चंपाई सोरेन की जगह लेंगे घाटशिला विधायक रामदास सोरेन, कैबिनेट मंत्री की लेंगे शपथ
चंपाई सोरेन की जगह लेंगे घाटशिला विधायक रामदास सोरेन, कैबिनेट मंत्री की लेंगे शपथ
न्यूज़ मीडिया किरण संवाददाता
पूर्वी सिंहभूम: घाटशिला के विधायक रामदास सोरेन अब चंपई सोरेन की जगह ले सकते हैं। 30 अगस्त को रामदास सोरेन रांची में 11 बजे के आसपास कैबिनेट मंत्री की शपथ ले सकते हैं। इस बात का संकेत खुद विधायक रामदास सोरेन ने भी दिया है। गुरुवार को घाटशिला विधानसभा क्षेत्र के गालूडीह दौरे पर पहुंचे विधायक रामदास सोरेन से इस पर सवाल किया गया तो होने कहा कि हां सीएमओ से सूचना आयी है। शुक्रवार को रांची बुलाया गया है। रांची से संकेत मिला कि मुझे कैबिनेट मंत्री की शपथ दिलाई जाएगी। इसकी सूचना मिलने पर घाटशिला विधानसभा के झामुमो कार्यकर्ताओं में खुशी की लहर दौड़ गई है। हालांकि कल शुक्रवार को शपथ लेने के बाद मामला साफ होगा कि विधायक रामदास सोरेन को कैबिनेट में किस मंत्रालय की जिम्मेदारी सौंपी जाएगी.
जानकारी हो कि विधायक रामदास सोरेन घाटशिला विधानसभा से वर्ष 2009 और वर्ष 2019 के विधानसभा में चुनाव जीते थे, वर्तमान में वे विधायक और झामुमो के पूर्वी सिंहभूम जिला अध्यक्ष के पद पर हैं. झारखंड मुक्ति मोर्चा में उनका राजनीतिक जीवन काफी लंबा और संघर्ष पूर्ण रहा है, वे शिबू सोरेन और चंपाई सोरेन के साथ झारखंड आंदोलन में सक्रिय भूमिका में रहे थे, उनके ऊपर तब कई मामले दर्ज हुए थे और बॉडी वारंट भी जारी हुआ था. लंबे राजनीतिक जीवन के बाद पहली बार उन्हें कैबिनेट मंत्री बनाया जाएगा, हालांकि 2019 के विधानसभा चुनाव जीतने के बाद हेमंत सोरेन ने उन्हें जिला परिषद पंचायती राज के सभापति बनाया है, फिलहाल हुए इस पद पर भी हैं.
कोल्हान में झारखंड मुक्ति मोर्चा में चंपई सोरेन के बाद दूसरे नंबर के नेता के रूप में घाटशिला के विधायक रामदास सोरेन जाने जाते हैं. पूर्वी और पश्चिमी सिंहभूम एवं सरायकेला खरसावां जिले के अंदर रामदास सोरेन से सीनियर नेता दूसरा नहीं, आदिवासी समाज के बीच उनकी एक अलग पहचान भी है, किसी को ध्यान में रखते हुए हेमंत सोरेन की सरकार ने चंपई सोरेन के जगह रामदास सोरेन को देने का संभवत निर्णय लिया, इसके साथ ही रामदास सोरेन की जिम्मेदारियां भी बढ़ जाएंगी.
विधायक रामदास सोरेन ने चंपाई सोरेन के मसले पर कहा कि वह बड़े नेता हैं और रहेंगे उनके साथ मेरा बचपन और युवा बीता है, उनके साथ मैं झारखंड आंदोलन में काफी संघर्ष किया उन्हें हम क्या सलाह दे सकते हैं, हालांकि उन्होंने जो कदम उठाया उस पर पार्टी ने उन्हें पुनर्विचार करने को कहा है, पार्टी ने उन्हें शुरू से पूरा सम्मान दिया, इसमें कोई दो राय नहीं है. वे चार बार विधायक रहे, तीन बार मंत्री रहे और उन्हें मुख्यमंत्री की कुर्सी भी सौंप गई, इससे बड़ा सम्मान पार्टी और क्या दे सकती है. पार्टी से बड़ा कोई व्यक्ति कभी नहीं हो सकता ना हुआ है, मेरा यह राजनीतिक विचार रहा है. झारखंड मुक्ति मोर्चा के संस्थापक में गुरुजी शिबू सोरेन, एके राय और विनोद बिहारी महतो रहे हैं। हमने तो 80 के दशक में झामुमो से जुड़ा, गुरुजी जीवित हैं। उनका आदेश पार्टी के हर एक कार्यकर्ता को मानना चाहिए.
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