झारखंड स्टेट इलेक्ट्रिसिटी ईम्पलाइज मास्टर ट्रस्ट में 56.5 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी का मामला

Crime

 न्यूज़ मीडिया किरण संवाददाता

रांची:झारखंड स्टेट इलेक्ट्रिसिटी ईम्पलाइज मास्टर ट्रस्ट, अभियन्त्रण भवन, एच०ई०सी०, धुर्वा, राँची के वरीय प्रबंधक (वित्त एवं लेखा) के आवेदन पर 4 अक्टूबर 2024 को 56,50,00,000/- रुपये की फर्जी अकाउंट के द्वारा निकासी कर धोखाधड़ी करने के संबंध में सीआईडी थाना काण्ड सं0-43/24 दर्ज किया गया है। इस मामले में विभिन्न धाराओं के तहत कार्रवाई की गई है।

SIT की गठना और जांच प्रक्रिया

महानिदेशक एवं पुलिस महानिरीक्षक, झारखंड ने पूर्व में दर्ज सीआईडी थाना काण्ड सं0-41/24 के अनुसंधान हेतु पुलिस अधीक्षक, आतंकवाद निरोधी दस्ता, झारखंड, राँची के अधीन एक विशेष जांच दल (SIT) का गठन किया है। इस SIT को धोखाधड़ी से संबंधित अन्य काण्डों के उद्भेदन की भी जिम्मेदारी दी गई है।

बैंक से मिली जानकारी

सीआईडी थाना काण्ड सं0-43/24 के अग्रतर अनुसंधान में सेन्ट्रल बैंक ऑफ इंडिया, बिरसा चौक ब्रांच से झारखंड स्टेट इलेक्ट्रिसिटी ईम्पलाइज मास्टर ट्रस्ट द्वारा जमा की गई राशि से संबंधित जानकारी एवं अभिलेख प्राप्त किए गए। इस क्रम में बैंक के मैनेजर लोलस लकड़ा से पूछताछ की गई। लोलस लकड़ा ने इस काण्ड में अपनी संलिप्तता स्वीकार की और उसकी निशानदेही पर कुल 37,18,500/- रुपये बरामद किए गए।

फर्जी खातों की पहचान

अनुसंधान के दौरान NCCR Portal/Cybercrime थाना सीआईडी ने 14C (Indian Cybercrime Co-Ordination Centre) तथा विभिन्न बैंकों के साथ समन्वय स्थापित किया। अब तक कुल 350 विभिन्न बैंकों के अकाउंट की जानकारी प्राप्त हुई है जिनमें संदिग्ध लेनदेन हुआ है। इन सभी बैंक खातों को फ्रीज किया गया है। यदि किसी खाता धारक का खाता संदिग्ध लेनदेन के कारण फ्रीज किया गया है, तो वह SIT के समक्ष अपना पक्ष रख सकते हैं या संबंधित दस्तावेजों के साथ ई-मेल आईडी cyberps@jhpolice.gov.in पर सूचना दे सकते हैं।

गिरफ्तारी और बरामदगी

इस पूरे प्रकरण में SIT द्वारा अब तक छह व्यक्तियों की गिरफ्तारी की गई है। लगभग 1,23,20,300/- रुपये नकद और 16,70,000/- रुपये के गहने बरामद किए गए हैं। कुल मिलाकर SIT ने पांच प्रतिवेदित काण्डों में लगभग 47,20,00,000/- रुपये विभिन्न खातों में फ्रीज किए हैं।

निष्कर्ष

इस मामले की जांच अभी भी जारी है और पुलिस द्वारा आवश्यक कार्रवाई की जा रही है। यह मामला न केवल वित्तीय धोखाधड़ी का एक उदाहरण है बल्कि यह साइबर अपराधों के प्रति जागरूकता बढ़ाने का भी एक अवसर प्रदान करता है।

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