जमशेदपुर पूर्वी विधानसभा चुनाव: क्या पूर्णिमा साहू रघुवर दास की विरासत को पुनर्जीवित कर पाएंगी? एक नई राजनीतिक पारी की शुरुआत
न्यूज़ मीडिया किरण संवाददाता
जमशेदपुर:झारखंड राज्य के गठन के बाद से अब तक चार बार विधानसभा चुनाव हो चुके हैं, जिनमें से तीन बार भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने जीत हासिल की है। इस बार, पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास की बहू पूर्णिमा साहू चुनावी मैदान में उतरी हैं, जो इस क्षेत्र की राजनीति में एक नई दिशा का संकेत देती हैं।
रघुवर दास का राजनीतिक इतिहास
रघुवर दास, जो वर्तमान में ओडिशा के राज्यपाल हैं, इस क्षेत्र से सबसे अधिक बार चुनाव जीतने वाले नेता माने जाते हैं। उन्होंने चार चुनावों में से तीन में विजय प्राप्त की है। जब वह राज्यपाल बने, तब यह चर्चा थी कि वह अपने करीबी किसी व्यक्ति को टिकट देंगे। कई दावेदारों ने टिकट के लिए प्रयास किए, लेकिन अंततः रघुवर दास ने अपनी बहू पूर्णिमा साहू को टिकट दिलाने का निर्णय लिया।
पूर्णिमा साहू का चुनावी सफर
पूर्णिमा साहू के लिए यह चुनाव न केवल एक चुनौती है, बल्कि यह उनके ससुर की खोई हुई राजनीतिक विरासत को पुनर्जीवित करने का एक अवसर भी है। भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने रघुवर दास की विरासत को ध्यान में रखते हुए उन्हें टिकट दिया है।
मुख्य प्रतिद्वंद्वी
पूर्णिमा साहू का सामना कांग्रेस के पूर्व सांसद डॉ. अजय कुमार जैसे मजबूत प्रतिद्वंद्वी से होगा। डॉ. अजय कुमार ने क्षेत्र में अपनी पहचान बनाई है और उनके पास एक मजबूत समर्थक आधार है, जो चुनावी मुकाबले को और भी रोचक बनाता है।
मतदाता आंकड़े
जमशेदपुर पूर्वी विधानसभा क्षेत्र में कुल मतदाता संख्या 335,670 है, जिसमें:
- पुरुष मतदाता: 169,280
- महिला मतदाता: 166,273
इन आंकड़ों से यह स्पष्ट होता है कि इस चुनाव में महिला मतदाताओं की भूमिका महत्वपूर्ण हो सकती है।
निष्कर्ष
पूर्णिमा साहू के लिए यह चुनाव केवल एक राजनीतिक चुनौती नहीं है, बल्कि यह उनके ससुर की राजनीतिक धारा को आगे बढ़ाने का एक अवसर भी है। आगामी चुनाव परिणाम यह तय करेंगे कि क्या वह अपनी ससुर की विरासत को सफलतापूर्वक पुनर्जीवित कर पाएंगी या फिर क्षेत्र में नए नेतृत्व का स्वागत किया जाएगा।
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