प्रशांत किशोर ने लॉन्च की जन सुराज पार्टी: बिहार की राजनीति में नई शुरुआत
न्यूज़ मीडिया किरण संवाददाता
*पटना: राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने आज पटना में अपनी नई राजनीतिक पार्टी *जन सुराज पार्टी* का औपचारिक उद्घाटन किया। इस अवसर पर उन्होंने बिहार के लोगों से "जय बिहार" का नारा लगाने का आग्रह किया, जिससे यह संदेश उन राज्यों में पहुंचे जहां बिहारी लोगों के साथ दुर्व्यवहार हो रहा है।
मनोज भारती बने पहले अध्यक्ष
जन सुराज पार्टी के पहले अध्यक्ष के रूप में *मनोज भारती* को चुना गया है, जो मधुबनी जिले के रहने वाले हैं और दलित समाज से आते हैं। मनोज भारती एक प्रतिष्ठित भारतीय विदेश सेवा (IFS) अधिकारी रहे हैं और उन्होंने चार देशों में राजदूत के रूप में कार्य किया है। पार्टी की स्थापना समारोह में कई प्रमुख हस्तियों की उपस्थिति रही।
पांच सूत्री विकास मंत्र
प्रशांत किशोर ने पार्टी के गठन के साथ ही बिहार के लिए *पांच सूत्री विकास मंत्र* प्रस्तुत किए, जिसमें युवाओं, किसानों, बुजुर्गों और महिलाओं के लिए अलग-अलग कार्ययोजनाएं शामिल हैं। उन्होंने कहा कि बिहार के लोग अब दिल्ली की मेहरबानी पर निर्भर नहीं रहेंगे और खुद को सक्षम बनाएंगे।
शराबबंदी और शिक्षा पर जोर
किशोर ने यह भी घोषणा की कि यदि उनकी पार्टी सत्ता में आती है, तो वे एक घंटे के अंदर शराबबंदी को समाप्त करेंगे और उससे प्राप्त टैक्स का उपयोग शिक्षा व्यवस्था को सुधारने में करेंगे। उन्होंने कहा कि बिहार को विश्वस्तरीय शिक्षा व्यवस्था की आवश्यकता है, जिसके लिए 5 लाख करोड़ रुपये की आवश्यकता होगी।
उपचुनाव की योजना
प्रशांत किशोर ने यह भी बताया कि उनकी पार्टी 2024 में बिहार की चार विधानसभा सीटों—रामगढ़, तरारी, बेलागंज और इमामगंज—पर उपचुनाव लड़ेगी। उन्होंने कहा कि जन सुराज पार्टी अपने उम्मीदवारों का चयन अमेरिकी मॉडल के अनुसार करेगी, जिसमें प्रत्याशी जनता द्वारा चुने जाएंगे।
झंडे में गांधी और अंबेडकर
जन सुराज पार्टी के आधिकारिक झंडे में महात्मा गांधी और बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर की तस्वीरें होंगी, जो सामाजिक न्याय और समानता का प्रतीक हैं।
निष्कर्ष
प्रशांत किशोर ने अपनी नई पार्टी के माध्यम से बिहार की राजनीति में एक नया अध्याय शुरू किया है। उनके विचारों और योजनाओं ने राज्य के लोगों को एक नई उम्मीद दी है कि वे अपने अधिकारों और विकास के लिए एकजुट हो सकते हैं। जन सुराज पार्टी का गठन न केवल राजनीतिक बदलाव का संकेत है, बल्कि यह सामाजिक परिवर्तन की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम है।
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