सोलर पॉवर के जरिए हर खेत तक सिंचाई का जल पहुंचाएगी झारखंड सरकार चम्पाई सोरेन
सोलर पॉवर के जरिए हर खेत तक सिंचाई का जल पहुंचाएगी झारखंड सरकार : चम्पाई सोरेन
हर खेत तक सिंचाई का जल पहुंचाना सरकार की प्राथमिकता : चम्पाई सोरेन
रांची। झारखंड के किसानों को बहुत बड़ी राहत देने की दिशा में राज्य सरकार ने कदम बढ़ा दिया है। चूंकि विभिन्न लिफ्ट इरिगेशन की योजनाएं बिजली पर निर्भर रहती हैं, जिनका बिल किसानों के लिए एक बड़ी समस्या बन जाता है। इस परिस्थिति में बदलाव लाने हेतु जल संसाधन विभाग ने सोलर प्रणाली का इस्तेमाल शुरू किया है।
सोलर तकनीक द्वारा लिफ्ट सिंचाई का पायलट प्रोजेक्ट हजारीबाग में तैयार है, जिसका उद्घाटन इसी महीने किया जाएगा। इसके बाद, पूरे राज्य में इस तकनीक द्वारा किसानों को सिंचाई व्यवस्था उपलब्ध करवाई जाएगी। इस आशय का निर्देश आज झारखंड के जल संसाधन मंत्री श्री चम्पाई सोरेन ने दिया।
उन्होंने जल संसाधन विभाग की समीक्षा बैठक के दौरान प्रदेश के किसानों को सालों भर सिंचाई की व्यवस्था उपलब्ध करवाने हेतु भविष्य में पाइप लाइन आधारित सिंचाई व्यवस्था लागू करने की जरूरत पर जोर दिया, ताकि भूमि अधिग्रहण की न्यूनतम जरूरत पड़े, तथा परियोजनाएं तेजी से पूरी हो सकें। ज्ञात हो कि पाइप लाइन/ मेगा लिफ्ट परियोजना द्वारा ऊंचे स्थानों पर भी सिंचाई की सुविधा दी जाती है, तथा योजना को तीन वर्षों में पूरा किया जा सकता है। इन परियोजनाओं में पाइपलाइन द्वारा आसपास के सभी तालाबों को भरने की सुविधा रहेगी, ताकि स्थानीय किसान उन जल स्त्रोतों का उपयोग कर सकें।
इस बैठक के दौरान उन्होंने विभिन्न सिंचाई परियोजनाओं के विस्थापितों के पुनर्वास से संबंधित लंबित मामलों का शीघ्र निष्पादन करने तथा हर विस्थापित परिवार को बेहतर सुविधाएं उपलब्ध करवाने का निर्देश दिया। उन्होंने कहा कि विभाग के पास काफी खाली जमीन उपलब्ध है, जिस पर सोलर पैनल लगा कर, विभाग को बिजली उत्पादन की दिशा में आत्मनिर्भर बनाया जा सकता है।
झारखंड में विभिन्न सिंचाई परियोजनाओं द्वारा 5 लाख हेक्टेयर से अधिक क्षेत्रफल में फैले खेतों को सिंचाई व्यवस्था उपलब्ध करवाई जा रही है। सिर्फ कोल्हान प्रमंडल में स्वर्णरेखा बहुद्देशीय परियोजना द्वारा 50,000 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्रफल के किसानों को खेतों में जल मिल रहा है। इन सिंचाई परियोजनाओं ने राज्य के लाखों किसानों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने का काम किया है।
झारखंड में औसतन 1300mm वर्षा होती है, लेकिन पठारी क्षेत्र होने की वजह से अधिकतर जल नदियों के माध्यम से समुद्र में चला जाता है। बेहतर जल प्रबंधन द्वारा हम काफी जल संचय कर सकते हैं, जिसका फायदा किसानों को मिलेगा। विभागीय अधिकारियों को इस दिशा में जरूरी कदम उठाने तथा सिंचाई लक्ष्य के साथ-साथ जल संचय का लक्ष्य भी निर्धारित करने का सुझाव दिया गया है।
मंत्री चम्पाई सोरेन ने कहा कि किसानों के लिए सिंचाई परियोजनाओं की महत्ता को देखते हुए विभाग के स्थापना बजट एवं योजना बजट को बढ़ाने की जरूरत है, ताकि नई परियोजनाएं शुरू की जा सकें। इसके अलावा विभाग में इंजीनियरों तथा अन्य रिक्त पदों को शीघ्र भरने की जरूरत है, ताकि सभी परियोजनाओं का सुचारू रूप से संचालन हो सके।
झारखंड में अभी मसलिया-रानीश्वर मेगा लिफ्ट सिंचाई योजना (दुमका), सिकटिया मेगा लिफ्ट सिंचाई योजना (देवघर), सोन-कनहर पाइपलाइन सिंचाई योजना (गढ़वा) तथा खड़कई लिफ्ट सिंचाई योजना (सरायकेला- खरसावां) में काम चल रहा है, जबकि पलामू पाइपलाइन सिंचाई योजना (पलामू), पीरटांड मेगा लिफ्ट सिंचाई योजना (गिरिडीह) और भीमखंडा माइक्रो लिफ्ट सिंचाई योजना (सरायकेला- खरसावां) प्रक्रियाधीन है।
इस बैठक के दौरान विभाग द्वारा भविष्य में सिमडेगा, खूंटी, रांची, पूर्वी सिंहभूम, सरायकेला- खरसावां, साहिबगंज, पलामू तथा हजारीबाग में नई सिंचाई परियोजनाओं की संभावनाओं पर चर्चा हुई तथा इस दिशा में कदम बढ़ाने का निर्देश दिया गया।
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