आदिवासी 'हो' समाज ने 'हो' भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग की
आदिवासी 'हो' समाज ने 'हो' भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग की
न्यूज़ मीडिया किरण संवाददाता
रांची। झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री चम्पाई सोरेन ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर आदिवासी "हो" समाज की प्रमुख मांग को लेकर उचित कार्रवाई की अपील की है। उन्होंने आग्रह किया है कि "हो" भाषा, जिसे वारंग क्षिती लिपि के साथ लिखा जाता है, को भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल किया जाए।
चम्पाई सोरेन ने अपने पत्र में कहा कि आदिवासी "हो" समाज लंबे समय से इस मांग को उठा रहा है। 14 सितंबर 2024 को राष्ट्रीय स्तर पर आदिवासी हो समाज युवा महासभा द्वारा जंतर-मंतर, नई दिल्ली में इस मुद्दे को लेकर धरना प्रदर्शन भी किया गया था। इस प्रदर्शन का उद्देश्य था कि सरकार जल्द से जल्द "हो" भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने के लिए कदम उठाए, ताकि इस भाषा को मान्यता मिल सके और इसे संरक्षित किया जा सके।
चम्पाई सोरेन ने पत्र में लिखा, "यह भाषा हमारी संस्कृति, परंपराओं और समाज की पहचान का अभिन्न हिस्सा है। इसे संविधान में मान्यता मिलने से हमारी भाषा और संस्कृति का संरक्षण होगा और आने वाली पीढ़ियां भी इससे लाभान्वित होंगी।"
पूर्व मुख्यमंत्री ने अमित शाह से आग्रह किया है कि वे इस मुद्दे पर त्वरित और उचित कार्रवाई करें, ताकि आदिवासी समाज की इस महत्वपूर्ण मांग को पूरा किया जा सके। उन्होंने कहा कि अगर "हो" भाषा को आठवीं अनुसूची में स्थान मिलता है, तो आदिवासी समाज हमेशा इसके लिए आभारी रहेगा।
यह मांग आदिवासी समुदाय के लिए विशेष महत्व रखती है, क्योंकि यह उनकी भाषा और सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षण देने का एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है।
follow us - https://www.facebook.com/newsmediakiran
subscribe us - https://youtu.be/4ruQTOywTvI
Related Post