मणिपुर में कुकी उग्रवादियों की घुसपैठ से तनाव बढ़ा, 28 सितंबर को संभावित हमले की योजना

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मणिपुर में कुकी उग्रवादियों की घुसपैठ से तनाव बढ़ा, 28 सितंबर को संभावित हमले की योजना

न्यूज़ मीडिया किरण संवाददाता

मणिपुर:मणिपुर में पिछले 16 महीनों से जारी हिंसा ने एक नया मोड़ ले लिया है। हाल ही में खुफिया एजेंसियों को मिली जानकारी ने सुरक्षा बलों की चिंता बढ़ा दी है। सूत्रों के अनुसार, 900 से अधिक कुकी उग्रवादी, जो ड्रोन से बम और मिसाइल चलाने जैसी आधुनिक युद्ध तकनीकों में प्रशिक्षित हैं, म्यांमार के रास्ते मणिपुर में घुस आए हैं। इन उग्रवादियों के 28 सितंबर को मैतई समुदाय के गांवों पर हमला करने की योजना है।

30-30 के समूहों में बंटे उग्रवादी, राज्य के विभिन्न हिस्सों में फैले

सूत्रों के अनुसार, ये उग्रवादी 30 सदस्यों के छोटे-छोटे समूहों में बंटे हुए हैं और राज्य के विभिन्न हिस्सों में फैल गए हैं। मणिपुर के थौबल जिले के एक वरिष्ठ अधिकारी ने इस जानकारी की पुष्टि की है। मणिपुर के सुरक्षा सलाहकार कुलदीप सिंह ने भी इंफाल में बयान दिया कि इस खुफिया जानकारी को गंभीरता से लिया जा रहा है और सुरक्षा एजेंसियां इसके खिलाफ सख्त कदम उठा रही हैं।

ताजा हिंसा में ड्रोन और मिसाइल का इस्तेमाल

सितंबर की शुरुआत में मणिपुर में हुई हालिया हिंसा ने पूरे राज्य को हिला कर रख दिया है। इस हिंसा में ड्रोन और मिसाइलों जैसी आधुनिक हथियारों का इस्तेमाल किया गया, जिसने सुरक्षा बलों को भी हैरान कर दिया है। कुकी और मैतई समुदायों के बीच चल रहे इस संघर्ष में अब तक 226 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है, सैकड़ों लोग घायल हुए हैं और हजारों की संपत्ति को नुकसान पहुंचा है।

क्यों नहीं रुक रही मणिपुर में हिंसा?

मणिपुर में लगातार जारी हिंसा का प्रमुख कारण कुकी और मैतई समुदायों के बीच का जातीय संघर्ष है। मैतई समुदाय राज्य की घाटी में बसता है, जबकि कुकी समुदाय पहाड़ों में निवास करता है। इस संघर्ष के बाद से दोनों समुदायों का एक-दूसरे के क्षेत्रों में आना-जाना लगभग बंद हो चुका है, जिससे अलगाव और तनाव और बढ़ गया है।

इसके अलावा, दोनों समुदायों ने अपने-अपने क्षेत्रों में बंकर बना लिए हैं और हथियारों का भंडारण कर रखा है। जब भी उन्हें मौका मिलता है, वे एक-दूसरे पर हमला करते हैं और फिर अपने बंकरों में छिप जाते हैं। घाटी और पहाड़ी इलाकों की भौगोलिक स्थिति के कारण इन हमलों को रोक पाना भी सुरक्षा एजेंसियों के लिए एक चुनौतीपूर्ण कार्य बना हुआ है।

सरकार और सुरक्षा एजेंसियों की चुनौती

सुरक्षा बलों ने इस स्थिति को नियंत्रित करने के लिए ठोस कदम उठाए हैं, लेकिन दोनों समुदायों के बीच गहराता यह जातीय संघर्ष और बाहरी उग्रवादियों की घुसपैठ मणिपुर में शांति बहाल करने में सबसे बड़ी चुनौती साबित हो रही है।

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