Navratri start-आज धरती पर अवतरित होंगे महालय, डोली पर आएंगी मां दुर्गा
न्यूज़ मीडिया किरण संवाददाता
रांची: आज महालया है. लोग मां के आगमनी का संदेश सुनेंगे. चंडी पाठ होगा. लोग पितरों की विदाई देंगे. साथ ही उनसे पूरे परिवार की रक्षा के लिए कामना करेंगे. दूसरी ओर माता आगमन की खुशी का उल्लास होगा. इस अवसर पर विभिन्न बांग्ला मंडपों में महिषासुर मर्दिनी का मंचन होगा. बांग़्ला मंडपों में इसकी रिकॉर्डिंग बजायी जायेगी. वहीं गुरुवार से शारदीय नवरात्र शुरू हो रहा है. भक्तों में नवरात्र को लेकर खासा उत्साह दिख रहा है. सभी मां की आराधना की तैयारी में जुट गये हैं. तीन अक्तूबर को कलश स्थापना होगा. पहले दिन मां दुर्गा के पहले स्वरूप शैलपुत्री की पूजा होगी. देवी को चंदन, त्रिफला और कनगी अर्पित करने का महत्व है.
प्रात:काल से होगी मां की अराधना शुरू
गुरुवार सुबह 6:06 बजे से मां की आराधना शुरू हो जायेगी. रात 1.11 बजे तक प्रतिपदा तिथि मिल रही है, जिस कारण भक्तों को पूजा-अर्चना के लिए काफी समय मिल रहा है. दोपहर 3:17 बजे तक कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त है. पंडित कौशल कुमार मिश्र ने कहा कि नवरात्र के पहले दिन दोपहर 3.18 बजे तक हस्ता नक्षत्र रहेगा. इसके बाद चित्रा लग जायेगा, जिसे काफी शुभ माना जा रहा है. इसके अलावा ऐंद्र योग है, जो इस दिन को और शुभ बना रहा है. इस नवरात्र में चतुर्थी तिथि की वृद्धि है और नवमी तिथि का क्षय है.
मां का आगमन और गमन जानिए
वाराणसी पंचांग के अनुसार इस वर्ष मां का आगमन दोला (डोली) और गमन चरणायुद्ध (मुर्गा) पर हो रहा है. आगमन और गमन यानी दोनों को शुभ नहीं माना जा रहा है. नवरात्र के पहले दिन अभिजीत मुहूर्त का समय दिन के 11.36 से 12.22 बजे तक है. वहीं बांग्ला पंचांग के अनुसार माता का आगमन डोली पर हो रहा है. इसका फल मड़क है. वहीं गमन घटक है. इसका फल छत्रभंग है. मिथिला पंचांग के अनुसार माता का आगमन डोली और गमन मुर्गा पर हो रहा है, जो शुभ नहीं है.
आठ को बेलवरण, 12 को विजयादशमी
आठ अक्तूबर को बेलवरण है. इस दिन शाम में बेलवरण अनुष्ठान के बाद मां का पट खोल दिया जायेगा. बेल सहित अन्य वृक्षों की पूजा-अर्चना कर उसमें वास करनेवाले सभी को पूजा में शामिल होने के लिए आमंत्रण दिया जायेगा. वहीं 10 अक्तूबर को नवपत्रिका प्रवेश होगा. इसी दिन महानिशा पूजा होगी. 11 अक्तूबर को महाअष्टमी व्रत है. इसी दिन नवमी का पूजन व हवन भी होगा. 12 अक्तूबर को विजयादशमी है.
नवरात्र की पूजन सामग्री
कलश, दीया, रोड़ी, सिंदूर, अबीर, गुलाल, हल्दी चूर्ण, कपूर, गंगा जल, मधु, पंच मेवा, मौली, गुड़, सुपाड़ी, लौंग, इचाइयची, घी, अगरबत्ती, अरवा चावल, सप्तघान, सप्तमृतिका, पंच रत्न, सर्व औषधी, चुनरी, माला, जनेऊ, जौ, हल्दी गोटा, शालु कपड़ा, गुलाब जल, कुश, चंदन, गाय का गोबर, गौ मूत्र, आम पल्लव, फल, मिठाई, आसन, माता की प्रतिमा व फोटो, चौकी व पाटा.
किस तारीख को कौन तिथि
तीन अक्तूबर : प्रतिपदा (रात 1.11 बजे तक)
चार अक्तूबर : द्वितीया (रात 3.10 बजे)
पांच अक्तूबर: तृतीया (सुबह 4.55 बजे)
छह अक्तूबर : चतुर्थी (पूरी रात)
सात अक्तूबर : चतुर्थी (प्रात: 06.16 बजे तक)
आठ अक्तूबर : पंचमी (सुबह 07.12 बजे तक)
नौ अक्तूबर : षष्ठी (प्रात: 07.36 बजे तक)
10 अक्तूबर : सप्तमी (प्रात: 07.30 बजे तक)
11 अक्तूबर : अष्टमी (प्रात: 06.05 बजे तक)
12 अक्तूबर : नवमी (प्रात: 04.19 बजे तक)
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