मणिपुर में मुठभेड़: 11 कुकी उग्रवादी मारे गए, एक सीआरपीएफ जवान शहीद

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न्यूज़ मीडिया किरण संवाददाता

मणिपुर: जिरीबाम जिले में सुरक्षा बलों के साथ एक मुठभेड़ में कम से कम *11 संदिग्ध कुकी उग्रवादी* मारे गए, जबकि केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) का एक जवान शहीद हो गया। यह मुठभेड़ बोरोबेकरा उपखंड के जाकुराधोर करोंग क्षेत्र में हुई, जिसमें एक अन्य सीआरपीएफ जवान भी घायल हुआ है।

मुठभेड़ का विवरण

मुठभेड़ की शुरुआत उस समय हुई जब उग्रवादियों ने खेतों में काम कर रहे किसानों पर हमला किया और आसपास की दुकानों को आग लगा दी। उग्रवादियों ने सीआरपीएफ कैंप और पुलिस स्टेशन पर भी हमले किए। जवाब में, सीआरपीएफ जवानों ने फायरिंग की। यह घटना लगातार तीसरे दिन हो रही हिंसा का हिस्सा है, जिसमें कुकी उग्रवादियों ने नागरिकों और किसानों को निशाना बनाया है।

लापता नागरिक और खोज अभियान

मुठभेड़ के बाद से *पांच नागरिक* लापता हैं। यह स्पष्ट नहीं है कि इन्हें उग्रवादियों ने अपने साथ ले लिया है या वे खुद ही हमले के डर से कहीं छिप गए हैं। लापता नागरिकों और छिपे उग्रवादियों की तलाश का काम जारी है। मारे गए उग्रवादियों के शवों को बोरोबेकरा थाने लाया गया है, और इलाके में सुरक्षाकर्मियों की तैनाती बढ़ा दी गई है।

हिंसा का बढ़ता दौर

ताजा हिंसा का दौर पिछले सप्ताह गुरुवार को शुरू हुआ जब मैतेई हथियारबंद उग्रवादियों ने आदिवासी बहुल जैरोन हमार गांव पर हमला किया और घरों को आग लगा दी। इस दौरान ग्रामीणों ने जंगलों में छिपकर अपनी जान बचाई। बाद में कुकी-जो संगठन ने दावा किया कि गांव में 31 साल की एक महिला को बलात्कार के बाद बर्बरतापूर्वक मार दिया गया। इसके बाद से राज्य के विभिन्न हिस्सों में लगातार हिंसा की घटनाएं हो रही हैं।

शांति प्रयासों पर असर

मणिपुर के डीजीपी राजीव सिंह ने माना कि हालिया घटनाओं से शांति के प्रयासों को झटका लगा है। उन्होंने कहा कि सरकार राज्य में शांति लाने की कोशिश करती रहेगी। केंद्र सरकार के प्रयासों से पहली बार 15 अक्टूबर को मैतेई, कुकी और नगा समुदायों के प्रतिनिधियों के बीच सीधी बातचीत शुरू हुई थी, जिसमें तीनों समुदायों के सांसद-विधायक भी शामिल हुए थे।

लंबे समय से चल रही हिंसा

मणिपुर में पिछले साल 3 मई से मैतेई समुदाय और कुकी-जो आदिवासियों के बीच हिंसा जारी है, जिसमें *200 से अधिक नागरिक* मारे जा चुके हैं और हजारों लोग बेघर हुए हैं। यह हिंसा तब शुरू हुई जब राज्य के बहुसंख्यक मैतेई समुदाय को अनुसूचित जाति का दर्जा देने के प्रयास किए जाने लगे थे, जिसके विरोध में ऑल ट्राइबर स्टूडेंट यूनियन (एटीएसयू) ने रैली निकाली थी।

इस स्थिति ने न केवल स्थानीय स्तर पर बल्कि राष्ट्रीय राजनीति में भी महत्वपूर्ण मुद्दा बन गया है, जो आगामी आम चुनावों के दौरान चर्चा का विषय बना हुआ है।

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