राष्ट्रीय राजमार्गों पर टोल टैक्स हुआ फ्री: जानिए नई प्रणाली के बारे में

various

राष्ट्रीय राजमार्गों पर टोल टैक्स हुआ फ्री: जानिए नई प्रणाली के बारे में

नई GNSS प्रणाली का आगाज़

न्यूज़ मीडिया किरण संवाददाता  

नई दिल्ली: सड़क परिवहन मंत्रालय ने मंगलवार को टोल वसूली की नई प्रणाली, ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (GNSS), के लिए नियमों में संशोधन की अधिसूचना जारी की है। इस नई प्रणाली के तहत, यात्रियों को राष्ट्रीय राजमार्गों पर 20 किलोमीटर तक की यात्रा पर कोई टोल शुल्क नहीं देना होगा। इसके बाद, उन्हें केवल यात्रा की गई दूरी के आधार पर शुल्क का भुगतान करना होगा।

टोल वसूली की नई प्रक्रिया

GNSS प्रणाली में ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (GPS) और ऑन-बोर्ड यूनिट (OBU) का उपयोग किया जाएगा। यह प्रणाली मौजूदा फास्टैग और ऑटोमेटिक नंबर प्लेट रिकॉग्निशन (ANPR) तकनीक का एक विकल्प होगी। नई प्रणाली का उद्देश्य टोल नाकाओं पर मनमानी वसूली के आरोपों को समाप्त करना और टोल संग्रहण को अधिक पारदर्शी और कुशल बनाना है।

विशेषताएँ

- *शून्य-टोल कॉरिडोर*: GNSS प्रणाली का उपयोग करने वाले वाहनों के लिए 20 किलोमीटर तक का शून्य-टोल कॉरिडोर शुरू किया जाएगा।
- *ऑटोमेटिक भुगतान*: जीएनएसएस ओबीयू सिस्टम से लैस वाहन अपनी यात्रा की दूरी के आधार पर टोल का ऑटोमेटिक भुगतान करने में सक्षम होंगे।
- *विशेष लेन*: जीएनएसएस डिवाइस वाले वाहनों के लिए टोल प्लाजा पर विशेष लेन बनाई जाएगी, जिससे मैन्युअल टोल भुगतान के लिए रुकने की आवश्यकता समाप्त हो जाएगी।

टोल वसूली की प्रक्रिया

नई प्रणाली में, GPS आधारित टोल सिस्टम का उपयोग किया जाएगा, जिसमें यात्रा की तय की गई दूरी के आधार पर टोल की गणना करने के लिए सैटेलाइट और इन-कार ट्रैकिंग सिस्टम का इस्तेमाल होगा। इससे टोल नाकाओं पर जाम की समस्या कम होगी और चालक बिना रुके यात्रा कर सकेंगे।

राजस्व संग्रह में वृद्धि

वर्तमान में भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) सालाना लगभग 40,000 करोड़ रुपए का टोल राजस्व एकत्र करता है। नई टोल प्रणाली लागू होने पर अगले दो से तीन वर्षों में यह बढ़कर 1.40 लाख करोड़ रुपए हो जाने की उम्मीद है।

संभावित चुनौतियाँ

हालांकि, देश के विशाल सड़क नेटवर्क और वाहनों की विविधता के कारण टोल प्रणाली के बदलाव में दिक्कतें आ सकती हैं। भारत में लगभग 66.7 लाख किलोमीटर सड़क नेटवर्क है, जो दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा है। नई प्रणाली के लिए बुनियादी ढांचे को अपग्रेड करना एक चुनौती हो सकता है, जिसका वित्तीय भार उपयोगकर्ताओं को उठाना पड़ सकता है।

निष्कर्ष

नई GNSS-आधारित टोल वसूली प्रणाली से न केवल यात्रियों को सुविधा मिलेगी, बल्कि यह टोल संग्रह में पारदर्शिता और दक्षता भी लाएगी। सरकार का यह कदम सड़क परिवहन को आधुनिक बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

Related Post