कांग्रेस के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे की 'गारंटी' पर टिप्पणी: वित्तीय विवेक की आवश्यकता

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न्यूज़ मीडिया किरण संवाददाता

*नई दिल्ली*: कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने शुक्रवार को कहा कि पार्टी की राज्य इकाइयों को केवल वही 'गारंटी' तैयार करनी चाहिए जो 'वित्तीय रूप से संभव' हो। उनकी यह टिप्पणी उन चुनावी वादों के संदर्भ में आई है, जो हिमाचल प्रदेश, तेलंगाना और कर्नाटक जैसे राज्यों में कांग्रेस की चुनावी जीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

हालांकि, खड़गे के विरोधियों का कहना है कि ये गारंटियां वास्तव में मुफ्त उपहार हैं, जो इन राज्यों में वित्तीय बाधाओं का कारण बन रही हैं। खड़गे ने कहा, "इस तरह की लापरवाही से घोषणाएं नहीं की जानी चाहिए," जो उनकी समझदारी का संकेत देती है।

पूर्व केंद्रीय मंत्री ने इस पर टिप्पणी करते हुए कहा, "क्या उन्होंने राहुल गांधी को यह 'ज्ञान' दिया? राहुल अक्सर लोगों को 'खाता खात' (तत्काल) धन हस्तांतरित करने की शेखी बघारते हैं।" उन्होंने यह भी कहा कि दोनों को देश से माफी मांगनी चाहिए।

प्रसाद ने कांग्रेस पर बार-बार 'झूठे वादे' करने का आरोप लगाया और 1971 के लोकसभा चुनावों में इंदिरा गांधी के 'गरीबी हटाओ' नारे का जिक्र किया, जिसने कांग्रेस को शानदार जीत दिलाई थी।

इसके अलावा, प्रसाद ने भाजपा और कांग्रेस के बीच गारंटी के दृष्टिकोण पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, "भाजपा केवल वही वादे करती है जो राजकोषीय सूझबूझ से निर्देशित होते हैं। चाहे 80 करोड़ लोगों को मुफ्त अनाज देना हो या विभिन्न राज्यों में महिलाओं के लिए कल्याणकारी योजनाएं हों, भाजपा उन्हें पूरी करती रहती है।"

हाल ही में, कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री ने कहा था कि राज्य सरकार महिलाओं के लिए मुफ्त बस यात्रा की शक्ति योजना पर फिर से विचार करेगी क्योंकि कुछ महिलाएं अपनी बस यात्रा के लिए भुगतान करना चाहती हैं। इस पर खड़गे ने शिवकुमार को उनके बयान के लिए 'खिंचाव' करते हुए गारंटी संबंधी टिप्पणी की।

इस प्रकार, खड़गे की यह टिप्पणी कांग्रेस के लिए एक नई दिशा दिखाने का प्रयास हो सकती है, जहां वित्तीय विवेक को प्राथमिकता दी जा रही है।

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