मंत्री इरफान अंसारी के विवादित बयान मामले में राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग ने लिया संज्ञान, मुख्य सचिव-डीजीपी से मांगी रिपोर्ट….
न्यूज़ मीडिया किरण संवाददाता
राँची।झारखण्ड में हेमंत सरकार के कैबिनेट मंत्री और कांग्रेस के जामताड़ा विधायक इरफान अंसारी का विवादास्पद बयान तूल पकड़ने लगा है।एक तरफ बीजेपी इरफान अंसारी पर हमलावर है, वहीं दूसरी ओर राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग ने राज्य के मुख्य सचिव, कैबिनेट सचिव, डीजीपी और जामताड़ा के डीसी-एसपी को चिट्ठी लिखकर तीन दिनों के अंदर रिपोर्ट तलब किया है।इरफान अंसारी के द्वारा भाजपा नेत्री (जेएमएम सुप्रीमो की बड़ी बहू ) सीता सोरेन को लेकर की गई अमर्यादित टिप्पणी के बाद स्वतः संज्ञान लिया गया है।अनुसंधान अधिकारी पीके दास के द्वारा जारी किए गए इस नोटिस में कहा गया है कि विभिन्न समाचार पत्रों में प्रकाशित समाचार एवं न्यूज चैनलों में दिखाए जा रहे इरफान अंसारी के सीता सोरेन पर दिए गए विवादित बयान का हवाला देते हुए निर्धारित समय के अंदर रिपोर्ट देने को कहा है आयोग ने इस मामले की जांच करने का निश्चय किया है,यदि नियत अवधि में आयोग को अधिकारियों के द्वारा रिपोर्ट नहीं दी जाती है तो राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग को प्रदत्त सिविल न्यायालय की शक्तियों के तहत आयोग के समक्ष उपस्थित होने के लिए सम्मन जारी भी किया जा सकता है।
विवादित बयान को लेकर हेमंत सरकार के ग्रामीण विकास मंत्री इरफान अंसारी की मुश्किलें कम होती नहीं दिख रही है। बीजेपी के द्वारा सवाल खड़े किए जाने के बाद यह मामला चुनाव आयोग से लेकर राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग तक पहुंच चुका है।राज्य सरकार द्वारा रिपोर्ट सौंपे जाने के बाद आयोग स्वत:संज्ञान के तहत आरोपी विधायक को सुनवाई के लिए उपस्थित होना पड़ सकता है। हालांकि विवाद में आने के बाद इरफान अंसारी बीजेपी पर वीडियो तोड़ मरोड़कर जारी करने का आरोप लगाते हुए इस तरह के बयान से साफ इनकार कर रहे हैं। इधर कांग्रेस अपने विधायक के बचाव में उतर आई है और चुनाव आयोग के समक्ष ज्ञापन देकर बीजेपी पर जान बूझकर इरफान अंसारी को बदनाम करने का आरोप लगाया है।
इधर चुनाव आयोग भी यह मामला प्रकाश में आने के बाद से गंभीर है। मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय ने जामताड़ा जिला प्रशासन को इस संदर्भ में एक्शन टेकेन रिपोर्ट तलब किया है। संभावना यह जताई जा रही है कि इरफान अंसारी पर आदर्श आचार संहिता मामले में जिला प्रशासन के द्वारा जल्द ही कांड दर्ज किया जायेगा।
अपर मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी डॉ. नेहा अरोड़ा ने कहा है कि विधानसभा चुनाव के दौरान राजनीतिक दलों और प्रत्याशियों द्वारा किसी की भावना को आहत करने वाले बयान से बचना चाहिए।ऐसा बयान आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन है। इसके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर कार्रवाई होगी।उन्होंने कहा कि इस संबंध में पूर्व में ही एडवाइजरी जारी की जा चुकी है।चुनाव आयोग के इन दिशा-निर्देशों को दोबारा राजनीतिक दलों और प्रत्याशियों को उपलब्ध कराया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग के दिशा निर्देश में मुख्य रूप से कहा गया है कि मतदाताओं की जातिगत/सांप्रदायिक भावानाओं के आधार पर कोई अपील नहीं की जाएगी। मतदाताओं को गुमराह करने के उदेश्य से राजनीतिक दल और कार्यकर्ता बगैर तथ्यात्मक आधार के कोई गलत बयानबाजी नहीं करेंगे। बगैर प्रमाणित आरोप के तोड़-मरोड़ कर अन्य दलों अथवा दूसरे दलों के कार्यकर्ताओं की आलोचना नहीं करनी है।
नेताओं अथवा कार्यकर्ताओं के निजी जीवन के किसी पहलू, जो सार्वजनिक गतिविधियों से संबंधित नहीं हो, उसकी आलोचना नहीं की जाएगी. अपने विरोधी को अपमानित करने के लिए व्यक्तिगत आक्षेप के निम्नतम स्तर का प्रयोग नहीं किया जाएगा।चुनाव प्रचार के लिए पूजा स्थलों का उपयोग नहीं किया जाएगा। खासकर धार्मिक उपहास और निंदा के संदर्भ नहीं दिए जा सकते।
राजनैतिक दलों और उम्मीदवारों को किसी भी ऐसे कृत्य/ कार्य/ बयान से परहेज करना है, जिन्हें महिलाओं के सम्मान और प्रतिष्ठा के प्रतिकूल माना जा सकता है. मीडिया में असत्यापित एवं भ्रामक विज्ञापन नहीं दिये जाएंगे। समाचार सामग्री के रूप में छद्म तरीके से विज्ञापन नहीं दिये जाएंगे।सोशल मीडिया में विरोधियों को अपमानित या तिरस्कार करने वाले, गरिमा से नीचे के पोस्टों को डालना/ साझा करना आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन माना जाएगा।
Follow us - https://www.facebook.com/newsmediakiran
Subscribe us - https://youtu.be/4ruQTOywTvI
Related Post