गुरु गोबिंद सिंह महाराज का हुक्म- "सब सिक्खन को हुक्म है, गुरु मान्यो ग्रन्थ"

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"धुर की वाणी आई, तिन सगळी चिंत मिटाई" सबद गायन के साथ दो दिवसीय गुरता गद्दी दिहाड़ा संपन्न

न्यूज़ मीडिया किरण संवाददाता

जमशेदपुर।सिखों के पवित्र धर्म ग्रन्थ में दर्ज गुरबानी "धुर की वाणी आई, तिन सगळी चिंत मिटाई" सबद गायन के साथ दो दिवसीय गुरु ग्रन्थ साहिब जी का गुरता गद्दी दिहाड़ा (गुरगद्दी दिवस) साकची गुरुद्वारा साहिब में सोमवार शाम को संपन्न हो गया।  
धर्म प्रचार कमिटी अकाली दल, जमशेदपुर द्वारा साकची गुरुद्वारा प्रबंधक कमिटी के सहयोग से आयोजित कीर्तन दरबार में सोमवार को भी सुबह और शाम के दीवान में संगत बड़ी संख्या में उपस्थित होकर माथा टेका और गुरबाणी से जुडी रही। साकची गुरुद्वारा के स्थानीय कीर्तनीये भाई संदीप सिंह जवद्दीकलां ने "धुर की वाणी आई, तिन सगळी चिंत मिटाई, दइआल पुरख मिहरवाना, हरि नानक साचु वखाना" सबद गायन कर संगत को भक्तिरस में लीन रखा। जबकि अमृतसर मंजी साहिब गुरुद्वारा के कथावाचक भाई हरप्रीत सिंह वडाला ने एक बार फिर गुरु ग्रन्थ साहिब जी की अमरता और महानता से संगत को रु-ब-रु कराया।  
316वें गुरता गद्दी दिहाड़ा (गुरगद्दी दिवस) के दूसरे दिन कथावाचक भाई हरप्रीत सिंह वडाला मंजी साहिब वाले ने अपने प्रवचन में कहा की गुरु ग्रंथ साहिब में विभिन्न समुदाय और धर्मों के भक्तों की बाणी दर्ज होना इंगित करता है कि गुरु ग्रन्थ में ऊंच नीच का भेद समाप्त कर सभी को बराबर का दर्जा दिया है। हरप्रीत सिंह वडाला ने बताया कि दसवें गुरु श्री गुरु गोबिंद सिंह महाराज जी ने गुरु ग्रन्थ साहिब जी को गुरु की पदवी सौंपी थी और हुक्म दिया था "आज्ञा भय्यी अकाल की तबै चलायो पंथ, सब सिक्खन को हुक्म है, गुरु मान्यो ग्रन्थ।"   
अकाली दल, जमशेदपुर के प्रमुख सुखदेव सिंह खालसा के नेतृत्व में महासचिव रविंद्रपाल सिंह, जत्थेदार जरनैल सिंह, भाई रविंदर सिंह, ज्ञानी रामकिशन सिंह, हरजिंदर सिंह, भाई प्रितपाल सिंह, भाई गुरदेव सिंह, भाई अमृतपाल सिंह, भाई गुरदीप सिंह और हरजीत सिंह ने कोल्हान की संगत का धन्यवाद ज्ञापन किया।  
सोमवार को भी अमृतसर से सुप्रसिद्ध कथावाचक भाई हरप्रीत सिंह वडाला और ढाढ़ी जत्था निर्मल सिंह जेठूवाल के आलावा भाई गुरमेल सिंह मोगा, भाई गुरप्रीत सिंह संगत को निहाल करेंगे जबकि जमशेदपुर के स्थानीय कीर्तनीये भाई संदीप सिंह जवद्दीकलां और दर्शन सिंह सबद-कीर्तन द्वारा संगत गुरबाणी कीर्तन से निहाल किया। कीर्तन समागम के दूसरे दिन भी सुबह और शाम के दीवान में गुरु का अटूट लंगर बरताया गया।

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