सुप्रीम कोर्ट में फिर पहुंची 'घड़ी' की लड़ाई, शरद पवार ने नई अर्जी दाखिल की; 15 अक्टूबर को होगी सुनवाई

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न्यूज़ मीडिया किरण संवाददाता

नई दिल्ली: राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के दिग्गज नेता और पार्टी के संस्थापक शरद पवार ने सुप्रीम कोर्ट में एक नई अर्जी दाखिल की है, जिसमें अदालत के समक्ष लंबित कार्यवाही में अजित पवार गुट को महाराष्ट्र में आगामी विधानसभा चुनावों में 'घड़ी' चिह्न का उपयोग करने से रोकने के लिए निर्देश देने की मांग की गई है.
शरद पवार की तरफ से दायर आवेदन में कहा गया है कि, हाल ही में संपन्न लोकसभा चुनाव के दौरान शरद पवार गुट ने 'तुरहा फूंकने वाले आदमी' और अजित पवार ने 'घड़ी' चिन्ह पर चुनाव लड़ा. अर्जी में कहा गया है कि, इससे जमीन पर पंजीकृत मतदाताओं को इस संबंध में भारी भ्रम और दुविधा का सामना करना पड़ा. लोग भ्रम में थे कि, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी का प्रतिनिधित्व कौन कर रहा है.
आवेदन में कहा गया है, "इस भ्रम के कारण प्रतिवादी संख्या 1 (अजीत पवार) को अनुचित चुनावी लाभ मिला और याचिकाकर्ता (शरद पवार) को लोकसभा चुनावों में वोटों का नुकसान उठाना पड़ा." याचिकाकर्ता ने 24 सितंबर, 2024 को आईए दायर किया, जिसमें प्रतिवादी संख्या 1 (अजीत पवार) और उनके प्रतिनिधियों के भ्रामक बयानों के कारण लोगों के मन में बड़े पैमाने पर भ्रम पैदा होने और उसे बढ़ावा देने के सबूत के तौर पर अतिरिक्त दस्तावेज दाखिल करने के निर्देश मांगे गए.
आवेदन में कहा गया है कि, वास्तव में, प्रतिवादी संख्या 1 'घड़ी' प्रतीक और याचिकाकर्ता के बीच लंबे समय से चली आ रही संबद्धता के कारण लोगों के मन में मौजूदा भ्रम का फायदा उठा रहा है." आवेदन में आगे कहा गया है कि, अजित पवार गुट को 'घड़ी' प्रतीक का उपयोग करने की अनुमति तब तक नहीं दी जानी चाहिए, जब तक कि सुप्रीम कोर्ट शरद पवार द्वारा भारतीय चुनाव आयोग (ईसीआई) द्वारा अजित पवार गुट को वास्तविक एनसीपी के रूप में मान्यता देने और उसे 'घड़ी' प्रतीक देने के खिलाफ दायर अपील पर फैसला नहीं सुना देता.

आवेदन में सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया गया है कि वह "राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के लिए आरक्षित 'घड़ी' चिह्न और इसके राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में याचिकाकर्ता की 25 सालों से चली आ रही समानता के संबंध में मतदाताओं के मन में किसी भी प्रकार की भ्रांति को दूर करके निष्पक्षता और समान अवसर सुनिश्चित करे."
आवेदन में कहा गया है, "इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि हाल ही में संपन्न संसदीय चुनावों में मतदाताओं के बीच भ्रांति की स्थिति व्याप्त थी, निर्वाचन क्षेत्रों के अपेक्षाकृत छोटे आकार के कारण आगामी विधानसभा चुनावों में यह भ्रांति संभावित रूप से अधिक होगी." इसमें आगे कहा गया है, "इससे मतदाताओं में भ्रम की स्थिति बनी हुई है जो स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावों के संचालन को बाधित करने की अधिक प्रवृत्ति रखती है. सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई 15 अक्टूबर को करेगा.

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