मलेरिया पीड़ित बच्ची की इलाज के अभाव में मौत:

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मलेरिया पीड़ित बच्ची की इलाज के अभाव में मौत: पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन ने स्वास्थ्य सेवाओं में "परिवर्तन" की मांग उठाई

न्यूज़ मीडिया किरण संवाददाता

सरायकेला: "झारखंड में स्वास्थ्य तंत्र की स्थिति बेहद शर्मनाक है, खासकर आदिवासी क्षेत्रों में। यह घटना साबित करती है कि राज्य में परिवर्तन की जरूरत है," पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन ने सोमवार को साहिबगंज में एक दिल दहला देने वाली घटना पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा। साहिबगंज सदर अस्पताल में छह साल की मलेरिया पीड़ित बच्ची, गोमदी पहाड़िन, ने समुचित इलाज के अभाव में अपने पिता की गोद में दम तोड़ दिया।

बच्ची के पिता मथियस मालतो ने अस्पताल के डॉक्टरों पर लापरवाही का गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि उनकी बेटी की जान समय पर इलाज मिलने से बचाई जा सकती थी।

डॉक्टरों की तलाश में भटकता रहा पिता

मथियस मालतो, जो साहिबगंज के मंडरो प्रखंड के सिमरिया गांव के निवासी हैं, अपनी बेटी को मलेरिया के इलाज के लिए अस्पताल लेकर पहुंचे थे। अस्पताल में पहुंचने के बाद, वे अपनी बेटी को गोद में लिए कभी इमरजेंसी में, तो कभी ओपीडी में डॉक्टरों को ढूंढते रहे, लेकिन कहीं भी कोई डॉक्टर उपलब्ध नहीं था। उन्हें बताया गया कि उस समय अस्पताल के डॉक्टर पोस्टमॉर्टम हाउस में व्यस्त थे।

इलाज की कमी से बच्ची की मौत

करीब एक घंटे तक अस्पताल में डॉक्टरों की तलाश करने के बाद भी मथियस को कोई मदद नहीं मिली, और उनकी बेटी ने उनकी गोद में दम तोड़ दिया। मथियस ने आरोप लगाया कि अगर समय पर डॉक्टर मिल जाते और इलाज शुरू हो जाता, तो शायद उनकी बेटी की जान बचाई जा सकती थी। इस हृदयविदारक घटना से स्थानीय लोग आक्रोशित हैं और अस्पताल प्रशासन पर सवाल उठा रहे हैं।

स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार की मांग

इस घटना ने एक बार फिर झारखंड के सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी और स्वास्थ्य सेवाओं की खराब स्थिति को उजागर किया है। स्थानीय निवासियों ने अस्पताल प्रशासन के खिलाफ नाराजगी जाहिर की और बेहतर चिकित्सा सुविधाओं की मांग की है।

चंपई सोरेन सहित कई नेताओं ने राज्य में स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार की मांग उठाई है, ताकि भविष्य में ऐसी दुखद घटनाओं को रोका जा सके। इस घटना ने झारखंड के स्वास्थ्य तंत्र की स्थिति को लेकर गहन विचार की जरूरत को उजागर कर दिया है।

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