महासभा ने वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव को याद दिलाया लैंड बैंक और भूमि अधिग्रहण कानून संशोधन रद्द करने का वादा

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न्यूज़ मीडिया किरण संवाददाता 

रांची : आज झारखंड जनाधिकार महासभा का प्रतिनिधिमंडल राज्य के वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव से मिलकर उन्हें उनके वादे को याद दिलाया।  राज्य सरकार से तुरंत लैंड बैंक नीति व भूमि अधिग्रहण कानून संशोधन को रद्द करें. प्रतिनिधिमंडल ने मांग किया कि 14 अक्टूबर को होने वाली कैबिनेट बैठक में इनपर निर्णय लिया जाये.

प्रतिनिधिमंडल ने मंत्री से कहा कि खुद वित्त मंत्री व कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष ने 1 अक्टूबर 2024 में मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर यह मांग किया है. साथ ही, भाकपा (माले) लिबरेशन के विधायक विनोद सिंह ने भी हाल में मांग किया है. 10 सितम्बर को झारखंड जनाधिकार महासभा के आव्हान पर 2000 से अधिक ग्रामीण रांची में धरना देकर इन मुद्दों समेत आठ मांगों पर कार्यवाई की मांग की थी. मुख्यमंत्री से मिलकर भी मांगों पर चर्चा किया गया था. प्रतिनिधिमंडल ने रामेश्वर उरांव को याद दिलाया कि विपक्ष के रूप में गठबंधन दलों ने लैंड बैंक और भूमि अधिग्रहण कानून संशोधन का व्यापक विरोध किया था और सरकार बनने के बाद इन्हें रद्द करने का वादा किया था. लेकिन अभी तक सरकार ने इस ओर किसी प्रकार की कार्यवाई नहीं की है.

याद करें कि रघुवर सरकार ने 2016 में लैंड बैंक बनाया था जिसके तहत राज्य के 22 लाख एकड़ सामुदायिक व गैर-मजरुआ ज़मीन को चिन्हित कर लैंड बैंक में पंजीकृत किया गया था. इसके तहत कोई भी कंपनी किसी भी समय लैंड बैंक में डाले गए ज़मीन को चिन्हित कर बिना ग्राम सभा की सहमती के अधिग्रहण की मांग कर सकती है. सामुदायिक भूमि को लैंड बैंक में डालने से पहले ग्राम सभाओं की सहमती भी नहीं ली गयी थी. साथ ही, रघुवर दास सरकार ने 2018 में “भूमि अधिग्रहण कानून (झारखंड) संशोधन, 2017” बनाकर  भूमि अधिग्रहण कानून, 2013 में अहम संशोधन किया था. भूमि अधिग्रहण कानून (झारखंड) संशोधन, 2017 के तहत निजी व सरकारी परियोजनाओं के लिए बिना ग्राम सभा की सहमति व सामाजिक प्रभाव आंकलन के बहुफसलीय भूमि समेत निजी व सामुदायिक भूमि का जबरन अधिग्रहण किया जा सकता है.

महासभा प्रतिनिधिमंडल ने वित्त मंत्री को दलित समुदायों को जाति प्रमाण पत्र बनवाने में हो रही समस्या के विषय में याद  दिलाया. राज्य के लाखों दलित परिवारों, खास कर के भूमिहीन, के सदस्य जाति प्रमाण पत्र से वंचित हैं. प्रतिनिधिमंडल ने मांग किया कि तुरंत जाति प्रमाण पत्र निर्गत करने का निर्णय कैबिनेट में लिया जाये.

झारखंड जनाधिकार महासभा का मानना है कि जनता के साथ किये गए वादों को न निभाना जनता के साथ घोखा है. जन मुद्दों पर कार्यवाई नहीं करने का सीधा फायेदा सांप्रदायिक और विभाजनकारी ताकतों को ही मिलेगा. इसलिए राज्य सरकार चुनाव से पहले ऐसे सभी मुद्दों पर कार्यवाई करे.

प्रतिनिधमंडल में अफज़ल अनीस, बासिंह हेस्सा, बिंसाय मुंडा, उदय मुंडा, धरम वाल्मीकि, एलिना होरो, ज्यां द्रेज़, टॉम कावला व विनोद कुमार शामिल थे.

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