जमशेदपुर में भाजपा नेता विकास सिंह बने बागी, चुनावी मैदान में उतरने का किया ऐलान

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न्यूज़ मीडिया किरण संवाददाता

जमशेदपुर।भाजपा नेता विकास सिंह, जो जमशेदपुर में एक प्रमुख राजनीतिक चेहरा हैं, ने हाल ही में अपनी बागी स्थिति की घोषणा की है। उन्होंने यह भी बताया कि वह अपने 42 वर्ष की उम्र में पहला चुनाव लड़ने जा रहे हैं और इसके लिए नामांकन पत्र खरीदने के लिए उपायुक्त कार्यालय पूर्वी सिंहभूम पहुंचे।

गिरफ्तारी का मामला

विकास सिंह की यह घोषणा तब आई जब उन्हें मानगो थाने की पुलिस ने उनके आवास से गिरफ्तार कर लिया। उन्होंने आरोप लगाया कि यह गिरफ्तारी राजनीतिक दबाव का परिणाम है। पिछले पांच वर्षों से वह और उनका परिवार मानसिक प्रताड़ना का सामना कर रहे हैं, खासकर स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता के खिलाफ उनकी सक्रियता के कारण।

स्थानीय पहचान और सक्रियता

विकास सिंह को एक जमीनी नेता माना जाता है और उनकी मानगो तथा जमशेदपुर पश्चिम विधानसभा क्षेत्र में अच्छी पकड़ है। स्थानीय लोग अक्सर उन्हें मदद के लिए बुलाते हैं, और वह सड़क जाम, नाली की समस्याएं, और पुलिस की अनदेखी जैसे मुद्दों पर सक्रिय रूप से काम करते हैं।

वह हमेशा अपने क्षेत्र के लोगों के लिए संघर्षरत रहते हैं और लगभग हर दिन समाचारों में दिखाई देते हैं। उन्होंने कहा कि वह हर मंगलवार को हनुमान जी की पूजा करने जाते हैं, और उसी दिन पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार किया। उनका आरोप है कि पुलिस उनके घर के बाहर घात लगाकर बैठी थी।

राजनीतिक संघर्ष और भविष्य

गिरफ्तारी के बाद, विकास सिंह ने कहा कि अगर उन्हें जमानत नहीं मिली, तो वह जेल में रहते हुए भी स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता के खिलाफ अपनी लड़ाई जारी रखेंगे। वह अक्सर बन्ना गुप्ता के खिलाफ मोर्चा खोलते हैं और उनकी कार्यों की खामियों को उजागर करते हैं।

इस स्थिति से स्पष्ट होता है कि विकास सिंह न केवल एक सक्रिय नेता हैं बल्कि अपने क्षेत्र में स्थानीय मुद्दों के प्रति भी सजग हैं। यदि वह बागी नेता के रूप में चुनाव लड़ते हैं, तो यह भाजपा सहित अन्य नेताओं के लिए चुनौती बन सकता है।

संभावित प्रभाव

भाजपा के भीतर विकास सिंह की बागी भूमिका से पार्टी को संभावित नुकसान हो सकता है, खासकर यदि वह स्थानीय लोगों के बीच अपनी लोकप्रियता को बढ़ाने में सफल होते हैं। उनके समर्थक इस बात पर जोर दे रहे हैं कि विकास सिंह की गिरफ्तारी से जनता में आक्रोश बढ़ सकता है, जो आगामी चुनावों में भाजपा के लिए एक गंभीर चुनौती बन सकता है।

इस प्रकार, विकास सिंह की कहानी न केवल व्यक्तिगत संघर्ष की है, बल्कि यह राजनीतिक गतिशीलता और स्थानीय नेतृत्व की भी एक मिसाल पेश करती है। अब देखना यह होगा कि क्या वह अपनी बागी स्थिति का लाभ उठाकर चुनावी मैदान में सफल होते हैं या नहीं।

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