झारखंड में 10.4 करोड़ रुपये की वित्तीय धोखाधड़ी का मामला: SIT ने शुरू की जांच, नोटों का बैग बरामद
न्यूज़ मीडिया किरण संवाददाता
रांची:झारखंड पर्यटन विकास निगम लिमिटेड के महाप्रबंधक (वित्त) द्वारा 28 सितंबर 2024 को धुर्वा थाने में दर्ज की गई प्राथमिकी के अनुसार, एक फर्जी अकाउंट बनाकर अवैध तरीके से 10 करोड़ 40 लाख रुपये की निकासी की गई है। इस मामले में गिरजा प्रसाद, आलोक कुमार, और अमरजीत कुमार के खिलाफ कांड संख्या 284/24 दर्ज किया गया है।
अनुसंधान का आरंभ
4 अक्टूबर 2024 को, झारखंड के अपराध अनुसंधान विभाग ने इस मामले की जांच का भार ग्रहण करते हुए CID थाना कांड संख्या 41/24 दर्ज किया। इस मामले की गंभीरता को देखते हुए महानिदेशक एवं पुलिस महानिरीक्षक, झारखंड ने एक विशेष जांच दल (SIT) का गठन किया। इस दल में रिषभ कुमार झा, भा.पु.से., पुलिस अधीक्षक, आतंकवाद निरोधी दस्ता, झारखंड सहित तीन सहायक पुलिस अधीक्षकों और अपराध अनुसंधान विभाग की टीम शामिल है।
गिरफ्तारी और पूछताछ
अनुसंधान के दौरान गिरजा प्रसाद सिंह (61 वर्ष) और अमरजीत कुमार (43 वर्ष) को हिरासत में लेकर पूछताछ की गई। दोनों ने अपनी संलिप्तता स्वीकार करते हुए अन्य साजिशकर्ताओं के नाम बताए। इसके बाद पुलिस ने रूद्र सिंह उर्फ समीर कुमार और लोकेश्वर साह उर्फ लोकेश को भी हिरासत में लिया। इन साजिशकर्ताओं के पास से लगभग 85 लाख रुपये नकद और 15 लाख रुपये के सोने के गहने बरामद किए गए।
अन्य धोखाधड़ी की शिकायतें
3 अक्टूबर 2024 को झारखंड विद्युत वितरण निगम लिमिटेड के मास्टर ट्रस्ट द्वारा भी फर्जी अकाउंट के माध्यम से 9 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी की शिकायत दर्ज कराई गई थी। इसके बाद, झारखंड ऊर्जा उत्पादन निगम लिमिटेड द्वारा भी 40.5 करोड़ रुपये और झारखंड विद्युत वितरण निगम लिमिटेड द्वारा 56.5 करोड़ रुपये की निकासी की शिकायत पोर्टल पर दर्ज कराई गई। इन सभी शिकायतों के आधार पर SIT द्वारा अग्रतर अनुसंधान किया जा रहा है।
फर्जी खातों का उद्भेदन
अनुसंधान के क्रम में, एनसीसीआरपी पोर्टल और साइबर क्राइम थाना, CID के द्वारा I4C (Indian Cyber Crime Coordination Centre) तथा विभिन्न बैंकों के साथ समन्वय स्थापित किया जा रहा है। अब तक कुल 300 विभिन्न फर्जी खातों का पता चला है, जिनमें से सबसे अधिक फर्जी खाते उत्कर्ष स्मॉल फाइनेंस बैंक में खोले गए हैं। SIT द्वारा अब तक लगभग 39 करोड़ 70 लाख रुपये विभिन्न खातों में फ्रीज किए गए हैं।
निष्कर्ष
यह मामला झारखंड में वित्तीय धोखाधड़ी के बढ़ते मामलों को उजागर करता है और पुलिस प्रशासन की तत्परता को दर्शाता है। SIT द्वारा चल रही जांच से उम्मीद है कि सभी दोषियों को जल्द ही न्याय के कटघरे में लाया जाएगा। अग्रतर अनुसंधान जारी है।
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