संथाल परगना में बढ़ रहे बांग्लादेशी घुसपैठ के खिलाफ "मांझी परगना महासम्मेलन" का आयोजन 3 अक्टूबर को
न्यूज़ मीडिया किरण संवाददाता
जमशेदपुर। पूर्व मुख्यमंत्री चम्पाई सोरेन ने अपने एक्स पोस्ट पर जानकारी दी है कि संथाल परगना में लगातार बढ़ रहे बांग्लादेशी घुसपैठ के खिलाफ एक महत्वपूर्ण सामाजिक आंदोलन की शुरुआत करते हुए, आगामी 3 अक्टूबर को पाकुड़ जिले के शहरकोल पंचायत में "मांझी परगना महासम्मेलन" का आयोजन किया जाएगा। इस महासम्मेलन में क्षेत्र के पारंपरिक ग्राम प्रधानों और समाज के प्रमुख मार्गदर्शकों के साथ मिलकर इस गंभीर समस्या पर विस्तार से चर्चा की जाएगी और इसका समाधान तलाशने का प्रयास किया जाएगा।
कार्यक्रम के आयोजकों ने इस महासम्मेलन को एक बड़ा सामाजिक आंदोलन करार दिया है, जिसका उद्देश्य आदिवासी समाज के अस्तित्व और अधिकारों की रक्षा करना है। उन्होंने कहा कि संथाल परगना के कई गांवों में बांग्लादेशी घुसपैठ की वजह से आदिवासी परिवारों की जमीनें छीनी जा रही हैं और कई गांवों से आदिवासी परिवारों का नामोनिशान मिट गया है।
आयोजकों ने खास तौर पर उन लोगों को आमंत्रित किया है, जिन्हें लगता है कि ऐसी कोई समस्या नहीं है। उन्होंने कहा, "जो लोग इस समस्या को नहीं मानते, वे भी इस महासम्मेलन में शामिल होकर सच का सामना कर सकते हैं। वे उन लोगों से मिल सकते हैं, जिनकी जमीनें छीनी गई हैं, और उन गांवों का दौरा कर सकते हैं जहाँ अब आदिवासी परिवार नहीं मिलते।"
इस महासम्मेलन में उपस्थित लोग बाबा तिलका मांझी, वीर सिदो-कान्हू और वीरांगना फूलो-झानो जैसे आदिवासी नायकों से प्रेरणा लेते हुए इस आंदोलन को आगे बढ़ाएंगे। वीरभूमि पाकुड़ में अल्पसंख्यक हो चुके आदिवासी समाज के अस्तित्व को बचाने के लिए यह सम्मेलन एक नई शुरुआत करेगा।
आयोजकों ने पाकुड़ और आसपास के क्षेत्र के लोगों से इस आंदोलन में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेने की अपील की है।
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