दिल्ली उच्च न्यायालय ने सीमा शुल्क विभाग को जब्त लक्जरी घड़ी प्रवासी भारतीय को लौटाने का आदेश दिया

Crime

न्यूज़ मीडिया किरण संवाददाता

नई दिल्ली:दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक प्रवासी भारतीय नागरिक (ओसीआई) कार्डधारक के पक्ष में महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए सीमा शुल्क विभाग को निर्देश दिया है कि वह उसकी जब्त की गई लक्जरी घड़ी तुरंत वापस करे। अदालत ने यह आदेश सीमा शुल्क अधिनियम, 1962 की धारा 124 के तहत प्रक्रियात्मक शासनादेशों का अनुपालन न करने के आधार पर दिया।

मामला

यह मामला तब सामने आया जब याचिकाकर्ता, जो एक ओसीआई कार्डधारक हैं, इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर पहुंची और सीमा शुल्क अधिकारियों ने उनकी उच्च मूल्य वाली घड़ी जब्त कर ली। याचिकाकर्ता ने कई बार सीमा शुल्क विभाग से संपर्क किया, लेकिन उन्हें न तो जब्ती के आधार के बारे में सूचित किया गया और न ही अधिनियम की धारा 124 के तहत आवश्यक औपचारिक नोटिस जारी किया गया। यह प्रावधान स्पष्ट करता है कि जब्ती के आदेश केवल तब दिए जा सकते हैं जब मालिक को नोटिस, प्रतिनिधित्व करने का मौका और सुनवाई का अवसर प्रदान किया जाए।

अदालत का निर्णय

न्यायमूर्ति विभु बाखरू और न्यायमूर्ति स्वर्ण कांत शर्मा की खंडपीठ ने सीमा शुल्क विभाग की इस दलील को खारिज कर दिया कि याचिकाकर्ता ने नोटिस जारी करने के अपने अधिकार को माफ कर दिया है। अदालत ने कहा, "अधिनियम की धारा 124 के तहत नोटिस निर्धारित अवधि के भीतर जारी नहीं होने पर जब्त किए गए सामान को वापस करना आवश्यक है। कानून के तहत इस नोटिस को माफ करने का कोई प्रावधान नहीं है।"

सीमा शुल्क विभाग ने दावा किया कि एक मौखिक कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था और आरोप लगाया कि याचिकाकर्ता ने औपचारिक नोटिस या सुनवाई के अपने अधिकारों को माफ कर दिया था। हालांकि, अदालत ने इस दावे का समर्थन करने के लिए कोई सबूत नहीं पाया और यह भी देखा कि विभाग का जवाबी हलफनामा इस तरह के नोटिस का उल्लेख करने में विफल रहा।

निष्कर्ष

अदालत ने स्पष्ट किया कि बिना किसी लिखित या मौखिक नोटिस के, यह मानना असंभव है कि अधिनियम की धारा 124 (ए) के प्रावधान संतुष्ट हैं। पीठ ने कहा, "कोई जब्ती ज्ञापन तैयार नहीं किया गया है, और सीमा शुल्क अधिकारियों ने केवल हिरासत रसीद के आधार पर आइटम को जारी करने से इनकार कर दिया है।"

अंततः, उच्च न्यायालय ने वैधानिक प्रावधानों का पालन न करने पर सीमा शुल्क विभाग को याचिकाकर्ता को तुरंत घड़ी वापस करने का निर्देश दिया। यह फैसला न केवल याचिकाकर्ता के लिए राहत लेकर आया बल्कि यह भी दर्शाता है कि कानून का शासन सभी नागरिकों पर समान रूप से लागू होता है।

ऐसी ही और खबरों के लिए देखें www.newsmediakiran.com

Related Post