*बीएयू वैज्ञानिकों ने पालाजोरी, पश्चिमी सिंहभूम में बकरियों के लिए स्वास्थ्य शिविर लगाया*
*बीएयू वैज्ञानिकों ने पालाजोरी, पश्चिमी सिंहभूम में बकरियों के लिए स्वास्थ्य शिविर लगाया*
*बकरी की संख्या में वृद्धि दर में झारखण्ड का देश में दूसरा स्थान: विशेषज्ञ*
न्यूज़ मीडिया किरण संवाददाता
रांचीI बिरसा कृषि विश्वविद्यालय में चल रही बकरी सम्बन्धी अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना की टीम ने पश्चिमी सिंहभूम जिले में अवस्थित बाराबंकी प्रजनन क्लस्टर का भ्रमण किया और विषाणुजनित पीपीआर रोग से बचाव के लिए 471 बकरियों का टीकाकरण किया I मोरबिली वायरस से फैलेनेवाली इस बीमारी से बकरियों में भारी मात्रा में रुग्णता और मृत्यु होती है I टीम ने बकरियों के लिए स्वास्थ्य शिविर लगाया, पशुपालकों की बीमार बकरियों के लिए दवा वितरित किया तथा किसान गोष्ठी आयोजित कर रोग प्रबंधन के लिए आवश्यक वैज्ञानिक परामर्श भी दिया I
बीएयू की पशु आनुवंशिकी विशेषज्ञ तथा परियोजना की प्रधान अन्वेषक डॉ नंदनी कुमारी ने बताया कि वर्ष 2019 की पशु जनसंख्या के अनुसार झारखण्ड में बकरी की आबादी 91 लाख है और बकरी जनसंख्या के मामले में झारखण्ड का देश में आठवाँ स्थान है I पिछले पांच वर्षों में झारखण्ड में बकरी की आबादी में 38.59 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गयी और आबादी वृद्धि की राज्यवार दर के मामले में झारखण्ड का स्थान देश में पश्चिम बंगाल के बाद दूसरा है I अपने मांस की गुणवत्ता और बहुप्रसवता के लिए जानी जानेवाली ब्लैक बंगाल बकरी झारखण्ड के लिए ही नहीं बल्कि पूरे देश के लिए थाती है I यहाँ बड़ी संख्या में इसकी उपलब्धता के कारण पशुपालकों के हित में इसके आनुवंशिक सुधार तथा नयी क्रॉसब्रीड नस्ल के विकास की काफी संभावनाएं है I
किसानों को लाभकारी बकरीपालन के लिए संतुलित आहार, बकरियों को दवा के घोल में डुबाने, कृमि मुक्त करने, गंभीर रोगों से बचाव के लिए टीकाकरण आदि की जानकारी दी गयी I उन्हें पोषण से भरपूर मुनगा (सहजन) के पौधे लगाने तथा बकरियों को इसके पत्ते खिलाने की सलाह दी गयी I इस आइसीएआर परियोजना का उद्देश्य बकरी पालन की वैज्ञानिक एवं नवोन्मेषी बिधि द्वारा ब्लैक बंगाल बकरियों का चयन एवं नस्ल सुधार कर किसानों का सामाजिक- आर्थिक विकास करना है I परियोजना के तहत वर्तमान में चार प्रजनन केंद्र- बाराबंकी (पूर्वी सिंहभूम), टिको (लोहरदगा), पालाजोरी (देवघर) एवं चामगुरु (रांची) में चल रहे हैं I जनजातीय उप योजना (टीएसपी) तथा अनुसूचित जाति उप योजना (एससीएसपी) के अंतर्गत भी इस परियोजना में सम्बंधित वर्गों के बकरीपालकों को कई प्रकार का सहयोग प्रदान किया जाता है I
टीम में पशु पोषण वैज्ञानिक डॉ दिनेश कुमार, पशु मादारोग एवं प्रसूति विज्ञान विशेषज्ञ डॉ दिलीप कुमार तथा परियोजना कर्मी बिनोद कुमार, मंजू और नयूम शामिल थे I
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