राष्ट्रीय हिंदी दिवस पर महिला कॉलेज, चाईबासा में व्यक्तित्व झांकी और कविता वाचन का आयोजन

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राष्ट्रीय हिंदी दिवस पर महिला कॉलेज, चाईबासा में व्यक्तित्व झांकी और कविता वाचन का आयोजन

न्यूज़ मीडिया किरण संवाददाता

चाईबासा। राष्ट्रीय हिंदी दिवस की पूर्व संध्या पर महिला कॉलेज, चाईबासा के बी.एड. बहुउद्देशीय भवन में व्यक्तित्व झांकी सह कविता वाचन का भव्य आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलित कर किया गया, जिसमें प्रभारी प्राचार्या डोरिस मिंज ने हिंदी भाषा के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि हिंदी न केवल भारत की पहचान है, बल्कि यह हमारी सांस्कृतिक धरोहर और एकता का प्रतीक भी है।

व्यक्तित्व झांकी प्रतियोगिता का आयोजन: कार्यक्रम के मुख्य आकर्षण व्यक्तित्व झांकी में विद्यार्थियों ने विभिन्न प्रसिद्ध साहित्यकारों के व्यक्तित्व को प्रस्तुत किया। इसमें चैती कुजूर ने मीराबाई, सरिता बिरुआ ने निर्मला पुतुल, पूजा कुमारी गोप ने सुभद्रा कुमारी चौहान, आरती कालिंदी ने पद्मा सचदेव, सुप्रिया कर मोदक ने हरिवंश राय बच्चन, श्रद्धा बोस ने अमृता प्रीतम, सोनल विश्वकर्मा ने कुमार विश्वास, और अन्य प्रतिभागियों ने साहित्य के प्रतिष्ठित हस्तियों की झांकी प्रस्तुत की।

प्रतियोगिता में सेमेस्टर 3 की रेशमा मुर्मू ने प्रथम स्थान प्राप्त किया, सेमेस्टर 2 की श्रद्धा बोस को द्वितीय स्थान मिला, जबकि सेमेस्टर 3 की आरिशी साक्षी और सेमेस्टर 2 की सोनल विश्वकर्मा ने संयुक्त रूप से तृतीय स्थान प्राप्त किया। सभी सफल प्रतिभागियों को जल्द ही पुरस्कृत किया जाएगा।

श्रुति लेखन प्रतियोगिता और कविता वाचन: कार्यक्रम के दौरान श्रुति लेखन प्रतियोगिता का आयोजन भी किया गया, जिसका संचालन धनंजय कुमार ने किया। निर्णायक मंडली में सुजाता किस्पोट्टा, शीला समद, सितेंद्र रंजन सिंह और धनंजय कुमार शामिल थे।

कविता वाचन में बी.एड. विभाग के प्राध्यापकों ने भी भाग लिया। डॉ. अर्पित सुमन ने कुँवर नारायण की कविता "अंतिम ऊँचाई" प्रस्तुत करते हुए कहा कि कविता भाषा का एक ऐसा सशक्त माध्यम है, जिसके द्वारा मन की गहरी भावनाओं को व्यक्त किया जा सकता है। वहीं, सितेंद्र रंजन सिंह ने अटल बिहारी वाजपेयी की कविता "मौत से ठन गई" का ओजपूर्ण वाचन किया।

विशिष्ट उपस्थिति और विचार-विमर्श: कार्यक्रम में बी.एड. विभाग के विभागाध्यक्ष मोहम्मद मोबारक करीम हाशमी, डॉ. ओनिमा मानकी, डॉ. अर्पित सुमन टोप्पो, शीला समद, मदन मोहन मिश्रा, धनंजय कुमार और सितेंद्र रंजन सिंह उपस्थित थे। सभी शिक्षकों ने हिंदी के महत्व और इसकी प्रासंगिकता पर अपने-अपने विचार प्रस्तुत किए।

इस आयोजन ने हिंदी भाषा और साहित्य के प्रति छात्रों और प्राध्यापकों में नई ऊर्जा का संचार किया।

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