ब्याज दरें 'कहीं अधिक सस्ती' होनी चाहिए: निर्मला सीतारमण

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न्यूज़ मीडिया किरण संवाददाता

*नई दिल्ली:* वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को बैंक ब्याज दरों को "कहीं अधिक किफायती" बनाने की आवश्यकता पर जोर दिया, यह बताते हुए कि उधारी की लागत कई लोगों के लिए "बहुत तनावपूर्ण" हो गई है। उन्होंने एसबीआई कॉन्क्लेव में कहा कि भारत को तेजी से विकास और नई सुविधाओं में निवेश के लिए ब्याज दरों में कमी की आवश्यकता है ताकि 'विकसित भारत' का लक्ष्य हासिल किया जा सके।

उधारी की लागत और उद्योग की वृद्धि

सीतारमण ने कहा, "जब आप भारत की वृद्धि जरूरतों को देखते हैं तो कई आवाजें उठ रही हैं कि उधारी की लागत बहुत तनावपूर्ण है। ऐसे समय में जब हम चाहते हैं कि उद्योग तेजी से आगे बढ़ें और निर्माण क्षमता को बढ़ाएं, बैंक ब्याज दरों को कहीं अधिक किफायती बनाना होगा।" उन्होंने इस मुद्दे पर अधिक चर्चा करने की आवश्यकता पर बल दिया।

खाद्य कीमतें और मुद्रास्फीति

वित्त मंत्री ने खाद्य कीमतों को नियंत्रित करने के लिए ब्याज दरों का उपयोग करने पर भी चर्चा की। उन्होंने कहा कि सरकार मूल्य वृद्धि को रोकने के लिए खाद्य आपूर्ति के मुद्दों को हल करने के उपाय कर रही है। उन्होंने उल्लेख किया कि तीन खराब होने वाले उत्पाद - टमाटर, प्याज और आलू - मुद्रास्फीति के आंकड़ों पर दबाव डाल रहे हैं, जबकि अन्य उत्पादों के लिए यह आंकड़ा चार प्रतिशत या तीन प्रतिशत के निचले स्तर पर है।

आर्थिक संकेतक और मंदी की चिंताएँ

सीतारमण ने कुछ आर्थिक संकेतकों में नरमी के हालिया संकेतों से उत्पन्न मंदी की चिंताओं को दूर करने की कोशिश की। उन्होंने कहा, "चिंता की कोई वजह नहीं है। भारत की अर्थव्यवस्था लचीली बनी हुई है, जो मजबूत वृहद आर्थिक बुनियाद से समर्थित है।" उन्होंने मुद्रास्फीति में कमी, मजबूत बाहरी स्थिति और राजकोषीय मजबूती का उल्लेख किया।

बैंकों द्वारा बीमा बेचने का मुद्दा

वित्त मंत्री ने बैंकों द्वारा बीमा को गलत तरीके से बेचने का मुद्दा भी उठाया। उन्होंने कहा कि बैंकों को जमा राशि जुटाने और उधार देने के अपने मुख्य व्यवसाय पर ध्यान देना चाहिए। सीतारमण ने बताया कि गलत बिक्री ने अप्रत्यक्ष तरीकों से उपभोक्ता उधारी की लागत में वृद्धि की है।

निष्कर्ष

सीतारमण की टिप्पणियाँ ऐसे समय में आई हैं जब बैंक अपनी जमा राशि को ऋण के समान गति से बढ़ाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। हाल के वर्षों में, बैंकों ने बीमा निवेश उत्पादों पर जोर दिया है, जिससे ग्राहकों को पॉलिसी खरीदने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। हालांकि, बीमा पॉलिसियों के सबसे बड़े वितरक बनने के बावजूद, गलत बिक्री के लिए बैंकों को दंडित किए जाने का कोई मामला सामने नहीं आया है।

इस प्रकार, वित्त मंत्री का बयान भारतीय अर्थव्यवस्था और बैंकिंग क्षेत्र में सुधार की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाने का संकेत देता है।

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