बदलाव ला सकते हैं। स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक की प्रभावी डब्ल्यू.ए.एस.एच.ई (WASHE) पहलों के प्रति प्रतिबद्धता और टाटा स्टील फाउंडेशन की स्थानीय संदर्भ की गहरी समझ का संयोजन जल सुरक्षा और कृषि उत्पादकता को बेहतर बनाएगा और साथ ही समुदायों को एक अधिक दृढ़ और सशक्त भविष्य के निर्माण में सक्षम बनाएगा। यह परियोजना बैंक की सतत विकास और समानता की दिशा में प्रतिबद्धता के साथ पूरी तरह से मेल खाती है।”
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